सर्वशक्तिमान माँ दुर्गा के 9 रूपों में माँ काली का सातवां रूप है . माता काली का स्वरूप विकराल एवं भयंकर है परन्तु माता अपने भक्तो के लिए बहुत है कल्याणकारी है व उनके कष्टों को हर लेती है.Maa Kali Ki Katha in Hindi :- इसीलिए माता काली शुभंकरी के नाम से भी विख्यात है….
सर्वशक्तिमान माँ दुर्गा के 9 रूपों में माँ काली का सातवां रूप है . माता काली का स्वरूप विकराल एवं भयंकर है परन्तु माता अपने भक्तो के लिए बहुत है कल्याणकारी है व उनके कष्टों को हर लेती है.
इसीलिए माता काली शुभंकरी के नाम से भी विख्यात है.
पुराणों में माता काली के संबंध में कहा जाता है की स्याह रात्रि के समान ही माता काली स्वरूप भी काला है. कालरात्रि माता अपने गले में विद्युत के माला धारण करे हुए है. माता काली के बाल फैले हुए तथा उनकी सवारी गदर्भ है.
अपने देखा होगा जो यह माता है इनके हाथ में कटा हुआ सिर है जिससे रक्त टपकता रहता है. यह भयंकर रूप होते हुए भी माता भक्तों के लिए बहुत ही कल्याणकारी भी है. देवी भाग्वत् में कालरात्रि को आदिशक्ति का तमोगुण स्वरूप भी बताया गया इसलिए इन्हें महाकाली भी कहा जाता है.
कालरात्रि माता के बारे में कहा जाता है कि यह दुष्टों के बाल पकड़कर खड्ग से उसका सिर काट देती हैं. और रक्तबीज से युद्घ करते समय मां काली ने भी इसी तरह से रक्तबीज का वध किया था.
मां काली के युद्ध करने का यह तरीका दर्शाता है कि काली और कालरात्रि एक ही हैं. जिन्हे आप माता काली के नाम से जानते हो. कालरात्रि माता भगवान विष्णु की योगनिद्रा भी कही जाती है.
धरती में विदयमान सभी प्राणियों के मोह माया का कारण भी माँ कालरात्रि ही है. दुर्गासप्तशती के प्रथम चरित्र में बताया गया है की जब भगवान विष्णु वैकुंठ लोग में शेषनाग के ऊपर विश्राम कर रहे थे. तब उनक कान के मैल से दो भयंकर असुर मधु और कैटभ का जन्म हुआ.
ये दोनों असुर वैकुंठ धाम से सीधे ब्रह्म लोक पहुंचे जहां उन्हें हाथो में वैद धारण किये सृष्टि रचयता ब्रह्म दैव जी दिखाई दिए.
ब्रह्म देव को देख दोनों दानव ब्रह्म देव से वैद छीनने आगे बढे. ब्रह्म देव ने उन्हें रोकने के लिए अपनी दिव्य शक्तियों का प्रयोग किया परन्तु भगवान विष्णु के शरीर से उतपन्न होने के कारण उन दोनों देत्यो पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
ब्र्ह्मा जी दौड़े-दौड़े भगवान विष्णु के शरण में गये तथा उन्हें उनकी योगनिद्रा से जगाने लगे. ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को उनकी योगनिद्रा से जगाने के लिए मोहरात्रि तथा कालरात्रि के रूप में आराधना करी.
ब्र्ह्मा जी की वंदना से देवी कालरात्रि ने भगवान विष्णु को जगाया. तथा भगवान विष्णु ने ब्र्ह्मा जी की रक्षा करने के लिए मधु कैटभ का वध किया.
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