क्षैतिज रेखाएं कनिष्ठा के बिल्कुल नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित marriage line कहलाती है। यह रेखाएं रिश्तों में आत्मीयता, वैवाहिक जीवन में खुशी, वैवाहिक दंपती के बीच प्रेम और स्नेह के अस्तित्व को दर्शाता है। विवाह रेखा का विश्लेषण करते समय शुक्र पर्वत और हृदय रेखा को भी ध्यान मे रखना चाहिये।Marriage Line…
क्षैतिज रेखाएं कनिष्ठा के बिल्कुल नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित marriage line कहलाती है। यह रेखाएं रिश्तों में आत्मीयता, वैवाहिक जीवन में खुशी, वैवाहिक दंपती के बीच प्रेम और स्नेह के अस्तित्व को दर्शाता है। विवाह रेखा का विश्लेषण करते समय शुक्र पर्वत और हृदय रेखा को भी ध्यान मे रखना चाहिये।
शादी के बिना समाज में स्त्री और पुरुष का रिश्ता मान्य नहीं होता। जीवन में विवाह के बारें में सटीक भविष्यवाणी करनी हो तो ज्योतिषी हाथों की विवाह रेखा का अध्ययन करते हैं।
विवाह रेखा कनिष्टका यानि सबसे छोटी ऊंगली के निचले हिस्से में जिसे बुध पर्वत कहते हैं वहां आड़ी होती हैं। यह कई जातकों के हाथों में एक तो कई के हाथों में कई भी होती है।
*एक से अधिक विवाह रेखाओं के संदर्भ में वह रेखा मान्य होती है जो सबसे अधिक गहरी और स्पष्ट हो बाकि रेखा संबंधों के बिछड़ने या टूटने के संकेत देती है।
*अधिक विवाह रेखाएं तलाक, विवाहोत्तर संबंध, बेवफा रिश्तों आदि की संकेतक होती है।
*अगर दो विवाह रेखाएं हैं और एक स्पष्ट बेहद गहरी और दूसरी महीन लेकिन बुध पर्वत तक विकसीत है तो यह जातक के जीवन में दो शादियों की सूचना देती है।
*अगर विवाह रेखा ऊपर की तरफ आती हुई हृदय रेखा से मिले या फिर विवाह रेखा पर तिल हो या क्रॉस का निशान हो तो शादी में बहुत कठिनाइयां होती हैं।
*विवाह रेखा health line से स्पर्श करे तो भी विवाह नहीं होता है। अगर विवाह रेखा पर एक से अधिक द्वीप हों या काला तिल हो तो यह जीवन भर अविवाहित होने का भय पैदा करता है।
*यदि विवाह रेखा द्वीप युक्त हो तो यह जीवन साथी के खराब स्वास्थ्य का द्योतक है।
*विवाह रेखा का मध्य में खण्डित हो जाना विवाह के टूटने के संकेत हैं। लेकिन इसके लिए हथेली के दूसरों चिह्नों पर भी विचार करना चाहिए।
*यदि विवाह रेखा सर्प-जिह्वाकार हो तो यह पति-पत्नि के मध्य विचारों की भिन्नता को दर्शाती है।
*लम्बी और सूर्य के स्थान तक जाने वाली विवाह रेखा संपन्न और समृद्ध जीवन साथी की प्रतीक है।
*जब विवाह रेखा को खड़ी रेखाएं काट रही हो तो यह विवाह में हो रहे विलम्ब और बाधाओं की सूचक हैं।
*यदि विवाह रेखा को संतान रेखा काटती हो तो व्यक्ति का विवाह अत्यंत कठिनाई से होता है। विवाह रेखा पर बनी संतान रेखाएँ यदि महीन हों तो
*कन्या योग होता है और यदि गहरी हों तो पुत्र योग होता है। यदि मणिबंध रेखा कमजोर हो या शुक्र पर्वत अविकसित हो तो ऐसे व्यक्ति के जीवन में संतान सुख नहीं रहता है।
*जिस व्यक्ति के हाथों में सूर्य क्षेत्र से निकलकर टेढ़ी-सी रेखा हृदय रेखा तथा मस्तक रेखा को काटती हुई जीवनरेखा में जा मिले, ऐसे व्यक्ति विवाह के पश्चात यश और प्रसिद्धि प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं लेकिन घरेलू झगड़ों के कारण उनकी यह इच्छा पूर्ण नहीं हो पाती है। जब सूर्य रेखा मस्तक रेखा से निकली हो और बीच-बीच में टूटी हो तो ऐसी रेखा वाले व्यक्ति दूसरों की बात में आकर झगड़ा करने के लिए तैयार रहते हैं।
पुरूष की हथेली में जब विवाह रेखा हृदय रेखा से काफी दूर हो, शुक्र का आकार हथेली में राशि सामंजस्य न बैठा पाता हो साथ ही बृहस्पति के स्थान पर कोई शुभ चिह्न न हो, तो ऐसे जातक का विवाह प्रायः देरी से हुआ करता है। कितनी देरी होगी और विवाह कब होगा यह जानने के लिए पुनः विवाह रेखा से ही आकलन करना चाहिए।
यदि हथेली में विवाह रेखा ही न हो तो विवाह में काफी विलम्ब हो सकता है। लेकिन इसका अभिप्राय यह बिल्कुल नहीं है कि जीवन में विवाह नहीं होगा। यह अवश्य है इसके कारण विवाह में अनावश्यक रूप से देरी हो सकती है। या फिर उपाय करने पर ही विवाह होगा।
यदि बृहस्पपि अपने स्थान से शनि की तरफ झुकाव लिये हो तो 30 वर्ष की आयु के बाद विवाह होता है।
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Hast Rekha, hindu astrology, mangal dosh, palm reading, palmistry, reading astrology, zodiac astrology, विवाह रेखा, हस्त रेखा, हस्त रेखा कैसे देखे, हस्त रेखा ज्ञान इन हिंदी, हस्त रेखा ज्ञान चित्र सहित, हस्त रेखा देखना, हस्त रेखा विज्ञान, हस्त रेखा सरकारी नौकरी, हस्त रेखा से भविष्य, हस्त रेखाएं