भारत को चमत्कारों का देश कहा जाता है, क्योकि वैसे भी चमत्कारों को ही नमस्कार किया जाता है. आज इस कलयुग में ऐसा भी कई भक्त है जो भगवान पर ही प्रश्न उठाने लगते है. कई बार आपने भी यह सूना होगा की भगवान में ताकत है तो वे चमत्कार करके दिखाए.Shiv Ji Ke Chamatkar…
भारत को चमत्कारों का देश कहा जाता है, क्योकि वैसे भी चमत्कारों को ही नमस्कार किया जाता है. आज इस कलयुग में ऐसा भी कई भक्त है जो भगवान पर ही प्रश्न उठाने लगते है. कई बार आपने भी यह सूना होगा की भगवान में ताकत है तो वे चमत्कार करके दिखाए.
इसी कारण कलयुग में भी भगवान ने कई ऐसे चमत्कार उतपन्न किये है जिसे देख कर हर कोई यह कहता है की आखिर यह कैसे सम्भव हुआ यह तो चमत्कार है.
ऐसे ही कुछ चमत्कारों से आज हम आपको परिचित कराने जा रहे है जो किसी नास्तिक को तक यह विशवास दिलाने के लिए काफी है की भगवान कण कण में व्याप्त है.
देवी माता का चमत्कार :-
हिमांचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किलो मीटर की दुरी पर ज्वाला देवी का मंदिर स्थापित है. मान्यता है की इस स्थान पर देवी सती की जीभ गिरी थी. ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में हजारो वर्षो से देवी माता के मुह से अग्नि निकल रही है, आज तक किसी को यह नहीं पाता चला की यह ज्योति कब से जल रही थी.
बिना किसी तेल बाती के जलती यह ज्योति निरन्तर प्रकाशमान रहती है.
मुगल बादशाहो से लेकर अंग्रेजो ने तक इस ज्योति के बारे में जानना चाहा की आखिर यह ज्योत जलती कैसे है मगर वे इस रहस्य को नहीं जान पाए. आज तक देवी ज्वाला माता का राज वेज्ञानिको के लिए एक पहेली बना हुआ है.
भगवान शिव का चमत्कार :-
देवो के देव महादेव शिव की महिमा निराली है वह समय समय पर अपने भक्तो का मार्ग दर्शन करने के लिए चमत्कार दिखाते रहते है. भगवान शिव का एक ऐसा ही चमत्कार झारखंड के टूटी झरना मंदिर में देखने को मिलता है.
यहां देवी गंगा स्वयम भगवान शिव का जलाभिषेक करने आती है, इस चमत्कारिक मंदिर में निरंतर भगवान शिव के ऊपर पानी गिरता रहता है परन्तु रहस्य की बात यह है की आखिर पानी आ कहा से रहा है.
इस जल का स्रोत क्या है इस बात का पता लगाने के लिए अनेक कोशिश की गयी है, परन्तु सफलता हाथ नहीं लगी है.
महावीर हनुमान का चमत्कार :-
पवन पुत्र हनुमान की शक्ति को कौन नहीं जानता, प्रभु श्री राम के आदेश पर उन्होंने 100 योजन लंबी समुद्र को ही लांघ लिया था. हनुमान जी को अमरत्वता प्राप्त है और कलयुग में वे सक्रिय देवता के रूप में जाने जाते है
हनुमान जी के धरती में अनेक चमत्कार देखने को मिले है, आज हम आपको एक ऐसे चमत्कार के बारे में बताने जा रहे है जो वास्तव में एक अजूबा था..
हनुमान जी का यह चमत्कार बांदा जिले के मिव्य गाव में घटित हुआ है. यह एक हनुमान जी के मंदिर के पास एक ट्रक ड्राइवर गाडी से अपना पूरी तरह से कंट्रोल खो बैठा. तथा ट्रक पूरी ताकत से मंदिर से जा टकराया व पूरा का पूरा मंदिर चकनाचूर हो गया.
ट्रक के आगे का हिस्सा भी पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया, मंदिर का एक हिस्सा भी नहीं बचा. लेकिन इस मंदिर में रखे हनुमान जी की मूर्ति का बाल भी बाका नहीं हुआ. हाथ में गदा उठाये हनुमान जी की यह मूर्ति अपने स्थान से एक इंच भी नहीं हिली. हुनमान जी के इस चमत्कार को देखकर वहां खड़े प्रत्यक्षदर्शी अपने आप को जय बजरंगबली कहने से नहीं रोक सके.
भगवान शिव का रंग बदलता शिवलिंग :-
राजस्थान के धौलपुर में प्राचीन शिवमंदिर में एक चमत्कारिक शिवलिंग हैं जिसकी खासियत यह है कि यह दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. भक्तों का दावा है कि शिव मंदिर करीब हजार साल पुराना है.
पूरे इलाके की पहचान बन चुके इस शिवमंदिर में भोले के भक्तों की बड़ी आस्था है. हालांकि आज तक इस रहस्य का पता नहीं लग सका है कि आखिर कैसे यह शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदल लेता है. इसी वजह से मंदिर कई वैज्ञानिकों की रिसर्च का भी केंद्र बनता जा रहा है.
शिवलिंग का रंग दिन में लाल, दोपहर में केसरिया और रात में सांवला हो जाता है. वहीं इस शिवलिंग की भक्तों में एक और वजह से बड़ी आस्था है. लोगों का मानना है कि जो भी कुंवारा लड़का या कुंवारी लड़की यहां पर शादी से पहले जो मन्नत मांगते हैं, वह पूरी हो जाती है.
भैरव देवता का चमत्कारिक मंदिर :-
उज्जैन में महाकाल की नगरी में भैरवनाथ का एक विचित्र एवम चमत्कारी मंदिर है. इस मंदिर की विशेषता यह है की यहां भैरवनाथ साक्षात् रूप में मदिरा पान का सेवन करते है. जैसा की आप जानते है भगवान भैरवनाथ के हर मंदिर में उन्हें प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाया जाता है.
लेकिन काल भैरव के इस चमत्कारिक मंदिर में भगवान भैरवनाथ को मदिरा चढाने पर प्याले के प्याले खत्म हो जाते है. परन्तु आज तक यह नहीं पता चला है की भगवान भैरव को चढाई जाने वाली मदिरा आखिर गायब कहा होती है.
जब भारत में अंग्रेजो का राज्य था तब एक अंग्रेज अधिकारी ने इस रहस्य का पता लगाने के लिए भैरवनाथ की मूर्ति के आस-पास खुदाई करवाई. परन्तु कई वर्षो तक चलने वाली इस खुदाई में उस अंग्रेज अधिकारी को कोई सफलता प्राप्त नही हो पाई तो वह भैरवनाथ का भक्त बन गया.