भारतीय संस्कृति में इतनी विविधताएं हैं कि आप यहां के बारे में जितना जानें, उतना ही कम है. यहां के धार्मिक स्थान, खूबसूरत और प्राकृतिक नज़ारे आपको सुकून का एहसास कराएंगे. इस देश में इतनी विविधताएं होने के बावजूद भी इतनी समानताएं भी हैं कि आप जान कर हैरान हो जाएंगे. भारत में कुछ ऐसे…
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भारतीय संस्कृति में इतनी विविधताएं हैं कि आप यहां के बारे में जितना जानें, उतना ही कम है. यहां के धार्मिक स्थान, खूबसूरत और प्राकृतिक नज़ारे आपको सुकून का एहसास कराएंगे. इस देश में इतनी विविधताएं होने के बावजूद भी इतनी समानताएं भी हैं कि आप जान कर हैरान हो जाएंगे. भारत में कुछ ऐसे मेलों का आयोजन हर साल किया जाता है, जो पूरी एशिया में फेमस है. इन मेलों को देखने के लिए दुनिया से लाखों लोग आते हैं. आज हम आपको भारत के कुछ प्रसिद्ध मेलों के बारे में बताने जा रहे हैं. जानें, ये मेले कहां और किसलिए लगाए जाते हैं.
यह मेला भारत का सबसे बड़ा और हिंदू धर्म की मान्यता के तहत बहुत ही पवित्र माना जाता है. यह देश के चार सबसे पवित्र स्थलों प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में हर 12 साल के बाद लगता है. इस मेले का आजोयन गोदावरी, क्षिप्रा, युमना और गंगा नदियों के किनारे ही किया जाता है. इस मेले में हिंदू तीर्थयात्री गंगा नदी के किनारे इकट्ठे होकर पवित्र नदी में स्नान करते हैं. धार्मिक आस्था के अनुसार, गंगा नदी में स्नान करने से जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं. इस मेले में आकर्षक का केंद्र नागा साधुओं द्वारा निकाला जाने वाला जुलूस होता है.
बिहार में पूर्णिमा के दिन (नवंबर) में गंगा नदी और गंडक नदी के संगम पर पशुओं का विराट मेला आयोजित किया जाता है. सोनपुर के मेले को हरिहर क्षेत्र मेला के रूप में भी जाना जाता है. पूरी दुनिया में इस तरह का मेला सिर्फ भारत में ही लगता है. इस मेले में हाथी, घोड़े, भैंस, गधे और पक्षियों की सभी प्रकार की नस्ल बिक्री के लिए आती है. यह एशिया का सबसे बड़ा मेला है. मेले में मनोरंजन के कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. पहले यहां थिएटर आते थे, पर अश्लील कार्यक्रम पेश करने के कारण अब उन पर रोक लगा दी गई है. यहां लोग जम कर खरीददारी करते हैं.
भारत का सबसे बड़े और पुराने मेलों में से एक पुष्कर मेला भी है. यह राजस्थान के पुष्कर शहर में अक्टूबर-नंवबर में आयोजित किया जाता है. इस मेले में दूर-दूर से ऊंट आते हैं. खासकर इजरायल से आए ऊंटों का खास समूह होता है. यह मेला पुष्कर झील के तट पर आयोजित किया जाता है. यह पर्यटकों के आकर्षक का बड़ा केंद्र है. इस मेले में मटका फोड़ और गर्म हवा के गुब्बारे फुलाने की प्रतियोगिता जैसे खेलों का लोग आनंद लेते हैं.
हेमिस गोम्पा फेस्टिवल एक तरह से धार्मिक मेला है जो बौद्ध समुदाय द्वारा आयोजित किया जाता है. यह मेला लद्दाख में स्थित सबसे बड़े बौद्ध मठ में जनवरी से लेकर फरवरी के महीने में आयोजित किया जाता है. फेमस हेमिस गोम्पा चारों तरफ से पहाड़ के चट्टानों से घिर हुआ है और हेमिस नेशनल पार्क के अंदर बना हुआ है.
राजस्थान के बीकानेर जिले में कोलायत मेला आयोजित किया जाता है. इस मेले को कपिल मुनि मेले के नाम से भी जाना जाता है. यह मेला भी पशुओं का सबसे बड़ा मेला है. इस मेले में सबसे महत्वपूर्ण पवित्र स्नान है. रात के समय यहां झील में हजारों दीए तैरते नज़र आते हैं. राजस्थान में इसके अलावा जैलेसमेर का डेजर्ट फेस्टिवल, नागौर मेला और सबसे फेसम बीकानेर ऊंट मेला भी लगता है. यह मेला बीकानेर में सितंबर से अक्टूबर के बीच आयोजित किया जाता है.
यह मेला ओडिशा के भुवनेश्वर की खंडगिरी में आयोजित किया जाता है. यह मेला हर साल पूर्णिमा के दिन चंद्रभागा नदी के किनारे लगता है. यह मेला सात दिनों तक चलता है और देश के सभी श्रद्धालु नदी में स्नान करते हैं. ओडिशा में इस मेले के अलावा आप यहां कोणार्क सूर्य मंदिर, मठ और म्यूज़ियम जैसी आकर्षक चीज़ों को देख सकते हैं. यह मेला हर साल फरवरी के महीने में लगता है.
भारत में कुंभ मेले के बाद गंगासागर मेला सबसे पवित्र और धार्मिक आस्था के लिए जाना जाता है. हर साल यह मेला पश्चिम बंगाल की खाड़ी, जहां पर गंगा नदी समुद्र में मिलती है, वहां लगता है. इस मेले में देश भर से लोग लाखों की संख्या में लोग स्नान के लिए पहुंचते हैं. इसके अलावा, नेपाल से भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. इस मेले का महत्व बहुत ज्यादा है. कहा गया है – सारे तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार.
बनेश्वर मेला राजस्थान के डूंगरपुर जिले में आयोजित किया जाता है. यह एक आदिवासी मेला है, जो हर साल फरवरी में लगता है. इस मेले में भगवान शिव की पारंपरिक तरीके से पूजा की जाती है और विविध अनुष्ठान होते हैं. इस मेले में आप आदिवासियों की जीवनशैली देख सकते हैं. मेले में आदिवासियों के नृत्य का आयोजन भी होता है, जिसे देखने काफी लोग आते हैं.