रामचरित मानस जन-जन में लोकप्रिय एवं प्रामाणिक ग्रंथ हैं। इसमें , चौपाई पाठक के मन पर अद्भुत प्रभाव छोड़ते हैं। इस प्रकार इन्हें चमत्कारिक मंत्र भी कहा जा सकता है। ये सामान्य साधकों के लिए है, मानस मंत्र है।Upyogi Mantra Jo Mann Par Adbhut Prabhaav Chhorte Hai in Hindi :- इनके लिए किसी विशेष विधि-विधान…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : mantra and आकर्षण के लिए and आकर्षण के लिए मंत्र and ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए मंत्र and जीविका प्राप्ति के लिए मंत्र and झगड़े में विजय प्राप्ति के लिए मंत्र and दरिद्रता मिटाने के लिए मंत्र and परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए and मंत्र and मन्त्र प्रयोग विधि and यात्रा की सफलता के लिए मंत्र and रामचरित मानस and विघ्न निवारण के लिए and विघ्न निवारण के लिए मंत्र and विद्या प्राप्ति के लिए मंत्र and शत्रु को मित्र बनाने का मन्त्र and श्रीराम and संकट नाश के लिए मंत्र and सभी प्रकार की विपत्ति नाश के लिए मंत्र
रामचरित मानस जन-जन में लोकप्रिय एवं प्रामाणिक ग्रंथ हैं। इसमें , चौपाई पाठक के मन पर अद्भुत प्रभाव छोड़ते हैं। इस प्रकार इन्हें चमत्कारिक मंत्र भी कहा जा सकता है। ये सामान्य साधकों के लिए है, मानस मंत्र है।
इनके लिए किसी विशेष विधि-विधान की जरूरत नहीं होती। इन्हें सिर्फ मन-कर्म-वचन की शुद्धि से श्रीराम का स्मरण करके मन ही मन श्रद्धा से जपा जा सकता है।
कृपादृष्टि करि वृष्टि प्रभु अभय किए सुरवृन्द। भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुंद ।।
गुरू गृह गए पढ़न रघुराई। अल्प काल विद्या सब आई।।
बिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान। होई सगुन मंगल सुखद करहि अप्सरा गान।।
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद दवारि के।।
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि। सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
दिन दयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।
विस्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।
राजीव नयन धरे धनु सायक। भगत विपत्ति भंजक सुखदायक।।
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही। राम सुकृपा बिलोकहि जेही।।
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।
जेहि पर कृपा करहि जनु जानी। कवि उर अजिर नचावहि बानी।।
मोरि सुधारिहि सो सब भाँति। जासु कृपा नहि कृपा अघाति।।
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई । गोपद सिन्धु अनल सितलाई ।।
नवरात्रि के पवित्र समय पर इस मन्त्र को 1100 बार प्रतिदिन जपें । जब आवश्यकता हो इस मन्त्र से शक्तिकृत करके गोरोचन का टीका लगा लें ।