रावण : एक ऐसा व्यक्ति था जिसके दो कर्म अधूरे रह गए. एक स्वर्ग तक सोने की सीढ़ी बनाना और दूसरा सोने में सुगंध डालना. रावण ने ताकत के मद में अनीति का साथ भी दिया और वक्त आने पर महादेव के सामने अपना मत भी रखा. किंवदंती है कि यहां मंडोर की पहाडिय़ों के…
रावण : एक ऐसा व्यक्ति था जिसके दो कर्म अधूरे रह गए. एक स्वर्ग तक सोने की सीढ़ी बनाना और दूसरा सोने में सुगंध डालना. रावण ने ताकत के मद में अनीति का साथ भी दिया और वक्त आने पर महादेव के सामने अपना मत भी रखा. किंवदंती है कि यहां मंडोर की पहाडिय़ों के बीच रावण ने महारानी मंदोदरी के साथ सात फेरे लिए थे.
असल में मंदोदरी जोधपुर से उत्तर दिशा में स्थित खूबसूरत पहाडिय़ों में बसे प्रदेश की राजकुमारी थी और रावण ने इन्हीं पहाडिय़ों के बीच मंदोदरी से विवाह रचाया था. रावण की इस शादी की चंवरी यानी मंडप आज भी इस बात का ऐसा सबूत है, जिसे किसी भी सूरत में मानने से इनकार नहीं किया जा सकता. रावण के बारे में कई बाते हैं जो आप और हम जानते हैं पर कुछ बातें ऐशी भी हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं .
उन में से कुछ बातें यहां पर विस्तृत रूप से दी गयी हैं. श्रीरामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में कुछ प्रसंगों को लेकर मतभेद भी हैं। वाल्मीकि रामायण में सीता स्वयंवर का कोई वर्णन नहीं है। उसके अनुसार एक बार राम व लक्ष्मण का ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला में आगमन हुआ, जहां विश्वामित्र ने ही राजा जनक से श्रीराम को वह शिवधनुष दिखाने को कहा। तब श्रीराम ने उस धनुष को उठा लिया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया।
तब राजा जनक ने विश्वामित्र से अपनी पुत्री सीता का विवाह भगवान राम से करने का आग्रह किया, क्योंकि राजा जनक ने यह प्रण किया था कि जो भी इस शिव धनुष को उठा लेगा, उसी से वे अपनी पुत्री सीता का विवाह करेंगे। रामायण के अनुसार रावण की बहन शूर्पणखा भी रावण का सर्व-विनाश चाहती थी शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था। वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था। रावण जब विश्वयुद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ।
उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का भी वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा। दरअसल वाल्मीकि रामायण के अनुसार, एक अति सुंदर स्त्री जिसका नाम वेदवती था, पर रावण की बुरी नज़र पड़ गई।वेदवती उस वक़्त भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तप कर रही थी।
रावण ने उसके बाल पकड़े और अपमानित करके अपने साथ ले चलने की हठ करने लगा। उस तपस्विनी ने रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी। इतना कहकर उसने आत्मदाह कर लिया। फिर इसी वेदवती ने रावण से अपने अपमान का बदला लेने के लिए अगले जन्म में सीता के रूप में जन्म लिया।
राजस्थान का पश्चिमी क्षेत्र जो पूर्वांतर में मरुकांतार प्रदेश के नाम से विख्यात था और वर्तमान में मंडोर जो मंदोदर रखेश्वर दैत्य का स्थान हुआ करता था. दैत्य का विवाह किसी अप्सरा से हुआ था. उसने मनोदरी के जन्म के बाद मंडोर छोड़ दिया, लिहाजा मनोदरी का लालन पालन रखेश्वर ने किया. कहा जाता है कि रखेश्वर के आग्रह पर रावण ने मनोदरी यानी मंदोदरी से विवाह किया और उसे अपने साथ लंका ले गया. वर्तमान में इस क्षेत्र को मंडोर के नाम से जाना जाता है.
एक बार रावण ने अपनी वासना पूरी करने के लिए स्वर्ग की अप्सरा रंभा को पकड़ लिया। तब रंभा ने बताया की वह रावण के बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर की सेवा में हैं। इस वजह से रंभा रावण के पुत्रवधू के समान थी, लेकिन रावण ने रंभा से दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली, तो उसने रावण को श्राप दिया कि जब भी रावण किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध उसे स्पर्श करेगा, तो उसका मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएगा। वैज्ञानिकों ने मंडोर की इन पहाडिय़ों का शोध करने के बाद कहा है कि ये पहाड़ी रामायण के समकालीन हैं.
मंडोर की इन्हीं पहाडिय़ों के बीच एक मंडप बना है. इस पर प्राचीनकाल के भित्ति चित्रों के अवशेष मौजूद हैं. कहते हैं यहीं पर रावण और मंदोदरी के सात फेरे हुए और फिर रावण लंका के लिए प्रस्थान कर गया. रावण की चंवरी में बनी मूर्तियों में देवी खरानना की मूर्ति भी नजर आती है, खरानना रावण की आराध्य देवी हैं. रखरखाव के लिहाज से यहां 8वीं सदी तक का उल्लेख मिलता है.
रावण का मेधावी पुत्र मेघनाथ ने एक युद्ध में देवराज इंद्र को बंदी बना लिया था। बाद में ब्रह्माजी के कहने पर उसने इंद्र को छोड़ दिया। इंद्र पर विजय पाने के कारण ही मेघनाद का एक नाम इंद्रजीत पड़ा। जब श्रीराम और लक्ष्मण वन में सीता की खोज कर रहे थे। उस समय कबंध नामक राक्षस का राम-लक्ष्मण ने वध किया था।
वास्तव में कबंध एक श्राप के कारण राक्षस बन गया था। जब श्रीराम ने उसका दाह संस्कार किया तो वह श्राप मुक्त हो गया। कबंध ने ही श्रीराम को सुग्रीव से मित्रता करने के लिए कहा था।
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