भगवान राम को मर्यादा पुरोषत्तम भी कहा जाता है क्योंकि वे अपने फैसले से कभी पीछे नहीं हटते थे. और प्रजा की बात को बहुत ध्यान से सुनते, परामर्श करते थे. राजा की मर्यादा में रहकर उन्होंने अपनी निर्दोष पत्नी का त्याग कर दिया था. त्रेता युग में उत्पन्न हुए भगवान विष्णु के सातवें अवतार…
भगवान राम को मर्यादा पुरोषत्तम भी कहा जाता है क्योंकि वे अपने फैसले से कभी पीछे नहीं हटते थे. और प्रजा की बात को बहुत ध्यान से सुनते, परामर्श करते थे. राजा की मर्यादा में रहकर उन्होंने अपनी निर्दोष पत्नी का त्याग कर दिया था. त्रेता युग में उत्पन्न हुए भगवान विष्णु के सातवें अवतार राम ने रावण का अंत करके समुचे विश्व को नया जीवन दिया था.
भगवान राम को हिन्दू धर्म के अधिकतर लोग पूजते हैं और उनके सम्मान में कई त्यौहार मनाते हैं. राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे और इसके पर्याप्त प्रमाण हैं. रामायण काल के सभी प्रमाण आज भी मिलते हैं. दीपावली , रामनवमी और भी यह सभी त्यौहार श्री राम से जुडें हुए हैं.
1. राम मंदिर, अयोध्या
जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर को आक्रांता बाबर ने तोड़कर वहां एक मस्जिद स्थापित कर दी जिस पर अभी भी विवाद जारी है.
अयोध्या के दर्शनीय स्थल : अयोध्या घाटों और मंदिरों की प्रसिद्ध नगरी है. सरयू नदी यहां से होकर बहती है. सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं. इनमें गुप्तद्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं.
2. रघुनाथ मंदिर :
इस मंदिर को 1835 में महाराजा गुलाब सिंह ने बनवाना शुरू किया था और इसका पूर्ण निर्माण महाराजा रणजीतसिंह के काल में हुआ. भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू शहर में स्थित यह राम मंदिर आकर्षक वास्तुकला का नमूना है. इस मंदिर में 7 ऐतिहासिक धार्मिक स्थल मौजूद है. मंदिर के भीतर की दीवारों पर तीन तरफ से सोने की परत चढ़ी हुई है. इसके अलावा मंदिर के चारों ओर कई मंदिर स्थित है जिनका सम्बन्ध रामायण काल के देवी-देवताओं से हैं.
3. श्रीसीतारामचंद्र स्वामी मंदिर (भद्राचलम) :
भगवान राम का यह दिव्य मंदिर आंध्रप्रदेश के खम्मण जिले के भद्राचलम शहर में स्थित है. इस स्थान की विशेषता यह है कि यह वनवासी बहुल क्षेत्र है और माना जाता है कि भगवान राम को वनवासी अपना पूज्य मानते हैं. कथाओं के अनुसार भगवान राम जब लंका से सीता को बचाने के लिए गए थे, तब गोदावरी नदी को पार कर इस स्थान पर रुके थे. मंदिर गोदावरी नदी के किनारे ठीक उसी जगह पर बनाया गया है, जहां से राम ने नदी को पार किया था.
भद्राचल से कुछ ही किलोमीटर दूर एक स्थान पर श्रीराम एक पर्णकुटी बनाकर रहे थे. आज इस स्थान को पर्णशाला कहा जाता है. यहीं पर कुछ ऐसे शिलाखंड भी हैं जिनके बारे में यह विश्वास किया जाता है कि सीताजी ने वनवास के दौरान यहां वस्त्र सुखाए थे. स्थानीय किंवदंती के अनुसार यहीं से रावण ने सीता का हरण किया था, लेकिन रामायण के अनुसार वह स्थान पंचवटी था. इस मंदिर का निर्माण रामभक्त कंचली गोपन्ना नामक एक तहसीलदार ने करवाया था. उन्होंने बांस से बने प्राचीन मंंदिर के स्थान पर पत्थरों का भव्य मंदिर बनवाया था. मंदिर बनवाने के कारण लोग उन्हें रामदास कहत थे. कबीर रामदास के आध्यात्मिक गुरु थे और उन्होंने रामदास को रामानंदी संप्रदाय की दीक्षा दी थी.
4. त्रिप्रायर श्रीरामा मंदिर :
यह मंदिर भारतीय राज्य केरल के दक्षिण-पश्चिमी शहर त्रिप्प्रयार (त्रिप्रायर) में स्थित है. त्रिप्रायर नदी के किनारे स्थित त्रिप्रायर श्रीराम मंदिर कोडुन्गल्लुर का प्रमुख धार्मिक स्थान है. यह त्रिप्रायर में स्थित है, जो कोडुन्गल्लुर शहर से लगभग 15 किलोमीटर और त्रिशूर से 25 किलोमीटर दूर स्थित है. भगवान विष्णु के 7वें अवतार भगवान श्रीराम की इस मंदिर में पूजा की जाती है. इस मंदिर के बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं. माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित मूर्ति यहां के स्थानीय मुखिया को समुद्र तट पर मिली थी. इस मूर्ति में भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के तत्व हैं अत: इसकी पूजा त्रिमूर्ति के रूप में की जाती है.
5. श्रीतिरुनारायण स्वामी मंदिर, मेलकोट, कर्नाटक :
इस स्थान को तिरुनारायणपुरम भी कहते हैं. यह एक छोटी-सी पहाड़ी है जिसे यदुगिरि कहते हैं. मेलकोट या मेलुकोट कर्नाटक के मांड्या जिला तहसील पांडवपुरा का एक छोटा-सा कस्बा है, जो कावेरी नदी के तट पर बसा है. यदुगिरि पहाड़ी पर दो मंदिर स्थित है. एक मंदिर भगवान नृसिंह का जो पहाड़ी के रास्ते में पहले पड़ता है और दूसरा चेलुवा नारायण का मंदिर जो पहाड़ी के सबसे उपर स्थित है. यह स्थान मैसूर से 51 किलोमीटर और बेंगलुरु से 133 किलोमीटर किलोमीटर दूर है.
6. थिरुवंगड श्रीरामस्वामी मंदिर, जिला कन्नूर, थालास्सेरी (केरल) :
केरल के कण्णूर जिले में स्थित थालास्सेरी में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया एक प्रसिद्ध किला है. यहां से कुछ दूर ही प्रसिद्ध राम मंदिर है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 2,000 वर्ष पूर्व हुआ था. इससे पहले इस स्थान पर भगवान परशुराम ने एक विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था. इस स्थान का संबंध अगस्त्य मुनि से भी है.
7. हरिहरनाथ मंदिर (सोनपुर) :
इस दिव्य हरिहरनाथ मंदिर का निर्माण भगवान राम ने त्रेतायुग में करवाया था. माना जाता है कि श्रीराम ने यह मंदिर तब बनवाया था, जब वे सीता स्वयंवर में जा रहे थे. इस मंदिर को भगवान राम ने अपने आराध्य भगवान विष्णु के लिए इस मंदिर को बनवाया था.
सारण और वैशाली जिले की सीमा पर गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित इस मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह ने करवाया. वर्तमान में जो मंदिर है, उसका जीर्णोद्धार तत्कालीन राजा राम नारायण ने करवाया था.
8. रामभद्रस्वामी मंदिर, तिरुविल्वमल जिला त्रिसूर (केरल) :
यहां स्थित रामभद्रस्वामी का मंदिर विश्वप्रसिद्ध है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर की भव्यता देखने आते हैं. त्रिसूर से 85 किलोमीटर दूर कोच्चि का एयरपोर्ट है. हालांकि त्रिसूर नगर में रेलवे स्टेशन है, जो देश के सभी बड़े स्टेशनों से कनेक्टेड है. त्रिसूर के 47 किलोमीटर दूर स्थित थिरुविल्वमाला (Thiruvilwamala) है.
9. मध्यप्रदेश का रामवन :
त्रि-आश्रम से भगवान श्रीराम मध्यप्रदेश के सतना पहुंचे, जहां रामवन है. मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ क्षेत्रों में नर्मदा व महानदी नदियों के किनारे 10 वर्षों तक उन्होंने कई ऋषि आश्रमों का भ्रमण किया. दंडकारण्य क्षेत्र तथा सतना के आगे वे विराध सरभंग एवं सुतीक्ष्ण मुनि आश्रमों में गए.
राम वहां से आधुनिक जबलपुर, शहडोल (अमरकंटक) गए होंगे. शहडोल से पूर्वोत्तर की ओर सरगुजा क्षेत्र है. यहां एक पर्वत का नाम रामगढ़ है. 30 फीट की ऊंचाई से एक झरना जिस कुंड में गिरता है, उसे सीता कुंड कहा जाता है. यहां वशिष्ठ गुफा है. दो गुफाओं के नाम लक्ष्मण बोंगरा और सीता बोंगरा हैं. वर्तमान में करीब 92,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस इलाके के पश्चिम में अबूझमाड़ पहाड़ियां तथा पूर्व में इसकी सीमा पर पूर्वी घाट शामिल हैं. दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के हिस्से शामिल हैं. इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक करीब 320 किमी तथा पूर्व से पश्चिम तक लगभग 480 किलोमीटर है.
10. चित्रकूट का राम मंदिर :
अश्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे. प्रयाग को वर्तमान में इलाहाबाद कहा जाता है. यहां गंगा-जमुना का संगम स्थल है. हिन्दुओं का यह सबसे बड़ा तीर्थस्थान है. प्रभु श्रीराम ने संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट. यहां स्थित स्मारकों में शामिल हैं- वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप इत्यादि.
चित्रकूट में राम अनुसूया के आश्रम में कई महीनों तक रहे थे. चित्रकूट में ऐसे कई स्थल हैं, जो राम, लक्ष्मण और सीता के जीवन से जुड़े हुए हैं. यह पवित्र स्थल हिन्दुओं के लिए अयोध्या से कम नहीं है. यहां पर रामघाट, जानकी कुंड, हनुमानधारा, गुप्त गोदावरी आदि ऐसे कई स्थल हैं.
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