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भारत के 10 रहस्यमय मंदिर, कोई नहीं जान पाया अब तक इनके राज

भारत के 10 रहस्यमय मंदिर, कोई नहीं जान पाया अब तक इनके राज
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भारत के 10 रहस्यमय मंदिर, कोई नहीं जान पाया अब तक इनके राज – प्राचीनकाल में जब मंदिर बनाए जाते थे तो वास्तु और खगोल विज्ञान का ध्यान रखा जाता था। इसके अलावा राजा-महाराजा अपना खजाना छुपाकर इसके ऊपर मंदिर बना देते थे और खजाने तक पहुंचने के लिए अलग से रास्ते बनाते थे।इसके अलावा…

यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : India and  Jawala Devi Mandir and  Kaal bhairav temple and  Kamakhya Mandir and  Kanyakumari Devi Temple and  Karni Mata Temple and  Khajuraho Temples and  Meru religion spot Mount kailash and  Shani-shingnapur and  Somnath Temple and  ujjain and  अजंता-एलोरा के मंदिर and  उज्जैन का काल भैरव मंदिर and  कन्याकुमारी देवी मंदिर and  करनी माता का मंदिर and  कामाख्या मंदिर and  कैलाश पर्वत and  खजुराहो का मंदिर and  ज्वाला देवी मंदिर and  भारत and  मेरू रिलीजन स्पॉट and  शनि शिंगणापुर and  सोमनाथ मंदिर  

भारत के 10 रहस्यमय मंदिर, कोई नहीं जान पाया अब तक इनके राज – प्राचीनकाल में जब मंदिर बनाए जाते थे तो वास्तु और खगोल विज्ञान का ध्यान रखा जाता था। इसके अलावा राजा-महाराजा अपना खजाना छुपाकर इसके ऊपर मंदिर बना देते थे और खजाने तक पहुंचने के लिए अलग से रास्ते बनाते थे।इसके अलावा भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनका संबंध न तो वास्तु से है, न खगोल विज्ञान से और न ही खजाने से इन मंदिरों का रहस्य आज तक कोई जान पाया है। ऐसे ही 10 मंदिरों के बारे में हमने आपके लिए जानकारी जुटाई है।

10 Mysterious Temple Of India in Hindi :-

भारत में वैसे तो हजारों रहस्यमय मंदिर हैं लेकिन यहां प्रस्तुत हैं कुछ खास 10 प्रसिद्ध रहस्यमय मंदिरों की संक्षिप्त जानकारी जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

करनी माता का मंदिर (Karni Mata Temple)

करनी माता का यह मंदिर जो बीकानेर (राजस्थान) में स्थित है, बहुत ही अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में रहते हैं लगभग 20 हजार काले चूहे। लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। करणी देवी, जिन्हें दुर्गा का अवतार माना जाता है, के मंदिर को चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है।

{ पढ़ें :- भारत का एक मात्र मंदिर जहाँ राष्ट्रीय पर्वो पर फहराया जाता है तिरंगा }

यहां चूहों को काबा कहते हैं और इन्हें बाकायदा भोजन कराया जाता है और इनकी सुरक्षा की जाती है। यहां इतने चूहे हैं कि आपको पांव घिसटकर चलना पड़ेगा। अगर एक चूहा भी आपके पैरों के नीचे आ गया तो अपशकुन माना जाता है। कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुजर गया तो आप पर देवी की कृपा हो गई समझो और यदि आपने सफेद चूहा देख लिया तो आपकी मनोकामना पूर्ण हुई समझो।

कन्याकुमारी देवी मंदिर  (Kanyakumari Devi Temple)

कन्याकुमारी प्वांइट को इंडिया का सबसे निचला हिस्सा माना जा है। यहां समुद्र तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है। यहां मां पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। यह देश में एकमात्र ऐसी जगह है जहां मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरूषों को कमर से ऊपर के क्लॉथ्स उतारने होंगे।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर देवी का विवाह संपन्न न हाे पाने के कारण बचे हुए दाल-चावन बाद में कंकड़-पत्थर बन गए। कहा जाता है इसलिए ही कन्याकुमारी के बीच या रेत में दाल और चावल के रंग-रूप वाले कंकड़ बहुत मिलते हैं। आश्चर्य भरा सवाल तो यह भी है कि ये कंकड़-पत्थर दाल या चावल के आकार जितने ही देखे जा सकते हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य : यदि आप मंदिर दर्शन को गए हैं तो यहां सूर्योदय और सूर्यास्त भी देखें। कन्याकुमारी अपने ‘सनराइज’ दृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है। सुबह हर विश्रामालय की छत पर टूरिस्टों की भारी भीड़ सूरज की अगवानी के लिए जमा हो जाती है। शाम को अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी यादगार होता है। उत्तर की ओर करीब 2-3 किलोमीटर दूर एक सनसेट प्वॉइंट भी यहां है।

{ पढ़ें :- क्या आपको मालूम है कि स्वर्ण मंदिर में चार दरवाजे क्यों हैं ! }

मेरू रिलीजन स्पॉट, कैलाश पर्वत  (Meru religion spot Mount kailash)

कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22,068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय के उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है, जो चार धर्मों- तिब्बती धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू का आध्यात्मिक केंद्र है। कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से 4 नदियों का उद्गम हुआ है- ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलुज व करनाली।

शनि शिंगणापुर (Shani-shingnapur)

देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्वप्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है।

यहां शिगणापुर शहर में भगवान शनि महाराज का खौफ इतना है कि शहर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं हैं। दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज सजा स्वयं दे देते हैं। इसके कई प्रत्यक्ष उदाहरण देखे गए हैं। शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए यहां पर विश्वभर से प्रति शनिवार लाखों लोग आते हैं।

सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple)

सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। प्राचीनकाल में इसका शिवलिंग हवा में झूलता था, लेकिन आक्रमणकारियों ने इसे तोड़ दिया। माना जाता है कि 24 शिवलिंगों की स्थापना की गई थी उसमें सोमनाथ का शिवलिंग बीचोबीच था। इन शिवलिंगों में मक्का स्थित काबा का शिवलिंग भी शामिल है। इनमें से कुछ शिवलिंग आकाश में स्थित कर्क रेखा के नीचे आते हैं।

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इस स्थान को सबसे रहस्यमय माना जाता है। यदुवंशियों के लिए यह प्रमुख स्थान था। इस मंदिर को अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।

{ पढ़ें :- इस मंदिर की माता आज भी अपने एक खास भक्त का कर रही हैं इंतजार ! }

यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे, तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था, तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।

कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir)

कामाख्या मंदिर को तांत्रिकों का गढ़ कहा गया है। माता के 51 शक्तिपीठों में से एक इस पीठ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह असम के गुवाहाटी में स्थित है। यहां त्रिपुरासुंदरी, मतांगी और कमला की प्रतिमा मुख्य रूप से स्थापित है। दूसरी ओर 7 अन्य रूपों की प्रतिमा अलग-अलग मंदिरों में स्थापित की गई है, जो मुख्य मंदिर को घेरे हुए है।

पौराणिक मान्यता है कि साल में एक बार अम्बूवाची पर्व के दौरान मां भगवती रजस्वला होती हैं और मां भगवती की गर्भगृह स्थित महामुद्रा (योनि-तीर्थ) से निरंतर 3 दिनों तक जल-प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाहित होता है। इस मंदिर के चमत्कार और रहस्यों के बारे में किताबें भरी पड़ी हैं। हजारों ऐसे किस्से हैं जिससे इस मंदिर के चमत्कारिक और रहस्यमय होने का पता चलता है।

अजंता-एलोरा के मंदिर (Kamakhya Mandir)

अजंता-एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित‍ हैं। ये गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। 29 गुफाएं अजंता में तथा 34 गुफाएं एलोरा में हैं। इन गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया गया है। इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। इन गुफाओं के रहस्य पर आज भी शोध किया जा रहा है। यहां ऋषि-मुनि और भुक्षि गहन तपस्या और ध्यान करते थे।

सह्याद्रि की पहाड़ियों पर स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग 5 प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं। घोड़े की नाल के आकार में निर्मित ये गुफाएं अत्यंत ही प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व की हैं। इनमें 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात तक के बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है। इन गुफाओं में हिन्दू, जैन और बौद्ध 3 धर्मों के प्रति दर्शाई गई आस्था के त्रिवेणी संगम का प्रभाव देखने को मिलता है। दक्षिण की ओर 12 गुफाएं बौद्ध धर्म (महायान संप्रदाय पर आधारित), मध्य की 17 गुफाएं हिन्दू धर्म और उत्तर की 5 गुफाएं जैन धर्म पर आधारित हैं।

खजुराहो का मंदिर (Khajuraho Temples)

आखिर क्या कारण थे कि उस काल के राजा ने सेक्स को समर्पित मंदिरों की एक पूरी श्रृंखला बनवाई? यह रहस्य आज भी बरकरार है। खजुराहो वैसे तो भारत के मध्यप्रदेश प्रांत के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा-सा कस्बा है लेकिन फिर भी भारत में ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है खजुराहो। खजुराहो भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है।

{ पढ़ें :- भारत में है एक ऐसा मंदिर जहाँ प्रसाद में मिलते है सोने के गहने }

चंदेल शासकों ने इन मंदिरों का निर्माण सन् 900 से 1130 ईसवीं के बीच करवाया था। इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान अल बरुनी (1022 ईसवीं) तथा अरब मुसाफिर इब्न बतूता का है। कला पारखी चंदेल राजाओं ने करीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों का निर्माण करवाया था, लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है। ये मंदिर शैव, वैष्णव तथा जैन संप्रदायों से संबंधित हैं

उज्जैन का काल भैरव मंदिर (Kaal bhairav temple, Ujjain)

हालांकि इस मंदिर के बारे में सभी जानते हैं कि यहां की काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है इसीलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब चढ़ाई जाती है। यही शराब यहां प्रसाद के रूप में भी बांटी जाती है। कहा जाता है कि काल भैरव नाथ इस शहर के रक्षक हैं। इस मंदिर के बाहर साल के 12 महीने और 24 घंटे शराब उपलब्ध रहती है।

ज्वाला देवी मंदिर (Jawala Devi Mandir)

ज्वालादेवी का मंदिर हिमाचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता की जीभ गिरी थी। हजारों वर्षों से यहां स्थित देवी के मुख से अग्नि निकल रही है। इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी।

इस जगह का एक अन्य आकर्षण ताम्बे का पाइप भी है जिसमें से प्राकृतिक गैस का प्रवाह होता है। इस मंदिर में अलग अग्नि की अलग-अलग 9 लपटें हैं, जो अलग-अलग देवियों को समर्पित हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह मृत ज्वालामुखी की अग्नि हो सकती है।

हजारों साल पुराने मां ज्वालादेवी के मंदिर में जो 9 ज्वालाएं प्रज्वलित हैं, वे 9 देवियों महाकाली, महालक्ष्मी, सरस्वती, अन्नपूर्णा, चंडी, विन्ध्यवासिनी, हिंगलाज भवानी, अम्बिका और अंजना देवी की ही स्वरूप हैं। कहते हैं कि सतयुग में महाकाली के परम भक्त राजा भूमिचंद ने स्वप्न से प्रेरित होकर यह भव्य मंदिर बनवाया था। जो भी सच्चे मन से इस रहस्यमयी मंदिर के दर्शन के लिए आया है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।


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2012-02-17T23:18:38+05:30
Indian Spiritual Team
Indian Spiritual
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