हर धार्मिक कार्य और त्योंहार गणेश जी की वंदना के साथ ही शुरू होता है। गणेश जी की मूर्ति की संरचना कुछ इस तरह की है कि उसमें मनुष्य और पशु हाथी दोनों का मिश्रण दिखाई देता है। जिससे इसकी पूजा के प्रति लोगों में गहरी आध्यात्मिक महत्व की दार्शनिक अवधारणा दिखाई देती है।6 Life…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : भगवान गणेश
हर धार्मिक कार्य और त्योंहार गणेश जी की वंदना के साथ ही शुरू होता है। गणेश जी की मूर्ति की संरचना कुछ इस तरह की है कि उसमें मनुष्य और पशु हाथी दोनों का मिश्रण दिखाई देता है। जिससे इसकी पूजा के प्रति लोगों में गहरी आध्यात्मिक महत्व की दार्शनिक अवधारणा दिखाई देती है।
भगवान गणेश का रूप हाथी का सिर, बड़ा पेट और चूहे की सवारी करते हुये दिखाई देता है। गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। वे सभी परेशानियों को दूर करते हैं इसलिए उन्हें ‘विघ्नेश्वर’ कहा जाता है। उनका हाथी का सिर बुद्धि का प्रतीक है और उनके बड़े कान इस बात को दर्शाते हैं कि वे अपने भक्तों की हर बात सुनते हैं। भगवान गणेश के बारे में ऐसी कई कहानियाँ हैं जिनसे पता चलता है कि वे बुद्धि के देवता क्यों हैं।
ज़िम्मेदारी का एहसास : हम सब को भगवान शिव की कहानी ध्यान है कि किस तरह गणेश जी के हाथी का सिर लगा था। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपना कर्तव्य और ज़िम्मेदारी का पालन करना चाहिए। भगवान गणेश ने माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुये अपने सिर का बलिदान कर दिया।
अपने सीमित साधनों का बेहतरीन इस्तेमाल करें : हममें से अधिकतर लोगों को जीवन में सीमित साधनों का शिकवा होता है। लेकिन गणेश और कार्तिकेय की कहानी सिखाती है कि किस तरह जीवन में सीमित साधनों का बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। कहानी के अनुसार, एक बार गणेश और कार्तिकेय के बीच उनके माता पिता शिव-पार्वती ने दुनिया के तीन चक्कर लगाने की प्रतियोगिता रखी। उसमें जीतने वाले को एक चमत्कारिक फल का इनाम रखा गया था। कार्तिकेय तुरंत अपने मोर के वाहन पर सवार हो गए। गणेश जी को पता था कि उनके सवारी तो चूहा है जिस पर बैठकर वे कार्तिकेय को पीछे नहीं छोड़ सकते हैं। इसलिए उन्होने अपने माता-पिता के ही तीन चक्कर लगा दिये और कहा उनके लिए तो वे ही पूरी दुनिया हैं। इस तरह गणेश जी ने सीमित साधनों और अपनी बुद्धि से प्रतियोगिता जीतकर चमत्कारी फल प्राप्त किया।
अच्छे श्रोता बनें : गणेश जी के बड़े कान प्रभावी संवाद के प्रतीक हैं। एक अच्छा श्रोता स्थिति को अच्छे से समझ सकता है। दूसरों को सही तरह सुनने से आपको स्थिति को समझने और सही निर्णय लेकर उचित समाधान निकालने में मदद मिलती है।
शक्ति पर नियंत्रण होना चाहिए : शक्ति का गलत इस्तेमाल आपका विनाश कर सकता है। गणेश जी की सूंड मुड़ी हुई है जो कि दर्शाती है कि गणेश जी का उनकी शक्ति पर नियंत्रण है। यह हमारे लिए एक सबक है कि शक्तियों को अपने नियंत्रण में रखना चाहिए और उनका सही इस्तेमाल करना चाहिए।
दूसरों के प्रति क्षमा भावना : एक बार गणेश जी भोज को पर बुलाया गया और उन्होने ज्यादा खा लिया। वापस आते समय चंद्रमा ने उनके फूले हुये पेट का मज़ाक उड़ाया। इस पर गणेश जी ने उसे अदृश्य होने का श्राप दिया। चंद्रमा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने क्षमा मांगी। गणेश जी ने तुरंत उसे क्षमा कर दिया और कहा कि तुम रोज थोड़ा थोड़ा छुपते जाओगे और महीने में सिर्फ एक दिन अदृश्य होगे। इस प्रकार हमें बुद्धि के देव गणेश से क्षमा करने की सीख मिलती है।
दूसरों के प्रति मानवता और सम्मान की भावना : यह उनकी सवारी में देखने को मिलती है। वे एक छोटे चूहे पर सवार होते हैं। इससे यह प्रतीत होता है भगवान गणेश छोटे से छोटे जीव को भी आदर देते हैं। यह हमें आत्मसात करने और सबका सम्मान करने की प्रेरणा देता है। ऐसा करके ही हम जीवन में सम्माननीय स्थान पा सकते हैं।