हिंदू धर्म के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है, लेकिन श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध करने की मनाही है। महाभारत के अनुसार, इस दिन केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना में या शस्त्राघात (शस्त्र के वार से)…
हिंदू धर्म के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है, लेकिन श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध करने की मनाही है। महाभारत के अनुसार, इस दिन केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना में या शस्त्राघात (शस्त्र के वार से) से हुई हो।
इस तिथि पर अकाल मृत्यु (दुर्घटना, आत्महत्या आदि) को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करने का ही महत्व है। इस तिथि पर स्वाभाविक रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन परिजनों का श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ रहता है।
श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि से संबंधित अन्य बातें इस प्रकार हैं-
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