मृत्यू के बाद क्या? इस पर खूब सारी बातें आपने पहले से सुन रखी होंगी. ऊपर वाले से डरो… ऐसे कितने ही वाक्य आपने सुने होगे, पर दुनिया में इसको लेकर क्या मान्यताएं हैं, इसको जानते हैं.Afterlife Beliefs From Different Religions in Hindi :- 1. ग्रीक-रोमन धर्म : ग्रीक और रोमन धर्म के लोग मानते…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : marne ke baad ki zindagi and marne ke baad kya hoga and marne ke baad kya hoga in hindi and marne ke baad kya hoga in islam and Marne ke baad kya hota hai and marne ke baad kya hota hai in islam and maut ke baad ka manzar in hindi and maut ke baad ki zindagi and mrityu kaise hoti hai and मरने के बाद आदमी कहाँ जाता है and मरने के बाद की ज़िन्दगी and मरने के बाद क्या होता है and मरने के बाद क्या होता है इंसान का and मृत्यु के बाद कब मिलता है नया शरीर and मृत्यु के बाद का अनुभव and मृत्यु के बाद का सच and मृत्यु के बाद का सत्य and मृत्यु के बाद जीवन and मृत्यु रहस्य मरने के बाद आत्मा कहाँ जाती है and मौत के बाद का रहस्य and मौत के बाद क्या होता है
मृत्यू के बाद क्या? इस पर खूब सारी बातें आपने पहले से सुन रखी होंगी. ऊपर वाले से डरो… ऐसे कितने ही वाक्य आपने सुने होगे, पर दुनिया में इसको लेकर क्या मान्यताएं हैं, इसको जानते हैं.
ग्रीक और रोमन धर्म के लोग मानते हैं कि मौत के साथ उस आत्मा कार्य समाप्त हो जाता है. फिर वह आत्मा पाताल लोक में एक खास जगह पर चले जाते हैं, जहां ईश्वर उनके बारे में फैसला लेते हैं. ईश्वर के अपने नियम-कानून हैं. कुछ लोगों का मानना है कि ओलंपस पर्वत पर ओलंपिक नाम की जगह है, जहां देवताओं का निवास है. वे लोग जो अच्छे आचरण से जीवन व्यतीत करते हैं, मरने के बाद वहीं जाते हैं. वह एक तरह का स्वर्ग है. जो अच्छे आचरण नहीं रखते उन्हें पाताल लोक में दंड दिया जाता है.
यह मान्यता है कि उसी रहस्यमयी जगह पर इस धर्म के देवता ज्यूस उस शख्स के बारे में फैसला लेते हैं. यहां तक कि पृथ्वी पर रहने वाले हर व्यक्ति के भाग्य का फैसला यहीं होता है. हालांकि त्याग और बलिदान और सदाचार से अपने भाग्य को नियंत्रित किया जा सकता है.
बहाई धर्म में आस्था रखने वालों का मानना है कि आत्मा शाश्वत है. यह न मरती है और जन्म लेती है. यह स्वर्ग और नर्क में विश्वास नहीं रखते. इंसान अपने कर्मों के फल इसी धरती पर भुगतता है. मरने के बाद उसे कोई यातना या सुख नहीं मिलता. वह मानते हैं कि उनके बस एक देवता है, जो इसी धरती पर मौजूद है. औरों के विपरीत वे अन्य धर्मों के देवताओं को पूजने से कतराते नहीं. वह मानते हैं कि उनके ईश्वर बहाउल्लाह अन्य धर्मों के देवताओं के ही एक औतार हैं. वह मानते हैं कि कृष्ण, ईसा मसीह, मुहम्मद, बुद्ध, जरथुस्त्र, मूसा आदि के अगले औतार बहाउल्लाह हैं। हालांकि इस धर्म को मानने वालों की संख्या दुनियाभर में महज 8 लाख के आसपास है.
पारसी धर्म के लोग मानते हैं उनका एक देवता है, जिनका नाम है अहुरा मजदा. और एक शैतान है, जिसका नाम है अंगिरा मैन्यु (आहरीमान). इस धर्म की आस्ता एक किताब से है, जिसका नाम जन्द अवेस्ता है. इसके मुताबिक पारसी धर्म के अनुयायियों का मानना है कि जब एक व्यक्ति मर जाता है, तो उसे उसके कर्मों के आधार पर स्वर्ग अथवा नर्क जैसी किसी तगह पर भेजा जाता है. इसके लिए चिनवट नाम के पुल से होकर गुजरना होता है. यही फैसला होता है कि वह स्वर्ग में जाएंगे या नर्क में.
दरअसल, इस धर्म में दैहिक मृत्यु को बुराई की अस्थायी जीत माना गया है. इसके बाद मृतक की आत्मा का इंसाफ होगा, ऐसा माना जाता है. अगर मरने वाला आदमी का चरित्र सदाचारी हुआ तो आनंद व प्रकाश में वास पाएगी और यदि दुराचारी हुआ तो अंधकार व नैराश्य की गहराइयों में जाएगी. लेकिन अहम बात यह कि दुराचारी आत्मा की यह स्थिति भी अस्थायी है. इस धर्म का अंतिम उद्देश्य अच्छाई की जीत को मानता है, बुराई की सजा को नहीं. इसलिए बुरी आत्माओं को बार-बार जन्म हुआ करता है.
जैन धर्म करीब 5 लाख अनुयायियों का मानना है कि संसार का न कोई चलाने वाला है और न कोई विनाश करने वाला. इस संसार में कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो जीवों को कोई सुख दुःख देती है. इस संसार में जो कुछ होता है उसे जीव खुद ही तय करते हैं. कोई बलशाली जीव अपने से निर्बल जीव को मारता है तो निर्बल जीव को दुख होता है.
यहां सभी अपने-अपने कर्मों के अनुसार जीव सुख-दुख पाते हैं. दुष्कर्म करने वाले को कभी मुक्ति नहीं मिलती. वह बार-बार इसी दुनिया में आकर संघर्ष करेगा. इस धर्म में यही सबसे बड़ी सजा है. वह किसी प्रभावशाली ईश्वर को नहीं मानते. कोई मंदिर नहीं बनवाते. पूजा करने के लिए लिए किसी जगह विशेष की बांट नहीं जोहते. वह जीव सेवा को ही अपनी पूजा मानते हैं. वह मांसाहार के एकदम खिलाफ हैं.
यह धर्म एक ग्रंथ पर टिका हुआ है. उसी से जीवन-मृत्यु और मृत्यु के बाद जीव का क्या होता है, इसके बारे में लिखा हुआ है. इस धर्म के प्रचारक गुरुनानकदेव के मुताबिक ईश्वर एक है, उसी ने सबको बनाया है. हिन्दू-मुसलमान-सिख-ईसाई सब एक ही ईश्वर की संतानें हैं. उन्होंने यह भी बताया है कि ईश्वर सत्य है और मनुष्य को अच्छे कार्य करने चाहिए ताकि परमात्मा के दरबार में उसे लज्जित न होना पड़े.
यानि इस धर्म में मान्यता है कि परमात्मा का दरबार है. मृत्यु के बाद वहां जवाब देना होता है. आशय है कि जीवनोपरांत अच्छे बुरे कर्मों के फल मिलने की मान्यता है. इसके अनुयायी दुनियाभर में फैले हैं. भारत में सबसे अधिक हैं.
ऊपर के सभी धर्मों में इस्लाम के सबसे अधिक अनुयायी हैं. दुनिया कुल आबादी का चौथा हिस्सा इस्लाम धर्म को ही मानता है. यह धर्म भी एक ईश्वर में विश्वास रखता है. इस धर्म के पवित्र ग्रंथ कुअरान में जीवन के तौर तरीकों और मृत्यु पश्चात होने वाले गतिविधियों के बारे में लिखा हुआ है. हालांकि इस धर्म के तौर तरीकों पर मौके दर मौके सवाल उठते रहे हैं. लेकिन इसके अनुयायी कुरआन को पाक-साफ और खुदा का संदेश मानते हैं. इस धर्म में एक पुरुष का 72 महिलाओं के साथ संबंध स्थापित करना नाजयज नहीं है.
जबकि महिला केवल एक पुरुष को ही अपना सकती है. मांसाहार आदि को भी यह धर्म बढ़ावा देता है. कुछ एक त्योहारों पर केवल मांसाहार का ही प्रचलन है. लेकिन इस धर्म में भी जन्नत यानि स्वर्ग और दोजख यानि नर्क में जाने की बात है. अगर आप कुरआन के तौर तरीकों के मुताबिक जीवन गुजारेंगे तो आपको जन्नत नसीब होगी अन्यथा आप दोजख में जाएंगे. दोखज में यातनाएं दी जाती हैं.
बौध धर्म की शुरुआत भारत से हुई है. 600 ईसा पूर्व शुरू हुआ यह धर्म आज दुनिया का दुसरा सबसे बड़ा धर्म है. चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया समेत करीब 18 देशों में यह ‘प्रमुख धर्म’ है. इसके अलावा भी भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रशिया, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में इसके करोड़ों अनुयायी है. इतने बृहद धर्म की मान्यताएं भगवान गौतम बुद्ध के दर्शन पर टिकी हैं. इस धर्म का उद्देश्य संसार से दुख का अंत करना. बौध दर्शन के मुताबिक सबको उसके कर्मों के फल मौत के बाद नहीं मिलता.
यह दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है. इस धर्म के भगवान प्रभु ईसा मसीह का प्रभाव इतना अधिक है कि अन्य धर्म को मानने वाले भी उनकी पूजा करते हैं. यह धर्म भी एक ही ईश्वर पर विश्वास करता है. लेकिन यह ईश्वर तीन चीजों से मिलकर बने हैं. परमपिता परमेश्वर, उनके पुत्र ईसा मसीह (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा.
अब जब धर्म में ईश्वर ही पवित्र आत्मा है यानि कि हर उस इंसान जिसकी आत्मा पवित्र है वह ईश्वर तुल्य है. आत्मा पवित्र होने के तरीके धर्म के ग्रंथ बाइबिल में लिखे हुए हैं. और बुरे कर्म करने वालों को परमपिता परमेश्वर कभी माफ करता है. पर उनके साथ क्या करता है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.
यह प्रमुख रूप से भारत और नेपाल में माना जाता है. भारत की जनसंख्या अधिक होने की वजह से यह भी सबसे अधिक माना जाने वाला धर्मों में से एक है. इस धर्म की मान्यता अनुसार यह मानव जाति की उत्पत्ति से भी पुराना धर्म है. इसमें बहुत विविधता है. इस धर्म के मानने वालों के लिए कोई एक ईश्वर नहीं है. कोई एक धर्म ग्रंथ नहीं है.
इसलिए जीवन की पद्धति और मृत्योपरांत होने वाली बातों में भी विविधता है. असल में इस धर्म के बारे में कहा जाता है कि इसे किसी ने स्थापित नहीं किया. इसका किसी ने प्रचार नहीं किया. यह एक जीवन पद्धति है. स्वतः लोगों ने जिंदगी जीते-जीते एक धर्म बनाया जो हिन्दू धर्म है. तमाम मान्यताओं के बीच एक जो सार्वभौमिक मान्यता है वह इसमें स्वर्ग और नर्क होने की बात की जाती है. स्वर्ग में सुख और नर्क में यातनाएं दी जाती हैं.