श्रीकृष्ण के इंसानी शरीर छोड़ने के कारण – भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवनकाल में कई लीलाएं और चमत्कार किये। लेकिन वे भगवान होकर भी इंसान थे क्योंकि उन्होंने एक इंसानी शरीर के रूप में जन्म लिया था और इंसानी शरीर नश्वर होता है, जिसे एक ना एक दिन त्यागना ही पड़ता है।Arvind Kejriwal Wife Sunita…
श्रीकृष्ण के इंसानी शरीर छोड़ने के कारण – भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवनकाल में कई लीलाएं और चमत्कार किये। लेकिन वे भगवान होकर भी इंसान थे क्योंकि उन्होंने एक इंसानी शरीर के रूप में जन्म लिया था और इंसानी शरीर नश्वर होता है, जिसे एक ना एक दिन त्यागना ही पड़ता है।
कहा जाता है कि भगवान कृष्ण को भी ये शरीर छोड़ना ही था और वेद-पुराणों में श्रीकृष्ण के इंसानी शरीर छोड़ने के कारण बताएं गए।
1 – पहल कारण
जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ तब युधिष्ठिर का राजतिलक हो रहा था। तब कौरवों की माता गांधारी ने कौरवों की मौत और महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया। गांधारी ने कहा कि जिस तरह कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी तरह कृष्ण के वंश यदुवंश का भी नाश होगा और 36 वर्ष बाद कृष्ण को भी देह त्यागनी पड़ेगी। कहा जाता है कि इसी श्राप के चलते श्रीकृष्ण द्वारिका छोड़कर और यदुवंशियों को साथ लेकर प्रभास क्षेत्र में आ गये।
2 – दूसरा कारण
जब कई वर्ष बीत गए तब एक बार श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को शरारत सूझी।
सांब कुछ यदुवंशियों के साथ ऋषि दुर्वासा, वशिष्ठ और नारद के पास गर्भवती स्त्री का रूप बनाकर पहुंचा। सांब ने कहा कि वो गर्भवती है और उसे उसके बच्चे का लिंग जानना है। ऋषि इस शरारत से क्रोधित हो गए और उन्होंने श्राप दिया कि उसके गर्भ से एक मूसल का जन्म होगा जिससे पूरे यदुवंश का विनाश हो जायेगा। ऋषियों के इस श्राप से यदुवंशी घबरा गए और वे उग्रसेन के पास गए, उग्रसेन ने श्राप को विफल करने के लिए मूसल का चूरा करवाकर समुद्र में फिंकवा दिया। उस चूरे का एक टुकड़ा मछली निगल गई और बाकि मूसल समुद्र के किनारे घास के रूप में उग आई।
कहा जाता है कि श्राप से प्रभावित होकर यदुवंशी आपस में और नशे में एक-दूसरे पर घास से प्रहार करने लगे।
घास प्रहार करते समय मूसल का रूप ले लेती इसी कारण सारे यदुवंश का अंत हो गया। कहा जाता है कि मूसल का जो टुकड़ा मछली ने निगल लिया था वो एक बहलिए को मिल गया और उसने उसका तीर बना लिया। एक बार जब श्रीकृष्ण ध्यान में बैठे हुए थे तब वो तीर उनके पंजे पर जा लगा जिसे चमकता हुआ देख बहलिए ने हिरण की आँख समझ लिया था। इस तीर के लगने पर उन्होंने शरीर छोड़ दिया।
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