हमारे हिन्दू धर्म में दान का अत्यधिक महत्व माना गया है, यह सिर्फ केवल हमारा रिवाज एवं परम्परा मात्र नहीं है बल्कि दान करने के पीछे हमारे धर्मिक ग्रंथो एवं शास्त्रों में महत्वपूर्ण उद्देश्य बताए गए है. ग्रंथो के अनुसार जब कोई व्यक्ति दान करता है तो उसके प्रभाव से उसे इंद्रिय आसक्ति से मुक्ति…
हमारे हिन्दू धर्म में दान का अत्यधिक महत्व माना गया है, यह सिर्फ केवल हमारा रिवाज एवं परम्परा मात्र नहीं है बल्कि दान करने के पीछे हमारे धर्मिक ग्रंथो एवं शास्त्रों में महत्वपूर्ण उद्देश्य बताए गए है. ग्रंथो के अनुसार जब कोई व्यक्ति दान करता है तो उसके प्रभाव से उसे इंद्रिय आसक्ति से मुक्ति प्राप्त होती है तथा मस्तिक एवं मन की ग्रंथियों खुलती है जो उसके मृत्युकल के समय सहायक होती है.
हमारे धर्मिक शास्त्रों में कहा गया है की हर व्यक्ति की उसके मृत्यु से पहले सभी गाठो का खुलना आवश्यक है, जो हमारे जीवन की इस उथल पुथल के कारण बंधी रह गई है. या दूसरे शब्दों में हम कह सकते है की जीवन भर के दुष्कर्मो से मुक्त होने के लिए दान ही सबसे सरलतम एवं उत्तम उपाय है. वेदों तथा पुराणों में दान के महत्व पर जोर दिया गया है.
इसी वजह से हमारे अत्यन्त प्राचीन हिन्दू धर्म आज भी दान देने की परम्परा चली आ रही है. परन्तु दान देने की परम्परा निभाते हुए यह भी ध्यान देना चाहिए की क्या यह ज्योतिष के अनुसार है या नहीं.
ज्योतिषियों द्वारा किसी व्यक्ति विशेष की जन्म पत्रिका का आंकलन करने के बाद, जीवन में सुख, समृद्धि एवं अन्य इच्छाओं की पूर्ति हेतु दान कर्म करने की सलाह दी जाती है. दान किसी वस्तु का, भोजन का, और यहां तक कि महंगे आभूषणों का भी किया जाता है.
ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक वस्तु का दान करने के पीछे एक उद्देश्य, उससे मिलने वाला परिणाम एवं उसमें छिपा विज्ञान है. हर वस्तु अपने दान के उपरांत उससे संबंधित परिणाम देती है. ऐसा कहा जाता है कि दान की गई वस्तुओं में कुछ ऐसी शक्ति होती है कि जिसके माध्यम से ही हमें मन मुताबिक फल की प्राप्ति होती है.
आपने यह तो सुना होगा कि जन्म कुण्डली के विभिन्न ग्रहों को शांत करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के दान कर्म किए जाते हैं. जैसा हमें ज्योतिषी बताते हैं हम उसी अनुसार वस्तुओं का दान करते हैं. लेकिन क्या कभी किसी ज्योतिषी ने आपको बताया है कि किस समय कैसा दान नहीं करना चाहिए ?
जन्म कुण्डली में कुछ ग्रहों को मजबूत एवं दुष्ट ग्रहों को शांत करने के लिए तो हम दान-पुण्य करते ही हैं, लेकिन ग्रहों की कैसी स्थिति में हमें कैसा दान नहीं करना चाहिए, यह भी जानने योग्य बात है.
क्योंकि ग्रहों की स्थिति के विपरीत यदि दान कर्म किया जाए, तो वह और भी बुरा असर देता है. ऐसे में हमारे द्वारा किया गया दान हमें अच्छा फल देने की बजाय, बुरा फल देना आरंभ कर देता है. और हमें इस बात की जानकारी भी नहीं होती.
ग्रहों की किस स्थिति में कैसा दान कर्म भूलकर भी नहीं करना चाहिए, हम आज यही आपको बताने जा रहे हैं. ज्योतिष विधा के अनुसार जन्मकुंडली में जो ग्रह उच्च राशि या अपनी स्वयं की राशि में स्थित हों, उनसे सम्बन्धित वस्तुओं का दान व्यक्ति को कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसा दान हमें हमेशा हानि ही देता है.
सूर्य मेष राशि में होने पर उच्च तथा सिंह राशि में होने पर अपनी स्वराशि का होता है. यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य इन्हीं दो राशियों में से किसी एक में हो तो उसे लाल या गुलाबी रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए. इसके अलावा गुड़, आटा, गेहूं, तांबा आदि दान नहीं करना चाहिए.
सूर्य की ऐसी स्थिति में ऐसे जातक को नमक कम करके, मीठे का सेवन अधिक करना चाहिए.
चन्द्र वृष राशि में उच्च तथा कर्क राशि में अपनी राशि का होता है. यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में चंद्र ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे खाद्य पदार्थों में दूध, चावल एवं आभूषणों में चांदी एवं मोती का दान नहीं करना चाहिए. ऐसे जातक के लिए माता या अपने से बड़ी किसी भी स्त्री से दुर्व्यवहार करना हानिकारक हो सकता है. किसी स्त्री का अपमान करने पर ऐसे जातक मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं.
जिस जातक के लिए चंद्र ग्रह स्वराशि हो उसे किसी नल, टयूबवेल, कुआं, तालाब अथवा प्याऊ निर्माण में कभी आर्थिक रूप से सहयोग नहीं करना चाहिए. यह उस जातक के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक सिद्ध हो सकता है.
मंगल मेष या वृश्चिक राशि में हो तो स्वराशि का तथा मकर राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है. यदि आपकी कुण्डली में मंगल ग्रह ऐसी स्थिति में है तो, मसूर की दाल, मिष्ठान अथवा अन्य किसी मीठे खाद्य पदार्थ का दान ना करें.
आपके घर यदि मेहमान आए हों तो उन्हें कभी सौंफ खाने को न दें अन्यथा वह व्यक्ति कभी किसी अवसर पर आपके खिलाफ ही कटु वचनों का प्रयोग करेगा. यदि मंगल ग्रह के प्रकोप से बचना चाहते हैं तो किसी भी प्रकार का बासी भोजन न तो स्वयं खाएं और न ही किसी अन्य को खाने के लिए दें.
बुध मिथुन राशि में तो स्वराशि तथा कन्या राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है. यदि किसी जातक की जन्मपत्रिका में बुध उपरोक्त वर्णित किसी स्थिति में है तो, उसे हरे रंग के पदार्थ और वस्तुओं का दान कभी नहीं करना चाहिए.
हरे रंग के वस्त्र, वस्तु और यहां तक कि हरे रंग के खाद्य पदार्थों का दान में ऐसे जातक के लिए निषेध है. इसके अलावा इस जातक को न तो घर में मछलियां पालनी चाहिए और न ही स्वयं कभी मछलियों को कभी दाना डालना चाहिए.
बृहस्पति जब धनु या मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा कर्क राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है. जिस जातक की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे पीले रंग के पदार्थ नहीं करना चाहिए. सोना, पीतल, केसर, धार्मिक साहित्य या वस्तुओं आदि का दान नहीं करना चाहिए. इन वस्तुओं का दान करने से समाज में सम्मान कम होता है.
शुक्र ग्रह वृष या तुला राशि में हो स्वराशि का एवं मीन राशि में हो तो उच्च भाव का होता है. जिस जातक की कुण्डली में शुक्र ग्रह की ऐसी स्थिति हो, तो उसे श्वेत रंग के सुगन्धित पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी आने लगती है. इसके अलावा नई खरीदी गई वस्तुओं का एवं दही, मिश्री, मक्खन, शुद्ध घी, इलायची आदि का दान भी नहीं करना चाहिए.
शनि यदि मकर या कुम्भ राशि में हो तो स्वगृही तथा तुला राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है. यदि आपकी कुण्डली में शनि की स्थिति है तो आपको काले रंग के पदार्थों का दान कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इसके अलावा लोहा, लकड़ी और फर्नीचर, तेल या तैलीय सामग्री, बिल्डिंग मैटीरियल आदि का दान नहीं करना चाहिए.
राहु यदि कन्या राशि में हो तो स्वराशि का तथा वृष एवं मिथुन राशि में हो तो उच्च का होता है. जिस जातक की कुण्डली इसमें से किसी भी एक स्थिति का योग बने, तो ऐसे जातक को नीले, भूरे रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए. इसके अलावा अन्न का अनादर करने से परहेज करना चाहिए. जब भी ये खाना खाने बैठें, तो उतना ही लें जितनी भूख हो, थाली में जूठन छोड़ना इन्हें भारी पड़ सकता है.
केतु यदि मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा वृश्चिक या फिर धनु राशि में हो तो उच्चता को प्राप्त होता है. यदि आपकी कुण्डली में केतु उपरोक्त स्थिति में है तो आपको घर में कभी पक्षी नहीं पालना चाहिए, अन्यथा धन व्यर्थ के कामों में बर्बाद होता रहेगा. इसके अलावा भूरे, चित्र-विचित्र रंग के वस्त्र, कम्बल, तिल या तिल से निर्मित पदार्थ आदि का दान नहीं करना चाहिए.
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : after blood donation do's and don'ts, after blood donation side effects, alcohol before blood donation, food to eat after blood donation, foods to avoid before donating blood, foods to eat before donating blood, Things to avoid in donation, what not to eat after donating blood, what to eat for breakfast before donating blood, चन्द्र, धर्म, व्यक्ति, सूर्य