सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण; दोनों का प्रभाव हर व्यक्ति पर उसकी राशि, जन्मतिथि, जन्मकुंडली के अनुसार अलग-अलग पड़ता है। कई बार लोगों के ग्रहों की दशा के आधार पर उन्हें सूर्य या चंद्र ग्रहण का दोष लगता है।Chandra Grahan Dosh Remedies in Hindi :- प्राचीन काल से ही ग्रहण को शुभ घड़ी माना…
सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण; दोनों का प्रभाव हर व्यक्ति पर उसकी राशि, जन्मतिथि, जन्मकुंडली के अनुसार अलग-अलग पड़ता है। कई बार लोगों के ग्रहों की दशा के आधार पर उन्हें सूर्य या चंद्र ग्रहण का दोष लगता है।
प्राचीन काल से ही ग्रहण को शुभ घड़ी माना जाता है और लोगों के जीवन पर इसका मंगल प्रभाव पड़ने की कामना की जाती रही है। लेकिन कई बार ये ग्रहण, व्यक्ति के जीवन में भयानक दोष लेकर आ जाते हैं।
इनका उपाय या दोष निवारण करना बेहद आवश्यक होता है। इसके कई उपाय होते हैं। आइए इस लेख में हम आपको चंद्र ग्रहण दोष के बारे में और दोष निवारण को लेकर कुछ आवश्यक जानकारी देते हैं:
श्रीयंत्र खरीदें, और इसे पूजा घर में रखें। श्रीयंत्र, इस दोष को समाप्त करने के लिए काफी अच्छा रहता है। यंत्र को पूरब दिशा की ओर करके रखें। साथ ही हर दिन, ‘ओम श्रीम महालक्ष्मी श्रीम ह्रीम श्रीम नमाय’ का 108 बार करें। इससे लाभ मिलेगा।
अन्य निवारण उपाय –
चंद्र ग्रहण दोष से परेशान जातक, चंद्र ग्रहण के दौरान या फिर सूर्य ग्रहण के दौरान, सात प्रकार के अन्न को लोगों में बांट दे। अच्छे कर्म करें, दान दें। साथ ही हर दिन, ‘ओम श्रीम महालक्ष्मी श्रीम ह्रीम श्रीम नमाय’ का 108 बार करें। आप इस जाप को दिन में दो बार भी कर सकते हैं।
चंद्र ग्रहण दोष क्या होता है –
जब राहु या केतू की युति चंद्र के साथ हो जाती है तो चंद्र ग्रहण दोष हो जाता है। दूसरे शब्दों में, चंद्र के साथ राहु और केतू का नकारात्मक गठन, चंद्र ग्रहण दोष कहलाता है। ग्रहण दोष का प्रभाव, विभिन्न राशियों पर विभिन्न प्रकार से पड़ता है जिसके लिए जन्मकुंडली, ग्रहों की स्थिति भी मायने रखती है।
चंद्र ग्रहण दोष के विभिन्न कारण –
चंद्र ग्रहण दोष के कई कारण होते हैं और हर व्यक्ति के जीवन पर उसका प्रभाव भी अलग तरीके से पड़ता है। चंद्र ग्रहण दोष का सबसे अधिक प्रभाव, उत्तरा भादपत्र नक्षत्र में पड़ता है। जो जातक, मीन राशि का होता है और उसकी कुंडली में चंद्र की युति राहु या केतू के साथ स्थित हो जाएं, ग्रहण दोष के कारण स्वत: बन जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों पर इसके प्रभाव अधिक गंभीर होते हैं।
चंद्र ग्रहण दोष के अन्य कारण –
राहु, राशि के किसी भी हिस्से में चंद्र के साथ पाया जाता है- जबकि केतू समान राशि में चंद्र के साथ पाया जाता है- राहु, चंद्र महादशा के दौरान ग्रहण लगाते हैं – चंद्र ग्रहण के दिन बच्चे को स्नान अवश्य कराएं।
चंद्र ग्रहण दोष का पता किस प्रकार लगाया जा सकता है –
चंद्र ग्रहण दोष का पता लगाने के सबसे पहले जन्मकुंडली का होना आवश्यक होता है, इस जन्मकुंडली में राहु और केतू की दशा को पंडित के द्वारा पता लगाया जा सकता है। या फिर, नवमासा या द्वादसमास चार्ट को देखकर भी दोष को जाना जा सकता है। बेहतर होगा कि किसी ज्ञानी पंडित से सलाह लें। ऐसा माना जाता है कि पिछले जन्म के कर्मों के कारण वर्तमान जन्म में चंद्र ग्रहण दोष लगता है।
चंद्र ग्रहण दोष के परिणाम –
व्यक्ति परेशान रहता है, दूसरों पर दोष लगाता रहता है, उसके मां के सुख में भारी कमी आ जाती है। उसमें सम्मान में कमी अाती है। हर प्रकार से उस व्यक्ति पर भारी समस्याएं आ जाती है जिनके पीछे सिर्फ वही दोषी होता है। साथ ही स्वास्थ्य सम्बंधी दिक्कतें भी आती हैं।