छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ हो चुकी है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का आज दूसरा दिन है। इस दिन व्रती चावल और गुड़ का खीर बनाकर छठी मैया को प्रसाद अर्पित करते हैं। व्रती इसी प्रसाद को खाते हैं और यही प्रसाद लोगों में बांटा भी जाता है।Chhath Parv…
छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ हो चुकी है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का आज दूसरा दिन है। इस दिन व्रती चावल और गुड़ का खीर बनाकर छठी मैया को प्रसाद अर्पित करते हैं। व्रती इसी प्रसाद को खाते हैं और यही प्रसाद लोगों में बांटा भी जाता है।
इस प्रसाद को खाने के बाद अगले दो दिनों तक व्रती कुछ भी नहीं खाएंगे। इसलिए सूर्य षष्ठी व्रत को बड़ा ही कठिन और सभी व्रतों में सबसे उत्तम माना गया है।
इस व्रत में चावल और गुड़ का खीर बनाने की परंपरा के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही शामिल है। धार्मिक कारण यह है कि शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्य की कृपा से ही फसल उत्पन्न होते हैं, इसलिए सूर्य को सबसे पहले नए फसलों का प्रसाद अर्पण करना चाहिए।
छठ पर्व के समय चावल और गन्ना तैयार होकर घर आता है इसलिए गन्ने से तैयार गुड़ और नए धान के चावल का प्रसाद सूर्य देव को भेंट किया जाता है। गुड़ को चीनी से शुद्घ माना गया है। यही कारण है कि छठ पर्व में चीनी की बजाय गुड़ की खीर बनाई जाती है।
जबकि वैज्ञानिक कारण यह है कि गुड़ की तासीर गर्म होती है और यह सुपाच्य होता है। इसलिए गुड़ का उपयोग औषधि बनाने में भी किया जाता है। गुड़ के सेवन से व्रती को अंदर से उर्जा और उष्मा प्राप्त होती है जिससे दो दिनों के व्रत को पूरा करने का बल मिलता है।
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