कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदसी को भगवान धनवन्तरि का अवतार हुआ था। शृष्टि के जीवों को रोग मुक्त करने के लिए भगवान धनवन्तरि आगे बढे। यक्ष राज सुमेर ने कुबेर पर आक्रमण करके कुबेर की सारी सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया था । कुबेर को जंजीरों में जकड कर एक खाईं में डाल दिया था दर्द…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : 10 things you should NOT buy on Dhanteras and brass and Dhanteras and Reason For Buying Utensils On Dhanteras and Why people purchase gold on Dhanteras and चतुर्दशी मनाने की मान्यता and धनतेरस and धनतेरस के दिन चांदी या बर्तन क्यों ख़रीदे जाते हैं and धनतेरस पर क्यों खरीदे बर्तन and नरकासुर
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदसी को भगवान धनवन्तरि का अवतार हुआ था। शृष्टि के जीवों को रोग मुक्त करने के लिए भगवान धनवन्तरि आगे बढे। यक्ष राज सुमेर ने कुबेर पर आक्रमण करके कुबेर की सारी सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया था । कुबेर को जंजीरों में जकड कर एक खाईं में डाल दिया था दर्द से कुबेर कराह रहे थे। कुबेर की आवाज सुनकर भगवान धनवन्तरि उनके पास पहुचे, कुबेर को बंधन मुक्त किया।
भगवान धनवन्तरि ने महालक्ष्मी का आहवाहन किया। माता महालक्ष्मी ने कुबेर को पुन:स्वर्ण, कनक तथा रत्नों के भण्डार दिये । यक्ष सुमेर को पराजित कर केराज्य वापस दिलाया । तथा कुबेर को वरदान दिये। देवों ने अम्बर से पुष्प बरसाये।
रिषियों मुनियों ने मिलकर भगवान धनवन्तरि, महालक्ष्मी तथा कुबेर की पूजा की तब से धरती पर त्रयोदसी तिथि धन तेरस के नाम से जानी गयी । तीनों देवताओं ने रिषियों को वरदान दिया । आज के दिन जो ऩये पात्र,स्वर्ण आभूषण आदि खरीद कर पूजन करेगा उसको कभी धन सम्पदा की कमी नही रहेगी ।
नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष कीचतुर्दशी को कहा जाता है। नरक चतुर्दशी को ‘छोटी दीपावली’ भी कहते हैं। इसके अतिरिक्त इस चतुर्दशी को ‘नरक चौदस’, ‘रूप चौदस’, ‘रूप चतुर्दशी’, ‘नर्क चतुर्दशी’ या ‘नरका पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है।दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी के दिन संध्या के पश्चात दीपक प्रज्जवलित किए जाते हैं। इस चतुर्दशी का पूजन कर अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यमराज जी की पूजा व उपासना की जाती है।
अन्य प्रसंगानुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह में कृष्ण चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके देवताओं व ऋषियोंको उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी। इसके साथ ही कृष्ण भगवान ने सोलह हज़ार कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त करवाया। इसी उपलक्ष्य में नगरवासियों ने नगर को दीपों से प्रकाशित किया और उत्सव मनाया। तभी से नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाने लगा।