दीपावली पूजन का अर्थ लक्ष्मी पूजा से लगाया जाता है, किंतु इसके अंतर्गत गणेश, गौरी, नवग्रह षोडशमातृका, महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती, कुबेर, तुला, मान व दीपावली की पूजा भी होती है। दीपावली प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है।Diwali Puja Materials And Rules News in Hindi :- लक्ष्मी व गणेश…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : culture and debt relief measures and deep parva and Deepavali Poojan Ki Samagr and Deepawali and deepotsav and Diwali and diwali festival and diwali lakshmi puja samagri and festivals and Golden Festival and lakshmi puja samagri and Laxmi Pooja and laxmi puja kit and Laxmi Puja Samagri and laxmi puja samagri list and margashirsha laxmi vrat pooja samagri and MONEY and pooja samagri list in hindi and poojan samagri list and satyanarayan puja samagri list in hindi and उपाय and कर्ज मुक्ति उपाय and डेली लक्ष्मी पूजा विधि and त्योहार and दीपपर्व and दीपावली and दीपावली पूजन सामग्री की सूची and दीपोत्सव and दीवाली and दुर्गा पूजन सामग्री and देवी लक्ष्मी पूजन की सरल विधि and धन प्राप्ति and धन लाभ and नवरात्रि पूजन सामग्री and पूजन सामग्री लिस्ट इन हिंदी and पूजा की सामग्री and भारती पंडित and महालक्ष्मी and महालक्ष्मी पूजन का संपूर्ण विधि-विधान and राष्ट्रलक्ष्मी and रुद्राभिषेक पूजन सामग्री and रोशनी and लक्ष्मी कुबेर हवन विधि and लक्ष्मी पूजन and लक्ष्मी पूजन कसे करावे and लक्ष्मी पूजन का समय and लक्ष्मी पूजन मंत्र and लक्ष्मी पूजन विधि and लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र सहित and लक्ष्मी पूजन सामग्री and लक्ष्मी पूजा and लक्ष्मी पूजा कैसे करे and लक्ष्मी पूजा विधि and लक्ष्मी हवन सामग्री and लक्ष्मीजी and विवाह पूजन सामग्री and विशेष आराधना and संस्कृति and स्वर्णिम पर्व
दीपावली पूजन का अर्थ लक्ष्मी पूजा से लगाया जाता है, किंतु इसके अंतर्गत गणेश, गौरी, नवग्रह षोडशमातृका, महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती, कुबेर, तुला, मान व दीपावली की पूजा भी होती है। दीपावली प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है।
लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ, लक्ष्मी सूचक सोने अथवा चाँदी का सिक्का, लक्ष्मी स्नान के लिए स्वच्छ कपड़ा, लक्ष्मी सूचक सिक्के को स्नान के बाद पोंछने के लिए एक बड़ी व दो छोटी तौलिया।
बहीखाते, सिक्कों की थैली, लेखनी, काली स्याही से भरी दवात, तीन थालियाँ, एक साफ कपड़ा, धूप, अगरबत्ती, मिट्टी के बड़े व छोटे दीपक, रुई, माचिस, सरसों का तेल, शुद्ध घी, दूध, दही, शहद, शुद्ध जल। पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल का मिश्रण) मधुपर्क (दूध, दही, शहद व शुद्ध जल का मिश्रण) हल्दी व चूने का पावडर, रोली, चन्दन का चूरा, कलावा, आधा किलो साबुत चावल, कलश, दो मीटर सफेद वस्त्र, दो मीटर लाल वस्त्र, हाथ पोंछने के लिए कपड़ा, कपूर, नारियल, गोला, मेवा, फूल, गुलाब अथवा गेंदे की माला, दुर्वा, पान के पत्ते, सुपारी, बताशे, खांड के खिलौने, मिठाई, फल, वस्त्र, साड़ी आदि, सूखा मेवा, खील, लौंग, छोटी इलायची, केसर, सिन्दूर, कुंकुम, गिलास, चम्मच, प्लेट, कड़छुल, कटोरी, तीन गोल प्लेट, द्वार पर टाँगने के लिए वन्दनवार।
याद रहे लक्ष्मीजी की पूजा में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। धान की खील (पंचमेवा गतुफल सेब, केला आदि), दो कमल। लक्ष्मीजी के हवन में कमलगट्टों को घी में भिगोकर अवश्य अर्पित करना चाहिए।
कमलगट्टों की माला द्वारा किए गए माँ लक्ष्मीजी के जप का विशेष महत्व बताया गया है। चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें।
कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें। मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएँ। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियाँ बनाएँ।
गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियाँ बनाएँ। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएँ। इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ। गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ। सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ।
इन सबके अतिरिक्त बहीखाता, कलम-दवात व सिक्कों की थैली भी रखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें-
इन थालियों के सामने यजमान बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।