यूं तो हम भगवान के आसपास चप्पल-जूते तक फटकने नहीं देते लेकिन एक मंदिर ऐसा है जहां मां दुर्गा काे नयी चप्पल या सैंडिल चढ़ाई जाती है।सुनकर आपको आश्चर्य होगा लेकिन यह सच है। यह मंदिर है मप्र की राजधानी भोपाल में। एक पहाड़ी पर बने इस मंदिर में श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी होने के…
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यूं तो हम भगवान के आसपास चप्पल-जूते तक फटकने नहीं देते लेकिन एक मंदिर ऐसा है जहां मां दुर्गा काे नयी चप्पल या सैंडिल चढ़ाई जाती है।सुनकर आपको आश्चर्य होगा लेकिन यह सच है। यह मंदिर है मप्र की राजधानी भोपाल में। एक पहाड़ी पर बने इस मंदिर में श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी होने के बाद चप्पलें चढ़ाते हैं। आज हम आपको बता रहे है इस मंदिर की अनोखी परंपरा के बारे में।
नाम है जीजी बाई का मंदिर
राजधानी भोपाल के कोलार इलाके में एक छोटी सी पहाड़ी पर बना मां दुर्गा का सिद्धदात्री पहाड़ावाला मंदिर है। जिसे लोग जीजीबाई मंदिर भी कहते हैं। दरअसल करीब 18साल पहले यहां अशोकनगर से रहने आए आेम प्रकाश महाराज ने मूर्ति स्थापना के साथ शिव-पार्वती विवाह कराया था और खुद कन्यादान किया था। तब से वे मां सिद्धदात्री को अपनी बेटी मानकर पूजा करते हैं और आम लोगों की तरह बेटी के हर लाढ़-चाव पूरे करते हैं।
कभी-कभी दो तीन घंटे में बदलने पड़ते हैं कपड़े
ओम प्रकाश महाराज बताते हैं कि लोग यहां मन्नतें मांगते हैं और पूरी होने के बाद नयी चप्पल चढ़ाते हैं। चप्पल के साथ-साथ गर्मी में चश्मा, टोपी और घड़ी भी चढ़ाई जाती है। एक बेटी की तरह दुर्गा जी की देखभाल होती है। कई बार हमें आभास होता है कि देवी उन्हें पहनाए गए कपड़ोंं से खुश नहीं हैं तो दो-तीन घंटों में ही कपड़े बदलने पड़ते हैं।
विदेशों से आती हैं चप्पल
ओम प्रकाश महाराज बताते हैं कि जीजीबाई माता के लिए उनके भक्त विदेशों से भी चप्पल भेज चुके हैं। मंदिर में आने वाले कुछ लोग विदेश में बस गए हैं। कभी सिंगापुर तो कभी पैरिस से उनके लिए चप्पल आई है। एक दिन चप्पल चढाने के बाद उसे बांट दी जाती है।