हमने हमारी एक पिछली पोस्ट में आप सभी को नागा साधुओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी थी. आज हम आपको महिला नागा साधुओं से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताएँगे. पुरुष नागा साधुओं की तरह ही महिला साधुओं (संन्यासिनों) के लिए भी अखाड़े में कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना होता है. यह…
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हमने हमारी एक पिछली पोस्ट में आप सभी को नागा साधुओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी थी. आज हम आपको महिला नागा साधुओं से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताएँगे. पुरुष नागा साधुओं की तरह ही महिला साधुओं (संन्यासिनों) के लिए भी अखाड़े में कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना होता है. यह नियम भी पुरुषों के जितने कठोर है.
1. सन्यासिन बनने से पहले महिला को 6 से 12 साल तक कठिन बृह्मचर्य का पालन करना होता है. इसके बाद गुरु यदि इस बात से संतुष्ट हो जाते है कि महिला बृह्मचर्य का पालन कर सकती है तो उसे दीक्षा देते है.
2. महिला नागा सन्यासिन बनाने से पहले अखाड़े के साधु-संत महिला के घर परिवार और पिछले जीवन की जांच-पड़ताल करते है.
3. महिला को भी नागा सन्यासिन बनने से पहले खुद का पिंडदान और तर्पण करना पड़ता है.
4. जिस अखाड़े से महिला सन्यास की दीक्षा लेना चाहती है, उसके आचार्य महामंडलेष्वर ही उसे दीक्षा देते है.
5. महिला को नागा सन्यासिन बनाने से पहले उसका मुंडन किया जाता है और नदी में स्नान करवाते है.
6. महिला नागा सन्यासिन पूरा दिन भगवान का जप करती है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना होता है. इसके बाद नित्य कर्मो के बाद शिवजी का जप करती है दोपहर में भोजन करती है और फिर से शिवजी का जप करती है. शाम को दत्तात्रेय भगवान की पूजा करती है और इसके बाद शयन.
7. सिंहस्थ और कुम्भ में नागा साधुओं के साथ ही महिला सन्यासिन भी शाही स्नान करती है. अखाड़े में सन्यासिन को भी पूरा सम्मान दिया जाता है.
8. जब महिला नागा सन्यासिन बन जाती है तो अखाड़े के सभी साधु-संत इन्हे माता कहकर सम्बोधित करते है.
9. महिला नागा सन्यासिन माथे पर तिलक और सिर्फ एक चोला धारण करती है. आमतौर पर ये चोला भगवा रंग का या सफेद होता है.
10. सन्यासिन बनने से पहले महिला को ये साबित करना होता है कि उसका परिवार और समाज से कोई मोह नहीं है. वह सिर्फ भगवान की भक्ति करना चाहती है. इस बात की संतुष्टि होने के बाद ही दीक्षा देते है.
11. पुरुष नागा साधू और महिला नागा साधू में फर्क केवल इतना ही है की महिला नागा साधू को एक पिला वस्त्र लपेट कर रखना पड़ता है और यही वस्त्र पहन कर स्नान करना पड़ता है. नग्न स्नान की अनुमति नहीं है, यहाँ तक की कुम्भ मेले में भी नहीं.