सुंदर्शन चक्र एक अत्यधिक घातक अस्त्र है जिसका का वार अचूक होता है. यदि यह अस्त्र किसी पर छोड़ दिया जाय तो उसका सर्वनाश निश्चित है. यह जिस व्यक्ति पर छोड़ा गया उसका काम तमाम कर वापस अपने पूर्व स्थान पर वापस आ जाता है जहां से इसे छोड़ा गया था.Facts About Sudarshan Chakra in…
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सुंदर्शन चक्र एक अत्यधिक घातक अस्त्र है जिसका का वार अचूक होता है. यदि यह अस्त्र किसी पर छोड़ दिया जाय तो उसका सर्वनाश निश्चित है. यह जिस व्यक्ति पर छोड़ा गया उसका काम तमाम कर वापस अपने पूर्व स्थान पर वापस आ जाता है जहां से इसे छोड़ा गया था.
सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण के तर्जनी उंगली में घूमता है. यह अस्त्र भगवान श्री कृष्ण के अभिन्न रूप से जुडा हुआ है तथा भगवान श्री कृष्ण सुदर्शन चक्र का प्रयोग तभी करते है जब तक की इसकी अत्यन्त आवश्यक्ता न पड़ जाए.
सुंदर्शन चक्र खुद जितना रहस्मय है उतना ही इसका निर्माण और संचालन भी है, आइये जानते श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी.
1 . भगवान विश्वकर्मा की पुत्री का विवाह सूर्य देवता से हुआ. परन्तु विवाह के बाद भी उनकी पुत्री खुश नहीं थी जिसका कारण था सूर्य देवता की अत्यधिक गर्मी और उनका ताप. इसी कारण वह अपना विवाहिक जीवन सही ढंग से व्यतीत नहीं कर पा रही थी.
अपने पुत्री के कहने पर विश्वकर्मा ने सूर्य देवता से थोड़ी सी चमक व रौशनी ले ली जिससे बाद में उन्होंने पुष्पक विमान का निर्माण करवाया.
सूर्य देव के उसी चमक और प्रकाश से भगवान शिव के त्रिशूल तथा सुदर्शन चक्र का भी निर्माण किया गया.
2 . पुराणों की एक कथा में यह बताया गया है की भगवान शिव ने विष्णु की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दुष्टों के विनाश के लिए सुंदर्शन चक्र वरदान स्वरूप प्रदान किया था.
3 . पुराणों व अन्य धर्मग्रंथों में जिन अस्त्र-शस्त्रों का विवरण मिलता है उनमें सुदर्शन चक्र भी एक है. विभिन्न देवताओं के पास अपने-अपने चक्र हुआ करते थे.
4 . सभी चक्रों की अलग-अलग क्षमता होती थी और सभी के चक्रों के नाम भी होते थे. महाभारत युद्ध में भगवान कृष्ण के पास सुदर्शन चक्र था. शंकरजी के चक्र का नाम भवरेंदु, विष्णुजी के चक्र का नाम कांता चक्र और देवी का चक्र मृत्यु मंजरी के नाम से जाना जाता था.
5 . कहा जाता है की परमाणु बम के समान ही सुदर्शन चक्र के ज्ञान को भी गोपनीय रखा गया है. गोपनीयता सायद इसलिए रखी गयी होगी क्योकि इस अमोद्य अस्त्र की जानकारी देवता को छोड़ किसी अन्य को न लग जाए.
6 . इस अमोद्य अस्त्र की विशेषता यह थी की यह हवा के साथ ही बहुत ही तेज गति के से प्रचण्ड अग्नि उतपन्न करता था तथा दुश्मन इस अग्नि के सम्पर्क में आते ही भष्म हो जाता था. सुदर्शन चक्र के बारे में कहा जाता है की यह बहुत ही तीव्रता के साथ संचालित होने वाला सुन्दर एवं घातक हथियार है.
7 . एक अन्य कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के पास यह सुदर्शन चक्र देवी की कृपा से आया. यह चांदी की शलाकाओं से बनाया गया था, सुदर्शन चक्र के ऊपरी तथा निचली सतह पर लोहे के शूल लगे हुए थे. सुदर्शन चक्र में अत्यन्त खतरनाक विष का प्रयोग किया गया था जिसे पहले द्विमुखी छुरियो में रखा जाता था. युद्ध में इस विष से विपक्षी सेना भय खाती थी.