हमारे भारत देश में ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं, जहां अलग-अलग तरह के पूजा – पाठ किए जाते हैं, फिर चाहे जानवरों की पूजा ही क्यों ना हो. इसी कड़ी में आज हम आपको भिरत के एकमात्र ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिस मंदिर में मेंढक की पूजा – आराधना बड़ी हीं…
हमारे भारत देश में ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं, जहां अलग-अलग तरह के पूजा – पाठ किए जाते हैं, फिर चाहे जानवरों की पूजा ही क्यों ना हो.
इसी कड़ी में आज हम आपको भिरत के एकमात्र ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिस मंदिर में मेंढक की पूजा – आराधना बड़ी हीं आस्था से की जाती है.
आइए जानते हैं कि आखिर यहां मेंढक की पूजा क्यों की जाती है? और क्या है इस मंदिर की विशेषता?
हमारे भारत देश में ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं, जहां अलग-अलग तरह के पूजा – पाठ किए जाते हैं, फिर चाहे जानवरों की पूजा ही क्यों ना हो.
इसी कड़ी में आज हम आपको भिरत के एकमात्र ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिस मंदिर में मेंढक की पूजा – आराधना बड़ी हीं आस्था से की जाती है.
तांत्रिक ने किया मंदिर का वास्तु
कपिला के एक पहुंचे हुए तांत्रिक ने इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना की थी. वास्तु संरचणा पर आधारित यह मंदिर अपनी विशेष शैली की वजह से लोगों का मन मोह लेती है. महाशिवरात्रि और दीपावली के शुभ अवसर पर यहां भक्तों की बड़ी भीड़ उमड़ती है.
कैसे पहुंचे ओयल जगह लखीमपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पहुंचने के लिए पहले लखीमपुर जाना होता है. और फिर लखीमपुर से ही टैक्सी या बस करके ओयल पहुंचा जा सकता है. अगर आप फ्लाइट से सफर कर रहे हैं, तो यहां से सबसे नजदीक लखनऊ एयरपोर्ट है. जो 135 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां से आप की बसें लखीमपुर के लिए ले सकते हैं.
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