भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में गीता उपदेश दिया था, यह बात तो सब जानते हैं लेकिन विघ्न विनाशक गणपति ने भी गीता का उपदेश दिया था ये कम लोगों को पता है.श्रीकृष्ण गीता और गणेश गीता में लगभग सारे विषय समान हैं. बस दोनों में उपदेश देने की मन स्थिति में अंतर है….
भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में गीता उपदेश दिया था, यह बात तो सब जानते हैं लेकिन विघ्न विनाशक गणपति ने भी गीता का उपदेश दिया था ये कम लोगों को पता है.श्रीकृष्ण गीता और गणेश गीता में लगभग सारे विषय समान हैं. बस दोनों में उपदेश देने की मन स्थिति में अंतर है. भगवत गीता का उपदेश कुरुक्षेत्र के मैदान में, मोह और अपना कर्तव्य भूल चुके अर्जुन को दिया गया था.
लेकिन गणेश गीता में विघ्नविनाशक गणपति यह उपदेश युद्ध के बाद राजा वरेण्य को देते हैं. दोनों ही गीता में गीता सुनने वाले श्रोताओं अर्जुन और राजा वरेण्य की स्थिति और परिस्थिति में अंतर है.भगवत गीता के पहले अध्याय अर्जुन विषाद योग से यह बात स्पष्ट होती है कि अर्जुन मोह के कारण मूढ़ावस्था में चले गये थे. लेकिन राजा वरेण्य मुमुक्षु स्थिति में थे. वह अपने धर्म और कर्तव्य को जानते थे.
देवराज इंद्र समेत सारे देवी देवता, सिंदूरा दैत्य के अत्याचार से परेशान थे. जब ब्रह्मा जी से सिंदूरा से मुक्ति का उपाय पूछा गया तो उन्होने गणपति के पास जाने को कहा. सभी देवताओं ने गणपति से प्रार्थना की कि वह दैत्य सिंदूरा के अत्याचार से मुक्ति दिलायें. देवताओं और ऋषियों की आराधना से भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उन्होंने मां जगदंबा के घर गजानन रुप में अवतार लिया. इधर राजा वरेण्य की पत्नी पुष्पिका के घर भी एक बालक ने जन्म लिया. लेकिन प्रसव की पीड़ा से रानी मूर्छित हो गईं और उनके पुत्र को राक्षसी उठा ले गई. ठीक इसी समय भगवान शिव के गणों ने गजानन को रानी पुष्पिका के पास पहुंचा दिया. क्योंकि गणपति भगवान ने कभी राजा वरेण्य की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वह उनके यहां पुत्र रूप में जन्म लेंगे.
लेकिन जब रानी पुष्पिका की मूर्छा टूटी तो वो चतुर्भुज गजमुख गणपति के इस रूप को देखकर डर गईं. राजा वरेण्य के पास यह सूचना पहुंचाई गई कि ऐसा बालक पैदा होना राज्य के लिये अशुभ होगा. बस राजा वरेण्य ने उस बालक यानि गणपति को जंगल में छोड़ दिया. जंगल में इस शिशु के शरीर पर मिले शुभ लक्षणों को देखकर महर्षि पराशर उस बालक को आश्रम लाये.यहीं पर पत्नी वत्सला और पराशर ऋषि ने गणपति का पालन पोषण किया. बाद में राजा वरेण्य को यह पता चला कि जिस बालक को उन्होने जंगल में छोड़ा था, वह कोई और नहीं बल्कि गणपति हैं.
लेकिन जब रानी पुष्पिका की मूर्छा टूटी तो वो चतुर्भुज गजमुख गणपति के इस रूप को देखकर डर गईं. राजा वरेण्य के पास यह सूचना पहुंचाई गई कि ऐसा बालक पैदा होना राज्य के लिये अशुभ होगा. बस राजा वरेण्य ने उस बालक यानि गणपति को जंगल में छोड़ दिया. जंगल में इस शिशु के शरीर पर मिले शुभ लक्षणों को देखकर महर्षि पराशर उस बालक को आश्रम लाये.यहीं पर पत्नी वत्सला और पराशर ऋषि ने गणपति का पालन पोषण किया. बाद में राजा वरेण्य को यह पता चला कि जिस बालक को उन्होने जंगल में छोड़ा था, वह कोई और नहीं बल्कि गणपति हैं.
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Ganesh, GANESH GEETA, geeta, LORD GANESHA, श्रीगणेश गीता