ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन ही भगीरथ गंगा को धरती पर लाये थे, इसी दिन गंगा धरती पर अवतरण हुई थी, यह तिथि मई या जून में होती है। जिसे आज हम गंगा दशहरा के नाम से भी मनाते हैं और इसे हम गंगावतरण के नाम से भी जानते हैं। इसका मतलब है गंगा का अवतरण।…
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन ही भगीरथ गंगा को धरती पर लाये थे, इसी दिन गंगा धरती पर अवतरण हुई थी, यह तिथि मई या जून में होती है। जिसे आज हम गंगा दशहरा के नाम से भी मनाते हैं और इसे हम गंगावतरण के नाम से भी जानते हैं। इसका मतलब है गंगा का अवतरण। इस अवसर पर लोग गंगा में नहाते हैं, और पूजा करके गरीबों को दान पुण्य करते हैं।
मान्यता है कि भगीरथ के पूर्वजों को श्राप मिला था जिसकी वजह से राजा भगीरथ ने गंगा को घरती पर लाने के लिए घोर तपस्या की थी। पृथ्वी पर आने से पहले, देवी गंगा भगवान ब्रह्मा के कमंडल में रहती थी।
गंगा दशहरा के अवसर पर लोग इलाहाबाद प्रयाग गढ़मुक्तेश्वर हरिद्वार ऋषिकेश और वाराणसी में स्नान के लिए जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं। वाराणसी में गंगा दशहरा बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।
इस पर्व पर लाखों लोग गंगा जी में स्नान करके, दसवमेध घाट पर उनकी आरती करतें हैं। कुछ लोग गंगा दशहरा को गंगा जयंती समझने लगते हैं, जिस दिन गंगा जी फिर से पुनर्जीवित हुई थी।
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