सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनकी संतान उत्तम गुणों से पूर्ण हो और उसमें वह सभी गुण हों जो आगे जाकर उस संतान के उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश हर माता-पिता का ये सपना पूरा नहीं हो पाता। गरूड पुराण में उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु ने बहुत…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Garud Puran and garuda purana kaise prapt kare yogy and उत्तम संतान प्राप्ति के उपाय and ऋतुकाल क्या है and कब दूर रहें पत्नी से और कब करें गर्भाधान and गरुड़ पुराण and गरुड़ पुराण के अनुसार स्त्रियों को कभी 4 काम नहीं करने चाहिए and गरुड़ पुराण and गर्भाधान का तरीका and गर्भाधान संस्कार की विधि and गर्भाधान संस्कार विधि
सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनकी संतान उत्तम गुणों से पूर्ण हो और उसमें वह सभी गुण हों जो आगे जाकर उस संतान के उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश हर माता-पिता का ये सपना पूरा नहीं हो पाता। गरूड पुराण में उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु ने बहुत सी गोपनीय बातें बताई हैं। इस पुराण में ये भी लिखा है कि पति को किस समय पत्नी से दूर रहना चाहिए और उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए किस समय गर्भाधान करना चाहिए।
ऋतुकाल में चार दिन तक स्त्री का त्याग करें क्योंकि चौथे दिन स्त्रियां स्नानकर शुद्ध होती हैं और सात दिन में पितृदेव व व्रतार्चन (पूजन आदि करने) योग्य होती है। सात दिन के मध्य में जो गर्भाधान होता है व अच्छा नहीं माना जाता।
गरूड पुराण के अनुसार आठ रात के बाद पत्नी मिलन से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। युग्म दिन ( जैसे- अष्टमी, दशमी, द्वादशी आदि) में पुत्र व अयुग्म (नवमी, एकादशी, त्रयोदशी आदि) में कन्या उत्पन्न होती है इसलिए सात दिन छोड़कर गर्भाधान करें।
सोलह रात तक स्त्रियों का सामान्यत: ऋतुकाल रहता है, उसमें भी चौदहवीं रात में जो गर्भाधान होता है, उससे गुणवान, भाग्यवान, धर्मज्ञ व बुद्धिमान संतान की प्राप्ति होती है। वह रात्रि अभागे पुरुषों को कभी नहीं मिलती।
संतान चाहने वाले पुरूष को पान, फूल, चंदन और पवित्र वस्त्र धारण कर धर्म का स्मरण करते हुए पत्नी के पास जाना चाहिए। गर्भाधान के समय जैसी मनुष्य के मन की प्रवृत्ति होती है, वैसे ही स्वभाव का जीव पत्नी के गर्भ में प्रवेश करता है।