मीजी युग में एक प्रसिद्ध पहलवान था, जिसे ओ-नामी के नाम से जाना जाता था। उसके नाम “ओ-नामी” का अर्थ था-महान लहरें। वह बहुत ताकतवर पहलवान था जिसे पहलवानी की कला में गहरा ज्ञान था। निजी मुकाबलों में ओ-नामी का प्रर्दशन काफी अच्छा रहता है लेकिन सार्वजनिक तौर पर अपने शर्मीले स्वभाव के कारण वह…
मीजी युग में एक प्रसिद्ध पहलवान था, जिसे ओ-नामी के नाम से जाना जाता था। उसके नाम “ओ-नामी” का अर्थ था-महान लहरें। वह बहुत ताकतवर पहलवान था जिसे पहलवानी की कला में गहरा ज्ञान था। निजी मुकाबलों में ओ-नामी का प्रर्दशन काफी अच्छा रहता है लेकिन सार्वजनिक तौर पर अपने शर्मीले स्वभाव के कारण वह हमेशा अपने शिष्यों के द्धारा विजयी करवाया जाता था।
ओ-नामी ने इस बात को महसूस किया और सोचा कि उसे एक जैन गुरू की मदद लेनी चाहिए। ओ-नामी ने एक जैन गुरू को देखा जो कि पास के छोटे मंदिर में ठहरे हुऐ थे उनका नाम हाकउजू था। ओ-नामी ने अपनी गुप्त समस्या, हाकउजू को बतायी। गुरू ने कहा- तुम्हारे नाम का अर्थ महान लहरें है तो इस मंदिर में ठहरो और कल्पना करो कि बड़ी- बड़ी लहरें सब कुछ निगल रही है तथा कोई भी बड़ा पहलवान नहीं है जो ड़रा हुआ न हो।
इसका पालन करो और तुम अपनी धरती पर सबसे महान पहलवान बन जाओगे। ओ-नामी, गुरू की सलाह मानकर अभ्यास के लिए बैठ गया। उसने सोचना शुरू किया कि वह विशाल लहर है। शुरूआत में यह सोचने पर उसका दिमाग घूम गया। धीरे-धीरे लहरों के बारे में सोचने और महसूस करने लगा। जैसे-जैसे रात गुजरती गई लहरें बढ़ती गई और फूलदानों के फूलों तक व बुद्धा की मूर्ति तक पॅहूच गई। जल्दी ही वह छोटा मंदिर एक बड़े समुद्र में था और बड़ी लहरें उफान मचाऐ हुए थी।