शक्ति के स्वामी, राम के सेवक भगवान हनुमान को इस धरती पर अमरत्व का वरदान मिला. हर युग में वो इस धरती पर रहेंगे. बचपन से ही अनुपम लिलाएं करने वाले हनुमान का नाम कैसे हनुमान पड़ा !How Lord Hanumans Name Was Hanuman in Hindi :- आइए, हम आपको बताते हैं हनुमान का नाम हनुमान कैसे…
शक्ति के स्वामी, राम के सेवक भगवान हनुमान को इस धरती पर अमरत्व का वरदान मिला. हर युग में वो इस धरती पर रहेंगे. बचपन से ही अनुपम लिलाएं करने वाले हनुमान का नाम कैसे हनुमान पड़ा !
आइए, हम आपको बताते हैं हनुमान का नाम हनुमान कैसे पड़ा ! बल और ब्रह्मचर्य के स्वामी हनुमान का जन्म राजा केसरी और उनकी पत्नी अंजना के घर हुआ था.
इसलिए हनुमान को अंजनी पुत्र और केसरी नंदन भी कहते हैं. भगवान हनुमान को महादेव का अवतार कहा जाता है. माता अंजना भोलेनाथ की परम भक्त थीं. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें वरदान दिया था कि वो उनकी कोख से जन्म लेंगे. हुआ भी ऐसा ही.
अब जब केसरी नंदन के नाम से हनुमान को बुलाया जाता था, तो नाम उऩका हनुमान कैसे पड़ गया. इसके पीछे एक रोचक कथा है. एक बार की बात है. माता अंजना कुछ काम कर रही थीं. तभी बाल हनुमान माता से खाने का हठ करने लगे. हनुमान बहुत खाते थे और कई बार. माता अंजना काम में व्यस्त होने के नाते उनसे ये कह दीं कि वो जाकर बगीचे से फल खा लें. बाल हनुमान माता की अनुमति लेकर बगीचे में निकल लिए.
हनुमान जी बगीचे में घूमने लगे. माता द्वारा बताए फल के अनुरूप ही उन्हें आसमान में एक फल दिखाई दिया. वो उड़े और मगन होकर उस फल को खा लिया. पूरे संसार में अंधकार हो गया, क्योंकि वो कोई फल नहीं था, बल्कि सूर्य देवता थे. सभी देवताओं ने बाल हनुमान से आग्रह किया कि वो सूर्य देव को छोड़ दें, लेकिन बाल मन एक बार हठ कर गया सो कर गया.
देवताओं के आग्रह पर भी जब हनुमान ने सूर्य देवता को नहीं उगला, तो इंद्र देव ने क्रोधित होकर हनुमान पर अपने वज्र से वार कर दिया. हनुमानजी सीधे धरती पर आ गिरे. इस वज्रापात से हनुमानजी का जबड़ा टूट गया. हनु का अर्थ होता है जबड़ा और मान का अर्थ होता है विरूपति. ऐसे में अंजनी पुत्र का नाम पड़ गया हनुमान.
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