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इन तिथियों में ना तोड़ें बिल्वपत्र

इन तिथियों में ना तोड़ें बिल्वपत्र
In दिन विशेष, सोमवार विशेष
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ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को बिल्वपत्र बहुत प्रिय है। शिवजी की आराधना बिल्वपत्रों के बिना अधूरी है लेकिन इसका आशय यह नहीं कि हम शिवजी को बिल्वपत्र अर्पण करने के आकाँक्षा में बिल्व के वृक्षों को ही उजाड़ दें। अधिकाँश लोग यह सोचकर अधिक मात्रा में बिल्वपत्र अर्पण करते हैं कि शायद अधिक…

ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को बिल्वपत्र बहुत प्रिय है। शिवजी की आराधना बिल्वपत्रों के बिना अधूरी है लेकिन इसका आशय यह नहीं कि हम शिवजी को बिल्वपत्र अर्पण करने के आकाँक्षा में बिल्व के वृक्षों को ही उजाड़ दें। अधिकाँश लोग यह सोचकर अधिक मात्रा में बिल्वपत्र अर्पण करते हैं कि शायद अधिक बिल्वपत्र अर्पण करने से उन्हें शिवजी की अधिक कृपा प्राप्त होगी।

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यह एक भ्रान्त धारणा है क्योंकि परमात्मा तो भावप्रधान होते हैं ना कि परिमाण प्रधान। पूर्ण प्रेमासिक्त और फ़लाकाँक्षा रहित भाव से अर्पित किया गया एक छोटा बिल्व पत्र भी वह फ़ल दे सकता है जो फ़लाकाँक्षा से अर्पित किए गए लाखों बिल्वपत्र नहीं दे सकते।  लक्षार्चन व  लाखोत्री जैसी परम्पराएँ जिनमें लाखों की मात्रा में पुष्प या बिल्वपत्र अर्पण करने होते हैं, पूर्णतया अनुचित है। प्रकृति परमात्मा का ही प्रकट रूप है। उसे हानि पहुँचाना उचित नहीं।

हमारे मतानुसार यदि आप लक्षार्चन करना ही चाहते हैं तो बिल्वपत्र का एक पौधा रोपित करें जिस दिन आपके द्वारा रोपित पौधा बड़ा होकर वृक्ष बनेगा और उस बिल्वपत्र के वृक्ष पर लाखों पत्तियाँ आ जाएँगी उस दिन आपका  लक्षार्चन  पूर्ण हो जाएगा। वृक्षों को पुष्प व पत्तों से नग्न कर भला कोई लक्षार्चन कैसे सफ़ल हो सकता है! नारद जी ने  मानस पुष्प को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए इन्द्र से कहा था कि करोड़ों बाह्य पुष्पों को चढ़ाकर जो फ़ल प्राप्त होता है वह केवल एक मानस-पुष्प चढ़ाने से प्राप्त हो जाता है। हमारे शास्त्रों में पुष्पों को तोड़ने के नियम व मन्त्र निर्धारित हैं। ठीक उसी प्रकार बिल्वपत्र के तोड़ने का भी समय व मन्त्र है।

{ पढ़ें :- सोमवार को ही क्यों की जाती है शिव की पूजा! }

बिल्वपत्र तोड़ते समय निम्न मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए

अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा।

गृह्णामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात् ॥

शास्त्रों में बिल्वपत्र तोड़ने का निषिद्ध काल तय है। इन तिथियों में बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और सोमवार को बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।

{ पढ़ें :- सोमवार व्रत में भूलकर भी ना पहनें ऐसा कपड़ा, होना पड़ेगा शिवजी के गुस्से का शिकार }

ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया


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यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : परमात्मा,  भगवान शिव,  शिवजी,  सोमवार  

2013-01-22T20:33:57+05:30
Indian Spiritual Team
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