अहल्या-इंद्र की कहानी, ऋग्वेद का अर्थ नहीं जानने के कारण एक बड़े घपले का नतीजा है मिथिला की नारी अहल्या तपस्विनी थी . सुंदरता की प्रतिमूर्ति थीं . पतिभक्त थीं . पतिमनोनुकूला थीं . पति जब समिधा लेन जाते थे तो पूजा की सामग्री तैयार करती थीं . हर क्षण पति के आदेश का पालन…
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अहल्या-इंद्र की कहानी, ऋग्वेद का अर्थ नहीं जानने के कारण एक बड़े घपले का नतीजा है मिथिला की नारी अहल्या तपस्विनी थी . सुंदरता की प्रतिमूर्ति थीं . पतिभक्त थीं . पतिमनोनुकूला थीं . पति जब समिधा लेन जाते थे तो पूजा की सामग्री तैयार करती थीं . हर क्षण पति के आदेश का पालन करती रहती थीं
जब देवताओं के राजा इन्द्र ने अहिल्या की सुन्दरता को देखा तो इन्होनें ब्रह्मा से अहिल्या को मांग लिया था. ब्रह्मा ने भी इंद्र को वचन दे दिया था. कुछ दिनों बाद जब अहिल्या युवती हो गयी तो ब्रह्मा ने उसे ऋषि गौतम को दिया ताकि गौतम ऋषि इस स्त्री को सामाजिक बातें सिखा दे. समाज और परिवार का भरण-पोषण कैसे होते है, यह सब अहिल्या सीख ले.
परअहिल्या के साथ रहते-रहते, ऋषि गौतम का भी अहिल्या पर दिल आ जाता है. ब्रह्मा जी ने पहले ही गौतम को बताया था कि यह स्त्री इंद्र की है. कुछ समय बाद अहिल्या को इंद्र के पास दे आना. किन्तु गौतम ने उसको इन्द्र को नहीं दिया तथा उसका पाणिग्रहण अपने साथ ही कर लिया
जब इंद्र को यह पता चला कि उसकी अहिल्या गौतम के पास है, तो वह चन्द्रमा के साथ गौतम के आश्रम में आया और गौतम मुनि के अनुपस्थिति में देवराज इंद्र ने गौतम ऋषि का वेष धारण किया और अहल्या के पास आये. उनसे इंद्र ने समागम की इच्छा व्यक्त किया.
अहल्या ने उन्हें पति समझकर सहर्ष स्वीकार कर लिया . पत्नीधर्म के अनुसार पति जब भी इच्छा व्यक्त करे पत्नी को उसका साथ देना चाहिए ,अहल्या ने वही किया , पत्नीधर्म निभाया परन्तु जब गौतम ऋषि लौट कर अपने आश्रम पहुंचे .
इन्होने देखा कि चन्द्रमा प्रहरी बना हुआ है. उन्होंने अपने गीले वस्त्र चन्द्रमा को सोंप दिए. इसीलिए चन्द्रमा गदला हो गया. अब वह कुटिया के अन्दर गए और अहिल्या को पत्थर होने का श्राप दे दिया. वहीं इंद्र को श्राप दिया कि तू सहस्रों भागों वाला हो जा.
बलात्कारी इंद्र का तो कुछ नहीं बिगड़ा , पर पीड़िता अहल्या को वर्षों तक समाजसुधारक मर्यादा पुरुषोत्तम राम की प्रतीक्षा करनी पड़ी .
अहिल्या सालों तक पत्थर बनी रही और जब श्री राम भगवान यहाँ आते हैं तो उस पत्थर को छूकर, फिर से अहल्या को जीवन देते हैं