सदियों से शराब, चर्चा का एक रोचक विषय रहा है। शराबियों ने अपनी आदत को उच्चित साबित करने के लिए कई तरीके व बहाने मारे हैं। दुनिया भर में शराब को नशा तथा विश्रांति के सबसे अच्छे साधनों के रूप में देखा गया है। अधिकांश देशों में इस आदत को सामाजिक स्वीकृति हासिल है लेकिन…
सदियों से शराब, चर्चा का एक रोचक विषय रहा है। शराबियों ने अपनी आदत को उच्चित साबित करने के लिए कई तरीके व बहाने मारे हैं। दुनिया भर में शराब को नशा तथा विश्रांति के सबसे अच्छे साधनों के रूप में देखा गया है। अधिकांश देशों में इस आदत को सामाजिक स्वीकृति हासिल है लेकिन कुछ देशों में इसे एक खराब आदत के रुप में देखा जाता है। दशकों पहले भारत में शराब पीने पर मनाही थी तथा आज भी कुछ इलाकों में यह एक अस्वीकृत आदत है।
आमतौर पर शराब पीने पर रोक धार्मिक आस्था व प्रथाओं के कारण लगाई गई है। उदाहरण के लिए, इस्लाम धर्म में शराब पीना प्रतिबंधित है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत में शराब पीने पर रोक धार्मिक कारणों की वजह से लगाई गई है? यदि नहीं, तो फिर किन कारकों के कारण भारत में शराब पीने पर मनाही है? कई धार्मिक समूह शराब पीने के खिलाफ हैं तथा इससे होने वाली स्वास्थ्य व वित्तीय समस्याओं के बारे में बात करते नज़र आते हैं। तो, चलें आज हम इस विषय का विश्लेषण करते हैं तथा इसे करीब से जानें की कोशिश करते हैं।
सोमा रस
कुछ पौराणिक कथाओं में सोमा रस नामक मादक पेय के इस्तेमाल का वर्णन है, जिसे बलि देते समय देवताओं को प्रसाद के रूप में चढाया जाता था। अक्सर भगवान इंद्र को सोमा रासा पीते हुए चित्रित किया गया है।
शराब और आयुर्वेद
आयुर्वेद में प्रलेखित प्रमाणों अनुसार, प्राचीन चिकित्सा प्रणाली में वाइन को दवाई के रुप में इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अधिक मात्रा में शराब पीना आयुर्वेद द्वारा नियत नहीं है। विभिन्न जड़ी बूटियों को किण्वित करके उन्हें केवल औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जाता था। खांसी व सर्दी के मामले में शराब को एक शक्तिशाली रोगहर के रुप में देखा जाता था, लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत निर्धारित मात्रा में किया जाता था।
शराब तथा हिंदू धर्म
कई हिंदू समूह ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तथा इसी कारण स्वयं को शराब व अन्य नशीले पदार्थों से दूर रखते हैं। ऐसे धार्मिक मानकों में शराब पीना मना है। परंतु दूसरी ओर, अगोरी व अन्य तांत्रिक संप्रदायों के लाग अनुष्ठान में नियमित रुप से शराब का उपयोग करते हैं।
क्या हिंदू धर्म में शराब पीना निषिद्ध है?
इस्लाम धर्म की तरह, हिंदू धर्म में शराब पीने पर ऐसी कोई रोक नहीं लगाई गई है। हालांकि, सही मात्रा में लेने पर कुछ हर्बल वाइन को अच्छी दवा के रुप में माना गया है। अतः हिंदू धर्म किसी को भी शराब पीने से निषेध नहीं करता। लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति इसका उपयोग सीमित मात्रा में करे तथा इसके दुष्प्रभावों से भी सचेत रहे।
शराब के बारे में हिंदू धर्म का क्या कहना है ?
हिंदू धर्म कभी भी अपने अनुयाइयों को कोई सूची जारी नहीं करता, लेकिन सही तथा गलत के बीच के अंतर को स्पष्ट करता है। अतः मार्ग के चयन की जिम्मेदारी पूरी तरह व्यक्ति पर निर्भर करती है। हर एक व्यक्ति को आंखों पर पट्टी बांधकर कर कठोर नियमों का अनुसरण करने के बजाय सही और गलत की पहचान करनी आनी चाहिए।
शराब और हिंदू धर्म
हर एक व्यक्ति को शराब के हानिकारक प्रभावों को समझने की जरुरत है। अगर इसके बावजूद वह शराब को नहीं छोड पाता तो इससे साफ है कि वह निर्णय लेने में असमर्थ है। एक शराबी अपनी चेतना के साथ साथ अपनी संपत्ति तथा अपने परिवार को भी खो देता है। यथा, हम कह सकते हैं कि हमारे देश में सामाजिक कारकों के कारण शराब पीने पर मनाही है।
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