भगवान शिव के पूजन आदि से जुड़ी अनेक बातें शिवपुराण में बताई गई हैं। शिवपुराण की कथा करने व सुनने वालों के लिए अनेक नियम बनाए गए हैं। शिवपुराण के अनुसार ये नियम इस प्रकार हैं-It Is Important For Those Who Listen To The Legend Of Shivpuran And These 7 Rules in Hindi :- 1-…
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भगवान शिव के पूजन आदि से जुड़ी अनेक बातें शिवपुराण में बताई गई हैं। शिवपुराण की कथा करने व सुनने वालों के लिए अनेक नियम बनाए गए हैं। शिवपुराण के अनुसार ये नियम इस प्रकार हैं-
1- जो संत, महात्मा अथवा योग्य ब्राह्मण शिवपुराण की कथा करता है, उसे कथा प्रारंभ के दिन से एक दिन पहले ही व्रत ग्रहण करने के लिए क्षौर कर्म (बाल कटवाना या नाखून काटना) कर लेना चाहिए। कथा शुरू होने से लेकर अंत तक क्षौर कर्म नहीं करना चाहिए।
2- गरिष्ठ अन्न (देर से पचने वाला), दाल, जला हुआ भोजन, मसूर तथा बासी अन्न खाकर शिवपुराण नहीं सुननी चाहिए।
3- जो लोग भक्ति पूर्वक शिवपुराण की कथा सुनना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले वक्ता (कथा कहने वाले) से दीक्षा ग्रहण करनी चाहिए। दीक्षा लेने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना, भूमि पर सोना, पत्तल में खाना और प्रतिदिन कथा समाप्त होने पर ही भोजन करना चाहिए।
4- शिवपुराण कथा का व्रत लेने वाले पुरूष को प्रतिदिन एक ही बार हविष्यान्न (जौ, तिल व चावल) का भोजन करना चाहिए। जिसने कथा सुनने का व्रत ले रखा हो, उसे प्याज, लहसुन, हींग, गाजर, मादक वस्तु (नशे की चीजें) आदि का त्याग कर देना चाहिए।
5- कथा का व्रत लेने वाले को काम व क्रोध से बचना चाहिए। ब्राह्मणों व साधु-संतों की निंदा भी नहीं करनी चाहिए। गरीब, रोगी, पापी, भाग्यहीन तथा संतान रहित पुरूष को शिवपुराण की कथा जरूर सुननी चाहिए।
6- शिवपुराण कथा समाप्त होने पर उत्सव मनाना चाहिए। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ पुराण की भी पूजा करना चाहिए। साथ ही कथावाचक (कथा कहने वाला) की भी पूजा कर उन्हें दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट करना चाहिए। कथा सुनने आए ब्राह्मणों का सत्कार कर उन्हें भी दान-दक्षिणा देनी चाहिए।
7- कथा सुनने से मिलने वाले फल की प्राप्ति के लिए 11 ब्राह्मणों को मधु (शहद) मिश्रित खीर का भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें। यदि शक्ति हो तो 3 तोले सोने का एक सिंहासन बनवाएं और उस पर विधिपूर्वक शिवपुराण की पोथी स्थापित करें। इसकी पूजा कर योग्य आचार्य को वस्त्र, आभूषण सहित वह पोथी उन्हें समर्पित कर दें।