जब कुंडली के सारे ग्रह राहु केतु के मध्य हो तो कालसर्प योग बनता है । कालसर्प ग्रसीत कुंडली कहलाती है। लेकीन ऐसा देखा गया है की एक या दो ग्रह इससे छुट जाएं तो भी कालसर्प के समान ही तकलीफ भोगनी होती है। काल का अर्थ समय सर्प का सांप। राहु सर्प का मुख…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Diagnosis and कालसर्प and नागपंचमी and निदान
जब कुंडली के सारे ग्रह राहु केतु के मध्य हो तो कालसर्प योग बनता है । कालसर्प ग्रसीत कुंडली कहलाती है। लेकीन ऐसा देखा गया है की एक या दो ग्रह इससे छुट जाएं तो भी कालसर्प के समान ही तकलीफ भोगनी होती है। काल का अर्थ समय सर्प का सांप। राहु सर्प का मुख है तथा केतु पुंछ। यह सारे ग्रहों को ग्रसीत कर लेता है, तब जातक को जकडऩ महसूस होती है।
उसके हर कार्य में बाधा आती है। वह स्वप्र में नदी, नाले, तालाब, समुद्र कुआं, बावली आदि देखता है। स्वप्न में उसकों सर्प पिछे भागता हुआ अथवा काटता हुआ दिखाई देता हेै। कालसर्प योग 3456 प्रकार के होते है। मुख्यत: कालसर्प योग बारह प्रकार का होता है। यह है -अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पद्म, महापद्म तक्षक, कर्कोटक, शंखचूड, घातक, विषधर एवं शेषनाग।
क्या होता है कालसर्प योग का प्रभाव-
कालसर्प से ग्रसीत कुंडली वालों को हमेश भय बना रहता है। उसको पानी से भय रहता है। बेकार के कार्य ज्यादा करने पड़ते है। प्रतिभाशाली होते हुए भी हमेशा नीचे ही रहते है। धन प्राप्ति मेें बाधा होती है। प्रोग्रेस नही होता। आंख कान में रोग होता है। अकारण परेशानी होती है। इसका सबसे ज्यादा असर संतान प्राप्ति में बाधा होता है और भी अनेक दुष्प्रभाव है।
कालसर्प योग वाले नागपंचमी पर क्यों करे पूजन-
पंचमी तिथि नागों को अतिशय प्रिय है। पंचमी तिथि के स्वामी भी नाग होत है। वह चाहे शुक्ल पक्ष की हो अथवा कृष्ण पक्ष की। पंचमी तिथि पर नागों का एवं सर्पो का पूजन करने से वह अपने दुष्प्रभाव को समाप्त कर देेते है तथा प्रसन्न होकर जातक को आर्शीवाद देकर पूजा ग्रहण करके चले जाते है।
पुराणों की कथाओं के अनुसार आस्तिक नामक ब्राह्मण ने जनमेजय के सर्प यज्ञ से समस्त नागों की रक्षा पंचमी के दिन ही की थी। इसलीए सर्प पूजन के लिए यह तिथि सर्वोत्तम है।