महाभारत में कर्म के बारें में जो बताया गया है उसके पीछे लोगों की अनेक धारणाएं हैं| महाभारत में जब अर्जुन को पता चलता है कि उसके परिवार के सदस्य ही उसके विपरीत और दुश्मन हैं तो वे एक धर्म संकट में पड़कर युद्ध से अपने आपको अलग करने की सोचते हैं| उस समय भगवान…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Mahabharata and महाभारत
महाभारत में कर्म के बारें में जो बताया गया है उसके पीछे लोगों की अनेक धारणाएं हैं| महाभारत में जब अर्जुन को पता चलता है कि उसके परिवार के सदस्य ही उसके विपरीत और दुश्मन हैं तो वे एक धर्म संकट में पड़कर युद्ध से अपने आपको अलग करने की सोचते हैं| उस समय भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि उन्हें अपना कर्म करना चाहिए| इसलिए हिन्दू धर्म में कर्म को काफी महत्व दिया गया है| कर्म के बारें में ज्यादा जानना ही हिंदुत्व है वेदांत दर्शन की तरह अनेक विचारधाराएँ हैं जो कर्म पर केंद्रित हैं|
वेदांत दर्शन में कर्म पर ज्यादा विशवास किया गया है और इस बात पर जोर दिया गया है कि कर्म ही मनुष्य जीवन को नियंत्रित करता है ना कि भाग्य| कर्म व्यक्ति के भाग्य को निर्धारित करता है| मनुष्य अपने कर्मों से अपने भाग्य का निर्माण करता है| आप अपने जीवन में जो करते हैं वो पलटकर आपके पास आता है यानि जैसे आप कर्म करते हैं वैसे फल पाते हैं| यदि आप खुशियां दोगे तो खुशियां पाओगे| यदि आप गलत और बुरे कर्म करोगे तो कोई ना कोई आपको धोखा जरूर देगा|
कर्म का सिद्धांत
कर्म का सिद्धांत कारण और प्रभाव पर निर्भर करता है| यह कहा जाता है कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है| इंसान जिस प्रकार के कार्य करता है वे उसका वैसा ही भाग्य निर्धारित करते हैं| कर्म का यह सिद्धांत सिर्फ मनुष्य जीवन पर लागू होता है| ये कर्म ही हैं जो निर्धारित करते हैं कि मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग मिलेगा या नरक| कर्म के सिद्धांत के कारण और प्रभाव के बारें में ज्यादा जानने के लिए आगे पढ़ें ….
यदि आप अच्छे कर्म करेंगे तो आप मोक्ष की प्राप्ति करेंगे और जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाएंगे| मनुष्य को छोड़कर अन्य जीव-जंतु अपने कर्मों के फल भोगकर मनुष्य जीवन पाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं| लेकिन हम मनुष्य बुरे कर्म करके अपने जन्म को ख़राब कर रहे हैं| स्वर्ग के निवासी भी अपने अच्छे कर्मों के फलों को प्राप्त कर रहे हैं| अच्छी आत्माएं और अच्छे कर्म करने वाले लोग परम आनंद (निर्वाण) प्राप्त करते हैं और स्वर्ग के लिए प्रस्थान करते हैं|
सभी सजीव कर्म के सिद्धांत के अनुसार चलते हैं| कर्म का सिद्धांत इस बात पर आधारित है कि ‘ जैसा आप बोओगे वैसा ही काटोगे’| इसका मतलब है कि यदि आप दूसरों को खुशियां दोगे तो वे भी आपके चेहरे पर मुस्कान लाएंगे|
ऐसा ही इसके विपरीत है| यदि आप दूसरों के साथ गलत करोगे तो वे भी आपके साथ करेंगे| जीवन एक दर्पण है जो कि आपके कर्मों को दिखाता है| इसलिए दूसरों को मुस्कान दो जिससे आपके आपके चेहरे पर भी मुस्कान आएगी|