औरतें करवा चौथ का व्रत अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखा करती हैं. करवा चौथ को सुहागन का व्रत बताया गया है. वैसे इस त्यौहार की शुरुआत कहाँ से हुई है इसका सही प्रमाण तो मौजूद नहीं है, किन्तु अलग-अलग पौराणिक बातों में विभिन्न तरह की बातें बताई गयी हैं.Karva Chauth Ka Vrat Draupadi…
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औरतें करवा चौथ का व्रत अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखा करती हैं. करवा चौथ को सुहागन का व्रत बताया गया है. वैसे इस त्यौहार की शुरुआत कहाँ से हुई है इसका सही प्रमाण तो मौजूद नहीं है, किन्तु अलग-अलग पौराणिक बातों में विभिन्न तरह की बातें बताई गयी हैं.
आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने वाले हैं जहाँ अर्जुन की पत्नी द्रोपदी ने श्री कृष्ण के लिए करवा चौथ का व्रत किया था. यहाँ सबसे जरुरी बात यह है कि इस व्रत का अर्जुन को पता ही नहीं था.
तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर द्रोपदी ने श्रीकृष्ण के लिए करवा चौथ का व्रत क्यों किया था?
तो आइये आपको इस कहानी का सारा सच बताते हैं क्योकि द्रोपदी का करवा चौथ का व्रत इतिहास में दर्ज हो गया था-
पहले करवा चौथ की कहानी जान लो
कहानी काफी पुरानी है जो बताती है कि किसी एक राज्य में एक ब्राह्मण रहता था. उसके 7 पुत्र थे और एक पुत्री थी, जिसका नाम करवा था. करवा सभी की बहुत लाड़ली थी.
करवा का विवाह एक अच्छे ब्राह्मण से किया गया था. एक बार करवा, करवा चौथ का व्रत रखती है और जब उसके भाई आते हैं तो वह अपनी बहन को भूखा देख व्याकुल हो जाते हैं. भाई एक प्लान करते हैं और पेड़ के ऊपर रोशनी से चंद्रमा बना देते हैं.
बहन को जब चन्द्रमा की खबर मिलती है तो वह पूजाकर व्रत खोल देती है. लेकिन जैसे ही वह भोजन करती है तो उसको उसके पति की मृत्यु की खबर मिल जाती है.
अब करवा दुखी हो जाती है और इसकी भाभी इसको सच बता देती हैं. उसके बाद करवा पूरे एक साल तक अपने पति की लाश के बैठकर तपस्या करती है.
जब अगले साल करवाचौथ आता है तो सभी भाभियाँ करवा से मिलने आती हैं. जो भी भाभी आती है वह उससे यही कहती है कि मेरे पति को जिन्दा कर दो. तब करवा को एक भाभी बताती हैं कि सबसे छोटी भाभी ही तेरे पति को जिन्दा कर सकती है, वह आये तो उनको पकड़ लेना.
करवा ऐसा ही करती है और बड़े यत्न से उसका पति सही हो जाता है. तबसे करवा हमेशा के लिए अमर हो जाती है. इस कहानी में भाई और बहन दोनों शामिल हैं.
तो द्रोपदी ने आखिर क्यों किया था कृष्ण के लिए करवा चौथ का व्रत
एक बार का जिक्र है कि अर्जुन निलगिरी के जंगलों में तपस्या करने गया था. लेकिन काफी समय बीत जाने पर भी जब वह वापिस नहीं आया तो द्रोपदी को चिंता होने लगती है. इधर पांडवों पर भी तरह-तरह की विपदाएं आने लगती हैं तो द्रोपदी कृष्ण को याद करती हैं. और कृष्ण सामने हाजिर होकर द्रोपदी को करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहते हैं. साथ ही बताते हैं कि बहन अपने भाई की सलामती के लिए भी करवा चौथ कर सकती हैं.
तब द्रोपदी ने भगवान कृष्ण के लिए भी करवा चौथ का व्रत रखा था ताकि वह भी सुरक्षित रहें. ज्ञात हो कि कृष्ण को द्रोपदी अपना भाई मानती थी. जैसे ही द्रोपदी का व्रत आधा होता है तो अर्जुन वापस आ जाता है. इस प्रकार से द्रोपदी का व्रत पूरा हो जाता है.