Karwa Chauth 2020 Date in Hindi: करवा चौथ हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पुरे दिन निर्जला उपवास रखती है और रात में चाँद को अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत खोलती है। हिन्दू धर्मानुसार पति की…
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Karwa Chauth 2020 Date in Hindi: करवा चौथ हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पुरे दिन निर्जला उपवास रखती है और रात में चाँद को अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत खोलती है। हिन्दू धर्मानुसार पति की लंबी आयु और अच्छे सौभाग्य के लिए विवाहित स्त्रियाँ इस व्रत को बड़ी श्रद्धा से रखती है।
करवा चौथ 2020 (Karwa Chauth 2020 Dates and Puja Vidhi in Hindi) : साल 2020 में करवा चौथ 17 अक्टूबर 2020 को है. करवा चौथ के दिन चन्द्रमा निकलने का समय शाम 6:27 से 8:16 तक है.
17 अक्टूबर 2020 को करवा चाैथ का पर्व मनाया जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 17 अक्टूबर 2020 को शाम 6:27 से 8:16 तक का है मतलब करीब एक घंटे 1 घंटे 16 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। 17 अक्टूबर को चंद्र दर्शन रात करीब 7 बजे होंगे। 17 अक्टूबर को शाम 6.27 बजे से चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो जाएगी।
अगले दिन 18 अक्टूबर 2020 यानी रविवार को शाम 7:29 पर चतुर्थी तिथि समाप्त हो जाएगी। उसी दिन संकष्टी चतुर्थी भी है। करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी का व्रत एक ही दिन होगा। संकष्टी चतुर्थी का उपवास भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है।
करवा चौथ 2020 चंद्रोदय का समय करवा चौथ महिलाओं द्वारा पूरे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी रविवार, 17 अक्टूबर 2020 को मनाया जाएगा। 2020 में करवा चौथ पूजा का मूर्हूत करवा चौथ मूर्हूत वह सटीक समय होता है जिसके भीतर ही पूजा करनी होती है।
करवा चौथ के दिन चंद्रमा उदय होने का समय सभी महिलाओं के लिए बहुत महत्व का है क्योंकि वे अपने पति की लम्बी उम्र के लिये पूरे दिन (बिना पानी के) व्रत रखती हैं। वे केवल उगते हुये पूरे चाँद को देखने के बाद ही पानी पी सकती हैं।
ये माना जाता है कि, चाँद देखे बिना व्रत अधूरा है और कोई महिला न कुछ भी खा सकती हैं और न पानी पी सकती हैं। करवा चौथ व्रत तभी पूरा माना जाता है जब महिला उगते हुये पूरे चाँद को छलनी में घी का दिया रखकर देखती है और चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथों से पानी पीती है।
करवा चौथ व्रत सभी विवाहित महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और अच्छे जीवन की कामना के लिए रखती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है।
बहुत समय पहले इन्द्रप्रस्थपुर के एक शहर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वेदशर्मा का विवाह लीलावती से हुआ था जिससे उसके सात महान पुत्र और वीरावती नाम की एक गुणवान पुत्री थी। क्योंकि सात भाईयों की वह केवल एक अकेली बहन थी जिसके कारण वह अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने भाईयों की भी लाड़ली थी।
जब वह विवाह के लायक हो गयी तब उसकी शादी एक उचित ब्राह्मण युवक से हुई। शादी के बाद वीरावती जब अपने माता-पिता के यहाँ थी तब उसने अपनी भाभियों के साथ पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। करवा चौथ के व्रत के दौरान वीरावती को भूख सहन नहीं हुई और कमजोरी के कारण वह मूर्छित होकर जमीन पर गिर गई।
सभी भाईयों से उनकी प्यारी बहन की दयनीय स्थिति सहन नहीं हो पा रही थी। वे जानते थे वीरावती जो कि एक पतिव्रता नारी है चन्द्रमा के दर्शन किये बिना भोजन ग्रहण नहीं करेगी चाहे उसके प्राण ही क्यों ना निकल जायें। सभी भाईयों ने मिलकर एक योजना बनाई जिससे उनकी बहन भोजन ग्रहण कर ले।
उनमें से एक भाई कुछ दूर वट के वृक्ष पर हाथ में छलनी और दीपक लेकर चढ़ गया। जब वीरावती मूर्छित अवस्था से जागी तो उसके बाकी सभी भाईयों ने उससे कहा कि चन्द्रोदय हो गया है और उसे छत पर चन्द्रमा के दर्शन कराने ले आये। वीरावती ने कुछ दूर वट के वृक्ष पर छलनी के पीछे दीपक को देख विश्वास कर लिया कि चन्द्रमा वृक्ष के पीछे निकल आया है।
अपनी भूख से व्याकुल वीरावती ने शीघ्र ही दीपक को चन्द्रमा समझ अर्घ अर्पण कर अपने व्रत को तोड़ा। वीरावती ने जब भोजन करना प्रारम्भ किया तो उसे अशुभ संकेत मिलने लगे। पहले कौर में उसे बाल मिला, दुसरें में उसे छींक आई और तीसरे कौर में उसे अपने ससुराल वालों से निमंत्रण मिला। पहली बार अपने ससुराल पहुँचने के बाद उसने अपने पति के मृत शरीर को पाया।
अपने पति के मृत शरीर को देखकर वीरावती रोने लगी और करवा चौथ के व्रत के दौरान अपनी किसी भूल के लिए खुद को दोषी ठहराने लगी। वह विलाप करने लगी। उसका विलाप सुनकर देवी इन्द्राणी जो कि इन्द्र देवता की पत्नी है, वीरावती को सान्त्वना देने के लिए पहुँची।
वीरावती ने देवी इन्द्राणी से पूछा कि करवा चौथ के दिन ही उसके पति की मृत्यु क्यों हुई और अपने पति को जीवित करने की वह देवी इन्द्राणी से विनती करने लगी। वीरावती का दुःख देखकर देवी इन्द्राणी ने उससे कहा कि उसने चन्द्रमा को अर्घ अर्पण किये बिना ही व्रत को तोड़ा था जिसके कारण उसके पति की असामयिक मृत्यु हो गई। देवी इन्द्राणी ने वीरावती को करवा चौथ के व्रत के साथ-साथ पूरे साल में हर माह की चौथ को व्रत करने की सलाह दी और उसे आश्वासित किया कि ऐसा करने से उसका पति जीवित लौट आएगा।
इसके बाद वीरावती सभी धार्मिक कृत्यों और मासिक उपवास को पूरे विश्वास के साथ करती। अन्त में उन सभी व्रतों से मिले पुण्य के कारण वीरावती को उसका पति पुनः प्राप्त हो गया।
महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सर्गी खाती हैं. यह खाना आमतौर पर उनकी सास बनाती हैं. इसे खाने के बाद महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं. दिन में शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है. शाम को देवी की पूजा होती है, जिसमें पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है. चंद्रमा दिखने पर महिलाएं छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देखती हैं. पति इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाता है.
करवा चौथ व्रत सभी विवाहित महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और अच्छे जीवन की कामना के लिए रखती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है।