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ये हैं महाभारत की 10 प्रेम कहानियाँ जो कोई नहीं जानता

ये हैं महाभारत की 10 प्रेम कहानियाँ जो कोई नहीं जानता
In ग्रंथ, धार्मिक कथा
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महाभारत में प्यार की अनेक कहानियाँ हैं। उनमें से कुछ तो प्रसिद्ध हैं और अधिकतर लोगों को पता हैं, लेकिन कुछ हैं जिनके बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं है।Love Stories From Mahabharat That No One Knows in Hindi :- इस आर्टिकल में हम आपको महाभारत की कुछ ऐसी ही कहानियाँ बता रहे हैं।…

महाभारत में प्यार की अनेक कहानियाँ हैं। उनमें से कुछ तो प्रसिद्ध हैं और अधिकतर लोगों को पता हैं, लेकिन कुछ हैं जिनके बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं है।

Love Stories From Mahabharat That No One Knows in Hindi :-

इस आर्टिकल में हम आपको महाभारत की कुछ ऐसी ही कहानियाँ बता रहे हैं। इनके बारे में ज्यादा जानने के लिए आगे की स्लाइड्स पर क्लिक करें।

कृष्ण और उनकी 16,108 पत्नियाँ : 16,108 में से 16000 ने ज्यादा समय तक इंतजार नहीं किया लेकिन उन्होने श्री कृष्ण से शादी करने के लिए पुनर्जन्म लिया। सर्वशक्तिमान भगवान उन सबको खुश कर सकते थे क्यों कि वे ही ऐसे व्यक्ति थे जिनके पास ऐसी शक्ति थी कि वे हर किसी को जैसा वह चाहे वैसे प्यार कर सकते थे।

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द्रोपदी की शादी पांचों पांडवों से हुई थी। उसे हर पांडव से अपना वचन निभाना था। यही नहीं सभी भाइयों को भी न्याय के लिए द्रोपदी पर विश्वास करना था। विचित्रवीर्य की मृत्यु के बाद उसकी माता सत्यवती अपने पहले पुत्र वेद व्यास के पास चली गई। उसकी माँ की इच्छा के अनुसार वह विचित्रवीर्य की दोनों पत्नियों के पास योगिक शक्तियों से पुत्र पैदा करने के लिए कहने गई। जब व्यास अम्बा की बहन अंबिका के पास गए तो उसने उन्हें एक भयानक और तेज के साथ देखा और डरकर उसने अपनी आँखें बंद कर ली। वेद व्यास ने ही महाभारत लिखी थी। गांधारी और धृतराष्ट्र की प्रेम कहानी उनकी शादी के बाद शुरू हुई.। गांधारी को शादी के बाद इस बात का पता चला और उसने अपनी पति के लिए अंधे की भांति जीवन जीने का निर्णय लिया। उसने जीवन भर के लिए अपनी आँखों पर पट्टी बांध ली।

अर्जुन और उलूपी
उलूपी नागा राजकुमारी थी और जब वह अर्जुन के साथ प्यार में पड़ी तो उसने अर्जुन का अपहरण कर लिया। बाद में उसने अर्जुन को अपने साथ के लिए राजी कर लिया जो कि ब्रह्मचर्य के नियमों से बंधा हुआ और द्रोपदी से रिश्ता होने के कारण अन्य किसी महिला से संबंध नहीं रख सकता था। अंत में उसने अर्जुन को एक वरदान दिया कि पानी में उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।

रुक्मणी और श्री कृष्ण
श्री कृष्ण ने रुक्मणी के परिवारवालों की मर्जी के खिलाफ उससे शादी करने के लिए उसका अपहरण कर लिया था। हालांकि वह भी श्री कृष्ण से प्यार करती थी।

अर्जुन और चित्रांगदा
चित्रांगदा मणिपुर की राजकुमारी थी। अर्जुन ने जब राजा चित्रवाहन के राज्य मणिपुर में भ्रमण किया तो उसने कावेरी के तट पर चित्रांगदा को देखा। वह बहुत सुंदर थी, अर्जुन को उससे प्यार हो गया। जब उसने राजा चित्रवाहन से उसका हाथ मांगा तो उन्होने शर्त रखी कि उनका पुत्र मणिपुर लाया जाना चाहिए और उसे मणिपुर का साम्राज्य संभालना होगा। अर्जुन राजी हो गया। जब उसके पुत्र बब्रुवाहन का जन्म हुआ तो अपने भाइयों के पास इंद्रप्रस्थ जाने के लिए अपनी पत्नी और बेटे को छोड़ दिया। चित्रवाहन की मृत्यु के बाद वह मणिपुर का राजा बना। अंत में महाभारत के युद्ध के बाद बब्रुवाहन ने अपने पिता अर्जुन को युद्ध में हरा दिया था।

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अर्जुन और सुभद्रा
अर्जुन और सुभद्रा के भाई गदा ने द्रोणाचर्य से एक साथ शिक्षा ली। अपने एक वर्ष निर्वासन के दौरान जब अर्जुन द्वारका आए तब उन्हें सुभद्रा के महल में बुलाया गया तब उन दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। इसके बाद अर्जुन ने सुभद्रा से विवाह किया जो कि श्री कृष्ण की बहन की तरह थी। श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुभद्रा का अपहरण करने की सलाह दी। जब सुभद्रा द्रौपदी से मिली तो उसने तुरंत अर्जुन से अपनी शादी के बारे में नहीं बताया। लेकिन एक घंटे के बाद जब वे घुल-मिल गई तो सुभद्रा से सच्चाई बता दी और द्रौपदी ने उसे स्वीकार कर लिया।

हिडिंबा और भीम
भीम कुंती का पुत्र था। हिडिंबा नर भंसक थी। वह भीम के प्यार में पड़ गई और उसकी जिंदगी बदल गई। शादी के बाद वे कुछ समय के लिए साथ रहे। जब भीम ने उसे छोड़ दिया उसके बाद उसने घटोत्गच्छ को जन्म दिया जिसकी उसने बिना किसी पश्चाताप के अकेले देखभाल की।

सत्यवती और ऋषि पाराशर
पाराशर एक प्रसिद्ध ऋषि थे जिन्होने अपने ध्यान से अनेक योगिक शक्तियाँ प्राप्त की। सत्यवती दशराजा नामक एक मछुवारे की पुत्री थी और वह लोगों को अपनी नाव से यमुना पर करवाती थी। एक दिन वह ऋषि पाराशर को अपनी नाव में लेकर जा रही थी। ऋषि पाराशर उससे आकर्षित हुये और उन्होने उससे प्यार करने की इच्छा जताई। उसने बताया कि उसकी रचना अनैतिक संबंध से एक संतान पैदा करने के लिए हुई है। सत्यवती ने ऋषि के सामने 3 शर्तें रखी – 1. उन्हें ऐसा करते हुये कोई नहीं देखे, पाराशर ने एक कृत्रिम आवरण बना दिया। 2. उसकी कौमार्यता प्रभावित नहीं होनी चाहिए, तो पाराशर ने उसे आश्वासन दिया की बच्चे के जन्म के बाद उसकी कौमार्यता पहले जैसी हो जाएगी। 3. वह चाहती थी कि उसकी मछली जैसी बदबू एक शानदार खुशबू में बदल जाये, पाराशर ने उसके चारों और एक सुगंध का वातावरन पैदा कर दिया जिसे कि 9 मील से भी महसूस किया जा सकता था। उसने वेद व्यास को जन्म दिया।

सत्यवती और शांतनु

सत्यवती की खुशबू ने शांतनु को उसकी और आकर्षित कर दिया। उसने उस सुगंध का पीछा किया और सत्यवती को नाव में पाया। उसने सत्यवती से नदी पार कराने का आग्रह किया। जब वह किनारे पर पहुँच गया तो उसने वापस नाव में बिठाने के लिए कहा। यह उस दिन शाम तक और उसके बाद कई दिन तक चलता रहा। अंत में शांतनु ने सत्यवती से शादी के लिए कहा। सत्यवती ने कहा कि वह शादी करना चाहती है पर वह अपने पिता के निर्णय से बंधी हुई है। उसने कहा कि उसके पिता की उसके बारे में एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसे वह पूरा नहीं कर पाएगा। गंगापुत्र और शांतनु ने वे शर्तें पूरे कर चीजें आसान कर दी।

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2012-04-03T23:42:23+05:30
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