देवों के देव महादेव को महाशिवरात्रि का पर्व बेहद प्रिय है.हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जो साल में आनेवाली 12 शिवरात्रियों में सबसे श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण है.Maha Shivaratri Puja Vidhi in Hindi :- कहते हैं इस दिन भगवान शिव की आराधना में जो भी…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Lord Brahma and Mahashivaratri and भगवान ब्रह्मा and भगवान शिव and महाशिवरात्रि and माता पार्वती and शिवपुराण
देवों के देव महादेव को महाशिवरात्रि का पर्व बेहद प्रिय है.हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जो साल में आनेवाली 12 शिवरात्रियों में सबसे श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण है.
कहते हैं इस दिन भगवान शिव की आराधना में जो भी लीन हो जाता है उसपर भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं.
आखिर महाशिवरात्रि का पर्व हर साल बड़े ही धूमधाम से क्यों मनाया जाता है. आखिर इस पर्व से कौन सी मान्यता जुड़ी हुई है, चलिए हम आपको बताते हैं.
महाशिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक मान्यता
महाशिवरात्रि को कालरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि शिवपुराण के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी तिथि को रात्रि के समय भगवान शिव अग्रि स्तंभ के रूप में भगवान ब्रह्मा और विष्णु के मध्य प्रकट हुए थे.
कहा जाता है कि इस रात्रि को भगवान शिव ने यह आकाशवाणी की थी कि इस रात्रि को जागकर जो भी मेरे लिंग स्वरुप की पूजा-अर्चना करेगा उसे साल भर की जानेवाली पूजा का फल प्राप्त होगा और उसे समस्त सांसारिक सुखों के साथ अंत में शिवधाम में मोक्ष मिलेगा.
दूसरी मान्यता के मुताबिक महाशिवरात्रि को शिव पार्वती के विवाह के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. लेकिन शिवपुराण के अनुसार शिव-पार्वती का विवाह मार्गशिर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था. इस दिन सोमवार का दिन था और चंद्र, बुध लग्र में थे तथा रोहिणी नक्षत्र था.
माता पार्वती से पहले भगवान शिव ने माता सती से विवाह किया था जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ था. इस दिन रविवार का दिन था और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र था.
इस तरह से करें महाशिवरात्रि की पूजा