कहा जाता है कि हर व्यक्ति की आयु सौ वर्ष की होती है, परन्तु इंसान अपने कर्म, आदत और व्यवहार से उम्र को घटाता जाता है। किस तरह के कामों से आयु घटती है और कौन से गुण अपनाने से ज्यादा जी सकते हैं, इस विषय में महाभारत के अनुशासन पर्व में पितामह भीष्म ने…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : lesson for long life and Mahabharata and Mahabharata lesson for long life and क्रोध न करना and छल-कपट न करना and महाभारत and हमेशा सच बोलना and हिंसा न करना
कहा जाता है कि हर व्यक्ति की आयु सौ वर्ष की होती है, परन्तु इंसान अपने कर्म, आदत और व्यवहार से उम्र को घटाता जाता है। किस तरह के कामों से आयु घटती है और कौन से गुण अपनाने से ज्यादा जी सकते हैं, इस विषय में महाभारत के अनुशासन पर्व में पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को बताया है। कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद राजा बने युधिष्ठिर जब रणभूमि में तीरों की शैय्या पर पड़े भीष्म से राजनीति की शिक्षा लेने गए, तब उन्होंने युधिष्ठिर को उन 4 गुणों के बारे में बताया जिनको अपने जीवन में उतार लेने से इंसान की आयु बढ़ती है। ये गुण इस प्रकार हैं….
झूठ बोलना कई लोगों के स्वभाव में होता है। झूठ बोलकर वे पल भर के लिए तो मुसीबत से बच जाते हैं, लेकिन आगे चल कर उन्हें उसका परिणाम झेलना ही पड़ता है। झूठ बोलने से न की सिर्फ मनुष्य की छवि खराब होती है, बल्कि उसके स्वास्थय पर भी बुरा असर पड़ता है। वो अक्सर अपना झूठ पकड़े जाने के डर से चिंता में रहता है, बेचैन रहता है। यही चिंता उसकी सेहत पर लगातार बुरा असर डालती है। लम्बी उम्र के लिए असत्य बोलने से बचना चाहिए।
क्रोध को मनुष्य की सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाता है। बेवजह या अत्यधिक गुस्सा करने से मनुष्य के मन- मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है। जो उसकी आयु को कम करता जाता है। गुस्सा हमारे स्वभाव को धीरे-धीरे हिंसक बना देता है। क्रोध न करने वाले या शांत स्वभाव वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उसे निश्चित ही लंबी उम्र तक जीता है।
अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। मार-पीट, लड़ाई-झगड़े या हिंसा करने वाला व्यक्ति दूसरों को तो कष्ट पहुंचाता ही है, साथ ही खुद का भी नुकसान करता है। जो व्यक्ति दूसरों के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करता है और उनकी रक्षा करता है, उन पर भगवान हमेशा प्रसन्न रहते है। इस गुण का पालन करने वाले की आयु निश्चित ही लम्बी होती है। हिंसा भी तीन तरह की मानी गई है, मन से, वचन से और कर्म से। मन से हिंसा का मतलब है किसी के बारे में लगातार बुरा सोचना। वचन से हिंसा का मतलब है कि किसी के बारे में बुरा बोलना, भ्रामक बातें फैलाना तथा कर्म से हिंसा मतलब शारीरिक रुप से कष्ट पहुंचाना।
जो व्यक्ति हमेशा सदाचार का पालन करता है, छल-कपट जैसी भावनाएं जिसके मन में नहीं रहती, उसका मन हमेशा प्रसन्न रहता है। मनुष्य को छल-कपट जैसे भावों से दूर रह कर, अपना मन देव भक्ति और पूजा में लगाना चाहिए। ऐसा करने से उसका मन शांत रहता है। शांत मन ही स्वस्थ शरीर की निशानी होती है। इस गुण को पालन करने पर मनुष्य अधिक समय तक जीवित रहता है।