देश भर के मंदिरों में महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की जबर्दस्त भीड़ है. खास कर झारखंड के देवघर में बड़ी तादाद में महिलाएं बाबा का जलाभिषेक करने सुबह से ही लंबी कतार में खड़ी होकर अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं. किसी भी अनहोनी से बचने के लिए देवघर में मंदिर की सुरक्षा…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Deoghar Temple and mahashivratri and mahashivratri worship and shivratri vrat
देश भर के मंदिरों में महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की जबर्दस्त भीड़ है. खास कर झारखंड के देवघर में बड़ी तादाद में महिलाएं बाबा का जलाभिषेक करने सुबह से ही लंबी कतार में खड़ी होकर अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं. किसी भी अनहोनी से बचने के लिए देवघर में मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. बड़ी संख्या में पुलिस बल और दंडाधिकारी की तैनाती की गई है. इस पवित्र मौके पर शिव मंदिरों में सिंदूर चढ़ाने की भी परंपरा है. ऐसे में सवाल उठता है कि इसके पीछे क्या है मान्यता?
सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शिव उपासना के लिए उत्तम माना जाता है. देवघर के पुरोहित विनोद दत्त कहते हैं कि बैद्यनाथधाम प्रकृति और पुरुष का मिलन स्थल है. इसलिए यहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा होती है.
खास कर महिलाओं के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. उनकी माने तो माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शंकर को प्राप्त किया था और इसीलिए महिलाएं सौभाग्य और समृद्धि की कामना लिए बाबा के दरबार पहुंचती हैं. ऐसे में सिंदूर चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ की तरह ही सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता है. खासकर महाशिवरात्रि पर मंदिरों में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है.
तीनों लोकों के मालिक भगवान शिव का सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि है. कहते हैं महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर पृथ्वी पर होते हैं. वे उन-उन जगहों पर होते हैं, जहां उनके शिवलिंग हैं.