ज़िंदग़ी के कई अहम पड़ाव जैसे- किसी नज़दीक़ी की मौत, नौकरी का चले जाना या शादी का टूट जाना, आम तौर पर अवसाद की वजह बनते हैं।ज़िंदग़ी के कई अहम पड़ाव जैसे- किसी नज़दीक़ी की मौत, नौकरी का चले जाना या शादी का टूट जाना, आम तौर पर अवसाद की वजह बनते हैं। इनके साथ…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य and उच्चारण and डिप्रेशन and द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य and नरसिंह मंत्र and नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् and शादी का टूट जाना and ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं
ज़िंदग़ी के कई अहम पड़ाव जैसे- किसी नज़दीक़ी की मौत, नौकरी का चले जाना या शादी का टूट जाना, आम तौर पर अवसाद की वजह बनते हैं।ज़िंदग़ी के कई अहम पड़ाव जैसे- किसी नज़दीक़ी की मौत, नौकरी का चले जाना या शादी का टूट जाना, आम तौर पर अवसाद की वजह बनते हैं। इनके साथ ही अगर आपके मन में हर समय कुछ बुरा होने की आशंका रहती है तो इससे भी अवसाद में जाने का ख़तरा रहता है।
इसके तहत लोग सोचते रहते हैं ‘मैं तो हर चीज़ में विफल हूँ’। इतना ही नहीं अवसाद बिना किसी एक ख़ास कारण के भी हो सकता है। ये धीरे-धीरे घर कर लेता है और बजाए मदद की कोशिश के आप उसी से संघर्ष करते रहते हैं। यही नहीं जो व्यक्ति अवसाद से ग्रसित है वह कई महीनों तक नीची नज़रों से देखता है जिसके चलते उसमें गुस्सा, शर्म, और उसके अंदर खालीपन महसूस होता हैं।
जो चीज़ों पहले ख़ुशी और उत्साह देती थी आज वही बेकार लगने लगी हैं। इसके साथ उस व्यक्ति में आहार के प्रति विकार उत्पन हो जाता है जैसे या वह व्यक्ति बहुत खाना खायेगा या खाना खाना बंद कर देगा। ऐसे में व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पता है, यादाश कमज़ोर हो जाती है और किसी काम में मान नहीं लगता है। कई लोग तो अवसाद का सही इलाज ना पाने की वजह से आत्महत्या तक कर लेते हैं। हमारी सोसायटी अवसाद को नहीं मानती है और सोचती है कि जिस इंसान को अवसाद हो जाता है वह पागल है।
अवसाद को अगर ख़त्म करना है तो उस व्यक्ति को प्यार और सहारा दें। इसके साथ उस व्यक्ति को अवसाद से बहार आने के लिए आघ्यात्म का सहर लेना चाहिए। जब इंसान अपने मान को जाने लगता है और भगवान् पर भरोसा करता है तब वह आसानी से अवसाद में मुक्त हो सकता है। इसीलिए आज हम आपको कुछ ऐसे मंत्रो के बारे में बताने जा रहें हैं। जो मंत्र आपको अच्छा लगे उसे चुने और उसी का अभ्यास करें। सुबह उठ कर स्नान करें और किसी शांत जगह पर बैठ जायें। यह आपका पूजा का कमरा भी हो सकता है। अब इस मंत्र को बार बार दोहराएं और आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी एकाग्रता अच्छी होने लगेगी है और अपने ऊपर विश्वास वापस आने लगेगा। हो सकता है पहले आपको मुश्किल हो, लेकिन जब आप इसका रोज़ अभ्यास करेंगे तो अवसाद ठीक होने लगेगा।
संकटनाशक गणेश स्त्रोत गणेश सभी बाधाओं को दूर करते हैं। उनके आशीर्वाद से भक्तों को सुख और संबृद्धि मिलती है। इन्हें संकट नाशक भी कहा जाता है जो हर समस्याओं को नष्ट कर देता है। संकटनाशक गणेश स्त्रोत मंत्र का जाप करें और मन की शांति पाएं। प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।। भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु:कामार्थसिद्धये ।।१ ।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।। तृतीयं कृष्णपिङ्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।२ ।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।। सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।३ ।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।४ ।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: । न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।।५ ।। विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।६ ।। जपेत् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् । संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।७ ।। अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत् । तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ।।८ ।। इति श्री नारदपुराणे संकटविनाशनं श्रीगणपतिस्तोत्रं संपूर्णम् । महा काली मंत्र महा काली या काली मां बुराई को नष्ट करती है। इनका उग्र रूप बहुत शक्तिशाली माना जाता है। साथ ही इन्हें प्रेम और दया की माँ के रूप में भी जाना जाता है। इनके मंत्र का जाप करने से मन की नकारात्मकता ख़त्म होती है साथ ही मन शांत होता है। ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
नरसिंह मंत्र अवसाद को दूर करने के लिए नरसिंह मंत्र से और कोई बेहतर मंत्र नहीं है। इससे अवसाद की परेशानी बहुत जल्दी ठीक हो जाती है। इसके लिए व्यक्ति 48 दिनों का इस मंत्र का108 बार जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करते वक़्त अपने सामने एक तांबे के गिलास में पानी भर कर रखें और 108 बार जाप करने के बाद इस पानी को पी जाएँ। ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥