हिंदू धर्म में मनुस्मृति का विशेष महत्व है। इस ग्रंथ में जीवन को सुखी व संस्कारवान बनाने के अनेक सूत्र बताए गए हैं। इस ग्रंथ की रचना महाराज मनु ने महर्षि भृगु के सहयोग की थी, ऐसी मान्यता है। इस ग्रंथ में लाइफ मैनेजमेंट से जुड़े अनेक सूत्र बताए गए हैं, जो आज भी हमारे…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : bar bar peshab ana ki waja and Manusmriti and manusmriti in hindu dharm and pesab na utarana and peshab band ho jana and peshab me infection ke karan and peshab rog in hindi and raste me kis chij ke aane se ruk jana chaiye and urine infection ke lakshan in hindi and urine ka na aana and urine me protein aane ke karan and मनुस्मृति and रास्ते में ये लोग सामने आ जाएं तो पीछे हट जाना चाहिए and हिंदू धर्म में मनुस्मृति
हिंदू धर्म में मनुस्मृति का विशेष महत्व है। इस ग्रंथ में जीवन को सुखी व संस्कारवान बनाने के अनेक सूत्र बताए गए हैं। इस ग्रंथ की रचना महाराज मनु ने महर्षि भृगु के सहयोग की थी, ऐसी मान्यता है। इस ग्रंथ में लाइफ मैनेजमेंट से जुड़े अनेक सूत्र बताए गए हैं, जो आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं।
श्लोक
चक्रिणो दशमीस्थस्य रोगिणो भारिणः स्त्रियाः।
स्नातकस्य च राज्ञश्च पन्था देयो वरस्य च।।
अर्थात- रथ पर सवार व्यक्ति, वृद्ध, रोगी, बोझ उठाए हुए व्यक्ति, स्त्री, स्नातक, राजा तक वर (दूल्हा)। इन आठों को आगे जाने का मार्ग देना चाहिए और स्वयं एक ओर हट जाना चाहिए।
मनुस्मृति के अनुसार यदि कहीं जाते समय सामने रथ पर सवार कोई व्यक्ति आ जाए तो स्वयं पीछे हटकर उसे मार्ग दे देना चाहिए। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखा जाए तो रथ पर सवार व्यक्ति किसी ऊंचे राजकीय पद पर हो सकता है या वह राजा के निकट का व्यक्ति भी हो सकता है। मार्ग न देने की स्थिति में वह आपका नुकसान भी कर सकता है। इसलिए कहा गया है कि रथ पर सवार व्यक्ति को तुरंत रास्ता दे देना चाहिए। वर्तमान में रथ का स्थान दो व चार पहिया वाहनों ने ले लिया है।
अगर रास्ते में कोई वृद्ध स्त्री या पुरुष आ जाए तो स्वयं पीछे हटकर उसे पहले मार्ग दे देना चाहिए। लाइफ मैनेजमेंट के अनुसार वृद्ध लोग सदैव सम्मान के पात्र होते हैं, उन्हें किसी भी स्थिति में अपमानित नहीं करना चाहिए। यदि वृद्ध को रास्ता न देते हुए हम पहले उस मार्ग का उपयोग करेंगे तो यह वृद्ध व्यक्ति का अपमान करने जैसा हो जाएगा। वृद्ध के साथ ऐसा व्यवहार करने के कारण समाज में हमें भी सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाएगा। सिर्फ हमें ही नहीं बल्कि परिवार को भी हीन समझा जाएगा। इसलिए मनु स्मृति में कहा गया है कि स्वयं पीछे हटकर वृद्ध को पहले मार्ग देना चाहिए।
रोगी व्यक्ति दया व स्नेह का पात्र होता है। यदि रास्ते में कोई रोगी सामने आ जाए तो उसे पहले जाने देना ही शिष्टता है। संभव है रोगी उपचार के लिए जा रहा हो अगर हम उसे मार्ग न देते हुए पहले स्वयं रास्ते का उपयोग करेंगे तो हो सकता है रोगी को उपचार मिलने में देरी हो जाए। उपचार में देरी से रोगी को किसी विकट परिस्थिति का सामना भी करना पड़ सकता है। रोगियों की सेवा करना बड़ा ही पुण्य का काम माना गया है। इसलिए रोगी व्यक्ति के लिए स्वयं मार्ग से हट जाना चाहिए।
यदि मार्ग पर एक ही व्यक्ति के निकलने का स्थान हो और सामने बोझ उठाए हुआ व्यक्ति आ जाए तो पहले उसे ही जाने देना चाहिए। ऐसा हमें मानवीयता के कारण करना चाहिए। जिस व्यक्ति के सिर या हाथों में बोझ होता है वह सामान्य स्थिति में खड़े मनुष्य से अधिक कष्ट का अनुभव कर रहा होता है। ऐसी स्थित में हमें मानवीयता का भाव मन में रखते हुए उसे ही पहले जाने देना चाहिए। यही शिष्टता है। ऐसा करने से समाज में आपका सम्मान और भी बढ़ेगा।
मनुस्मृति के अनुसार यदि मार्ग में कोई स्त्री आ जाए तो स्वयं पीछे हटकर पहले उसे ही जाने देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदू धर्म में स्त्री को बहुत ही सम्माननीय माना गया है। किसी भी तरीके से स्त्री का अनादर नहीं करना चाहिए। स्त्री को मार्ग न देते हुए स्वयं पहले उस रास्ते का उपयोग करना स्त्री का अनादर करने जैसा ही है। स्त्री का अनादर करने से धन की देवी लक्ष्मी व विद्या की देवी सरस्वती दोनों ही रूठ जाती हैं और ऐसा करने वाले के घर में कभी निवास नहीं करती। इसलिए स्त्री के मार्ग से स्वयं पीछे हटकर उसे ही पहले जाने देना चाहिए।
ब्रह्मचर्य आश्रम में रहते हुए गुरुकुल में सफलता पूर्वक शिक्षा पूरी करने वाले विद्यार्थी को एक समारोह में पवित्र जल से स्नान करा कर सम्मानित किया जाता था। इन्हीं विद्वान विद्यार्थी को स्नातक कहा जाता था। वर्तमान परिदृश्य में स्नातक को वेद व शास्त्रों का ज्ञान रखने वाला विद्वान माना जा सकता है। यदि कोई ऐसा व्यक्ति जिसे वेद-वेदांगों का संपूर्ण ज्ञान हो और वह सामने आ जाए तो उसे पहले जाने देना चाहिए। क्योंकि ऐसा ही व्यक्ति समाज में ज्ञान की रोशनी फैलाता है। इसलिए वह हर स्थिति में आदरणीय होता है।
राजा प्रजा का पालन-पोषण करने वाला व विपत्तियों से उनकी रक्षा करने वाला होता है। राजा ही अपनी प्रजा के हित के लिए निर्णय लेता है। राजा हर स्थिति में सम्माननीय होता है। अगर जिस मार्ग पर आप चल रहे हों, उसी पर राजा भी आ जाए तो स्वयं पीछे हटकर राजा को जाने देना चाहिए। ऐसा न करने पर राजा आपको दंड भी दे सकता है। अगर आप दंड नहीं पाना चाहते तो पहले राजा को ही आगे जाने का मार्ग देना चाहिए।
मनुस्मृति के अनुसार दूल्हा यानी जिस व्यक्ति का विवाह होने जा रहा हो वह आपके मार्ग में आ जाए तो पहले उसे ही जाने देना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि दूल्हा बना व्यक्ति भगवान शिव का स्वरूप होता है इसलिए वह भी सम्मान करने योग्य कहा गया है। इसलिए यदि रास्ते में दूल्हा आ जाए तो पहले ही उसे मार्ग देना चाहिए। यही शिष्टाचार भी है।