वैवाहिक जीवन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए जरूरी है, पति-पत्नी का आपसी प्रेम व विश्वास। छोटी-छोटी शिकायतों को मुस्कुराकर हल करते हुए एक-दूसरे केसहयोग से इस रिश्ते को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। करवाचौथ, उपवास तथा पूजा के साथ आपसी रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने और एक-दूजे के प्रति सम्मान जगाने का भी प्रतीक है।…
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वैवाहिक जीवन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए जरूरी है, पति-पत्नी का आपसी प्रेम व विश्वास। छोटी-छोटी शिकायतों को मुस्कुराकर हल करते हुए एक-दूसरे केसहयोग से इस रिश्ते को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। करवाचौथ, उपवास तथा पूजा के साथ आपसी रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने और एक-दूजे के प्रति सम्मान जगाने का भी प्रतीक है। इस भावना के साथ कि ‘मैं तुम्हारे साथ हूं, हर परिस्थिति में, हर घड़ी’.
इस करवाचौथ पर पति-पत्नी दोनों मिलकर लीजिए कुछ संकल्प और विवाह बंधन को कीजिए और मजबूत प्रेम इंसान के उन भावनात्मक पहलुओं की कोमल अभिव्यक्ति है, जिसमें उसका स्वतंत्र भाव समर्पित रूप से समाया हुआ है। यह किसी तराजू का तौल नहीं बल्कि सुंदर, कोमल भावनाओं का स्नेह भरा मोल है,जिसका परस्पर आदान-प्रदान आपसी संबंधों को मधुर व मजबूत बनाता है।
पुरुष व स्त्री सिक्के के दो पहलू के समान हैं। उनका पारस्परिक संयोग, सृजन और जीवन जैसे महत्वपूर्ण तत्वों को बनाए रखने में सक्षम है। हर शख्स का यह सुनहरा स्वप्न होता है कि वह अपने जीवनसाथी को सर्वगुण संपन्न देखे, किंतु यह स्वप्न तभी साकार हो सकता है, जब दोनों ओर से संभावनाओं की अभिव्यक्त हों। कोई भी व्यक्ति स्वयं में संपूर्ण नहीं होता, इस बात से सभी वाकिफ हैं। अतः आवश्यक है कि अपने जीवनसाथी के आवश्यक गुणों को परखें व उन्हें उचित सम्मान दें।कोई भी व्यक्ति स्वयं में संपूर्ण नहीं होता, इस बात से सभी वाकिफ हैं। अतः आवश्यक है कि अपने जीवनसाथी के आवश्यक गुणों को परखें व उन्हें उचित सम्मान दें। अतः हर बिंदु पर आपसी समझौते द्वारा उचित निवारण करने का प्रयास करें। हर व्यक्ति की विचारधारा, स्वभाव उसकी व्यक्तिगत विशेषता है। कोशिश करें कि आपसी नोक-झोंक को बात का बतंगड़ या राई का पहाड़ न बनने दें। यह क्रिया आग में घी का काम करती है।
जब पति-पत्नी के आपसी संबंधों के बीच कोई अन्य तीसरा व्यक्ति हर बात पर अपनी राय देने लगता है तो रिश्तों में कड़वाहट आनी शुरू हो जाती है। ऐसी परिस्थिति से बचने का उचित उपाय यह है कि पति-पत्नी दोनों ही यह.महसूस करें कि वे सिर्फ एक-दूसरे के लिए हैं। और उनके बीच की प्रगाढ़ता में किसी तीसरे के लिए स्थान नहीं है। हम दोनों बने ही एक-दूजे के लिए हैं। एक-दूसरे का सुख-दुःख हमारा अपना है। आपसी निजता व महत्ता को कायम रखें व आपसी विश्वास को सदैव तरजीह दें। लोगों से खूब घुलें-मिलें किंतु आपके निजी मसलों में बोलने का हक किसी को भी न दें।