Indian Spiritual
  • होम
  • लोकप्रिय
  • धार्मिक तथ्य
  • धार्मिक कथा
  • धार्मिक स्थान
  • ज्योतिष
  • ग्रंथ
  • हस्त रेखाएं
  • व्रत त्योहार
  • तंत्र-मंत्र-यंत्र
होम | धार्मिक स्थान | चमत्कारिक मेहंदीपुर बालाजी मंदिर- प्रेत-भूत बाधा दूर करने का सबसे प्रसिद्ध और विश्वसनीय स्थान

चमत्कारिक मेहंदीपुर बालाजी मंदिर- प्रेत-भूत बाधा दूर करने का सबसे प्रसिद्ध और विश्वसनीय स्थान

चमत्कारिक मेहंदीपुर बालाजी मंदिर- प्रेत-भूत बाधा दूर करने का सबसे प्रसिद्ध और विश्वसनीय स्थान
In धार्मिक स्थान, लोकप्रिय
  • Share on Facebook
  • Share on Twitter
  • Share on Email
  • Share on Whatsapp
  • Share on Facebook
  • Share on Twitter

यूं तो भारत में हनुमानजी के लाखों मंदिर हैं। हर मंदिर पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है, पर राजस्थान के दौसा जिला स्थित घाटा मेंहदीपुर बालाजी की बात ही अलग है। मेंहदीपुर बालाजी को दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का बहुत ही शक्तिशाली मंदिर माना जाता है। यहां…

यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : bhoot bhagane ka achuk mantra and  bhoot bhagane ka tarika and  bhoot bhagane ka upay and  bhoot bhagane wale mantra and  bhoot pret bhagane ka upay and  bhoot pret from home and  bhoot pret ke totke and  bhoot pret nivaran mantra in hindi and  bhoot pret nivaran totke and  but pichas se bachne ke upay and  Easy tone totke to remove ghosts and  Ghost and  Temple and  tirupati balaji and  घर में भूत होने के संकेत and  तिरुपति बालाजी and  तिरुपति बालाजी का इतिहास and  पिशाच की कहानी and  प्रेत बाधा के लक्षण and  बालाजी मंदिर and  भगवान तिरुपति बालाजी and  भूत को कैसे देखे and  भूत प्रेत आत्मा and  भूत प्रेत निवारण धूनी and  भूत प्रेत भगाने के उपाय and  भूत प्रेत से छुटकारा पाने का उपाय and  भूत भगाने का हनुमान मंत्र and  भूत-पिशाच and  मंदिर तिरुपति बालाजी and  मेहंदीपुर  

यूं तो भारत में हनुमानजी के लाखों मंदिर हैं। हर मंदिर पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है, पर राजस्थान के दौसा जिला स्थित घाटा मेंहदीपुर बालाजी की बात ही अलग है। मेंहदीपुर बालाजी को दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का बहुत ही शक्तिशाली मंदिर माना जाता है। यहां कई लोगों को जंजीर से बंधा और उल्टे लटके देखा जा सकता है।

Mehandipurbalaji Mndir Wondrous Apparition Ghosts To Overcome The Obstacle Of The Most Famous And Reliable Locationv in Hindi :-

यह मंदिर और इससे जुड़े चमत्कार देखकर कोई भी हैरान हो सकता है। शाम के समय जब बालाजी की आरती होती है तो भूतप्रेत से पीड़ित लोगों को जूझते देखा जाता है।

राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर नामक स्थान है। यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई- बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। दो पहाडिय़ों के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं। गीताप्रेस गोरखपुर द्वार प्रकाशित हनुमान अंक के अनुसार यह मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है।

{ पढ़ें :- भोजेश्वर मंदिर : यहाँ है एक ही पत्थर से निर्मित विशव का सबसे बड़ा शिवलिंग }

यहां पर एक बहुत विशाल चट्टान में हनुमान जी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी। इसे ही श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है। इनके चरणों में छोटी सी कुण्डी है, जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता। यह मंदिर तथा यहाँ के हनुमान जी का विग्रह काफी शक्तिशाली एवं चमत्कारिक माना जाता है तथा इसी वजह से यह स्थान न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में विख्यात है।

जंजीर में बांधकर लाए जाते हैं पीड़ित

कहा जाता है कि कई सालों पहले हनुमानजी और प्रेत राजा अरावली पर्वत पर प्रकट हुए थे। बुरी आत्माओं और काले जादू से पीड़ित रोगों से छुटकारा पाने लोग यहां आते हैं। इस मन्दिर को इन पीड़ाओं से मुक्ति का एकमात्र मार्ग माना जाता है। मंदिर के पंडित इन रोगोंं से मुक्ति के लिए कई उपचार बताते हैं। शनिवार और मंगलवार को यहां आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुच जाती है।

कई गंभीर रोगियों को लोहे की जंजीर से बांधकर मंदिर में लाया जाता है। यहां आने वाले पीडित लोगों को देखकर सामान्य लोगों की रूह तक कांप जाती है। ये लोग मंदिर के सामने ऐसे चिल्ला-चिल्ला के अपने अंदर बैठी बुरी आत्माओं के बारे में बताते हैं, जिनके बारे में इनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहता है। भूत प्रेत ऊपरी बाधाओं के निवारणार्थ यहां आने वालों का तांता लगा रहता है। ऐसे लोग यहां पर बिना दवा और तंत्र मंत्र के स्वस्थ होकर लौटते हैं।

{ पढ़ें :- आखिर क्यों अमीर होकर भी गरीब है तिरुपति बालाजी? }

बादशाहों ने मूर्ति को नष्ट करने की थी कोशिश

कहा जाता है कि मुस्लिम शासनकाल में कुछ बादशाहों ने इस मूर्ति को नष्ट करने का प्रयास किया। हर बार ये बादशाह असफ़ल रहे। वे इसे जितना खुदवाते गए मूर्ति की जड़ उतनी ही गहरी होती चली गई। थक हार कर उन्हें अपना यह कुप्रयास छोड़ना पड़ा। ब्रिटिश शासन के दौरान सन 1910 में बालाजी ने अपना सैकड़ों वर्ष पुराना चोला स्वतः ही त्याग दिया। भक्तजन इस चोले को लेकर समीपवर्ती मंडावर रेलवे स्टेशन पहुंचे, जहां से उन्हें चोले को गंगा में प्रवाहित करने जाना था।

ब्रिटिश स्टेशन मास्टर ने चोले को निःशुल्क ले जाने से रोका और उसका लगेज करने लगा, लेकिन चमत्कारी चोला कभी मन भर ज्यादा हो जाता और कभी दो मन कम हो जाता। असमंजस में पड़े स्टेशन मास्टर को अंततः चोले को बिना लगेज ही जाने देना पड़ा और उसने भी बालाजी के चमत्कार को नमस्कार किया। इसके बाद बालाजी को नया चोला चढ़ाया गया। एक बार फिर से नए चोले से एक नई ज्योति दीप्यमान हुई।

प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के मंदिर

बालाजी महाराज के अलावा यहां श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल कप्तान ( भैरव) की मूर्तियां भी हैं। प्रेतराज सरकार जहां दंडाधिकारी के पद पर आसीन हैं वहीं भैरव जी कोतवाल के पद पर। यहां आने पर ही मालूम चलता है कि भूत और प्रेत किस तरह से मनुष्य को परेशान करते हैं। दुखी व्यक्ति को मंदिर में आकर तीनों देवगणों को प्रसाद चढाना पड़ता है। बालाजी को लड्डू प्रेतराज सरकार को चावल और कोतवाल कप्तान (भैरव) को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद में से दो लड्डू रोगी को खिलाए जाते हैं।

{ पढ़ें :- ये है ऐसा मंदिर जहाँ डॉक्टर के रूप में पूजे जाते है भगवान हनुमान ! }

शेष प्रसाद पशु पक्षियों को डाल दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पशु पक्षियों के रूप में देवताओं के दूत ही प्रसाद ग्रहण कर रहे होते हैं। कुछ लोग बालाजी का नाम सुनते ही चैंक पड़ते हैं। उनका मानना है कि भूतप्रेतादि बाधाओं से ग्रस्त व्यक्ति को ही वहां जाना चाहिए। ऐसा सही नहीं है। कोई भी – जो बालाजी के प्रति भक्तिभाव रखने वाला है , इन तीनों देवों की आराधना कर सकता है। अनेक भक्त तो देश-विदेश से बालाजी के दरबार में मात्र प्रसाद चढ़ाने नियमित रूप से आते हैं।

प्रसाद खाते ही झूमने लगते हैं पीड़ित लोग

प्रसाद का लड्डू खाते ही रोगी व्यक्ति झूमने लगता है। भूत प्रेतादि स्वयं ही उसके शरीर में आकर चिल्लाने लगते हैं। कभी वह अपना सिर धुनता है कभी जमीन पर लोटने लता है। पीड़ित लोग यहां पर अपने आप जो करते हैं वह एक सामान्य आदमी के लिए संभव नहीं है। इस तरह की प्रक्रियाओं के बाद वह बालाजी की शरण में आ जाता है फर उसे हमेशा के लिए इस तरह की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। बालाजी महाराज के मंदिर में प्रातः और सायं लगभग चार चार घंटे पूजा होती है।

श्री प्रेतराज सरकार

बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार दण्डाधिकारी पद पर आसीन हैं। प्रेतराज सरकार के विग्रह पर भी चोला चढ़ाया जाता है। प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं को दण्ड देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। भक्तिभाव से उनकी आरती , चालीसा , कीर्तन , भजन आदि किए जाते हैं। बालाजी के सहायक देवता के रूप में ही प्रेतराज सरकार की आराधना की जाती है। प्रेतराज सरकार को पके चावल का भोग लगाया जाता है। भक्तजन प्रायः तीनों देवताओं को बूंदी के लड्डुओं का ही भोग लगाते हैं।

कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव

{ पढ़ें :- जानिये भगवान तिरुपति बालाजी की अनोखी कहानी }

कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव भगवान शिव के अवतार हैं और उनकी ही तरह भक्तों की थोड़ी सी पूजा-अर्चना से ही प्रसन्न भी हो जाते हैं। भैरव महाराज चतुर्भुजी हैं। उनके हाथों में त्रिशूल , डमरू , खप्पर तथा प्रजापति ब्रह्मा का पांचवां कटा शीश रहता है । वे कमर में बाघाम्बर नहीं , लाल वस्त्र धारण करते हैं। वे भस्म लपेटते हैं। उनकी मूर्तियों पर चमेली के सुगंध युक्त तिल के तेल में सिन्दूर घोलकर चोला चढ़ाया जाता है ।

इसलिए कहा जाता है कोतवाल कप्तान

शास्त्र और लोक कथाओं में भैरव देव के अनेक रूपों का वर्णन है, जिनमें एक दर्जन रूप प्रामाणिक हैं। श्री बाल भैरव और श्री बटुक भैरव, भैरव देव के बाल रूप हैं। भक्तजन प्रायः भैरव देव के इन्हीं रूपों की आराधना करते हैं। भैरव देव बालाजी महाराज की सेना के कोतवाल हैं। इन्हें कोतवाल कप्तान भी कहा जाता है। बालाजी मन्दिर में आपके भजन, कीर्तन, आरती और चालीसा श्रद्धा से गाए जाते हैं।

प्रसाद के रूप में आपको उड़द की दाल के वड़े और खीर का भोग लगाया जाता है। किन्तु भक्तजन बूंदी के लड्डू भी चढ़ा दिया करते हैं । सामान्य साधक भी बालाजी की सेवा-उपासना कर भूतप्रेतादि उतारने में समर्थ हो जाते हैं। इस कार्य में बालाजी उसकी सहायता करते हैं। वे अपने उपासक को एक दूत देते हैं , जो नित्य प्रति उसके साथ रहता है।


धार्मिक स्थान और भारतीय संस्कृति संबंधित ख़बरें

  1. जाने शिवजी से जुडी चीज़ें सपने में दिखाई देने का क्या होता है अर्थ !

  2. भीमशंकर ज्योतिर्लिंग – कुंभकर्ण के पुत्र को मार कर यहां स्थापित हुए थे भगवान शिव

  3. भोजेश्वर मंदिर : यहाँ है एक ही पत्थर से निर्मित विशव का सबसे बड़ा शिवलिंग

  4. भारत का एक मात्र मंदिर जहाँ राष्ट्रीय पर्वो पर फहराया जाता है तिरंगा

2012-02-14T00:12:56+05:30
Indian Spiritual Team
Indian Spiritual
Tags: #bhoot bhagane ka achuk mantra,  #bhoot bhagane ka tarika,  #bhoot bhagane ka upay,  #bhoot bhagane wale mantra,  #bhoot pret bhagane ka upay,  #bhoot pret from home,  #bhoot pret ke totke,  #bhoot pret nivaran mantra in hindi,  #bhoot pret nivaran totke,  #but pichas se bachne ke upay,  #Easy tone totke to remove ghosts,  #Ghost,  #Temple,  #tirupati balaji,  #घर में भूत होने के संकेत,  #तिरुपति बालाजी,  #तिरुपति बालाजी का इतिहास,  #पिशाच की कहानी,  #प्रेत बाधा के लक्षण,  #बालाजी मंदिर,  #भगवान तिरुपति बालाजी,  #भूत को कैसे देखे,  #भूत प्रेत आत्मा,  #भूत प्रेत निवारण धूनी,  #भूत प्रेत भगाने के उपाय,  #भूत प्रेत से छुटकारा पाने का उपाय,  #भूत भगाने का हनुमान मंत्र,  #भूत-पिशाच,  #मंदिर तिरुपति बालाजी,  #मेहंदीपुर  
................... विज्ञापन ...................

ट्रेंडिंग टापिक

#सपने में घर की छत गिरते देखना #पुरुष की बायीं भुजा फड़कना #सपने में खुद को शौच करते देखना #Chipkali Ka Peshab Karna #सपने में इमारत का गिरना #Sapne Me Pita Ko Bimar Dekhna #Chipkali Ka Zameen Par Girna #जामवंत की पत्नी का नाम क्या था #Gems Stone (रत्न स्टोन) #Dream Meaning (स्वप्न फल)

पॉपुलर पोस्ट

  • List of Famous Indian Festival
  • Complete List of Indian Festival
  • ये 10 सपने बताते हैं घर में आने वाली है बड़ी खुशी
  • यह 10 सपने धन हान‌ि का संकेत माने जाते हैं
  • इन 10 अंगों पर छ‌िपकली का ग‌िरना अशुभ, यह होता है अंजाम
  • जानिए शरीर के किस अंग के फड़कने का क्या होता है मतलब !
  • जाने आखिर कैसे हुआ था रीछ मानव जामवन्त का जन्म, तथा उनसे जुड़े अनोखे राज !
  • एक रहस्य, ‘ब्रह्मा’ ने किया था अपनी ही पुत्री ‘सरस्वती’ से विवाह !

नया पोस्ट

  • भगवान विष्णु ने देवकी और वसुदेव के घर क्यों लिया कृष्णावतार…
  • जानिये क्या है श्रीकृष्ण की 16000 पत्नियों का राज ?
  • जन्माष्टमी का फल चाहिए तो कीजिए जरूर यह व्रत
  • जन्माष्टमी को सुख-समृद्धि प्राप्ति के लिए करें ये ज्योतिष उपाय
  • जन्माष्टमी विशेष: भगवान कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई?
  • राधा जन्म की कहानी – ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार मां के गर्भ से नहीं जन्मी थी राधा
  • जन्‍माष्‍टमी की पूजा करने की विधि !
  • भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में जरूर होनी चाहिए ये 10 चीजें
  • वेलेंटाइन डे पर आजमाएं ज्योतिष के ये टोटके, मिलेगा मनचाहा वेलेंटाइन
  • नवरात्री साल में दो बार क्‍यूं मनाई जाती है?
  • आइये जाने मां दुर्गा की उत्‍पत्ति की कहानी !
  • नवरात्रों में ये 9 काम से परहेज रखनी चाहिए !
  • नवरात्रों में माता को प्रसन्न करने के ये 5 टोटके जो आपके जीवन को खुशियों से भर देंगे !
  • इस पूरे नवरात्र करें 10 महाविद्या की उपासना ! आपके सभी कार्य होंगे सिद्ध !
  • सिंह माता दुर्गा की सवारी कैसे बना ये जानकार हैरान हो जायेंगे आप!

© Copyright 2023, Indian Spiritual: All about the spiritual news articles from around the globe in Hindi. All rights reserved.
Our Group Sites: Gotals | PardaPhash News | Holiday Travel