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मलूटी, झारखंड – इसे कहते है मंदिरों का गाँव और गुप्त काशी

मलूटी, झारखंड – इसे कहते है मंदिरों का गाँव और गुप्त काशी
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Maluti : Village of Temples History in Hindi : झारखंड के दुमका जिले में शिकारीपाड़ा के पास बसे एक छोटे से गांंव मलूटी में आप जिधर नज़र दौड़ाएंगे आपको प्राचीन मंदिर नज़र आएंगे। मंदिरों की बड़ी संख्या होने के कारण इस क्षेत्र को गुप्त काशी और मंदिरों का गाँव भी कहा जाता है। इस गांव का राजा…

यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Jharkhand and  Lord Bhole Shankar and  Maluti and  Secret Kashi and  Temple and  गुप्त काशी and  झारखंड and  भगवान भोले शंकर and  मंदिर and  मलूटी  

Maluti : Village of Temples History in Hindi : झारखंड के दुमका जिले में शिकारीपाड़ा के पास बसे एक छोटे से गांंव मलूटी में आप जिधर नज़र दौड़ाएंगे आपको प्राचीन मंदिर नज़र आएंगे। मंदिरों की बड़ी संख्या होने के कारण इस क्षेत्र को गुप्त काशी और मंदिरों का गाँव भी कहा जाता है। इस गांव का राजा कभी एक किसान हुआ करते था। उसके वंशजों ने यहां 108 भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया।

Mluti Jharkhand Call It The Village Temples And Secret Kashi in Hindi :-

ये मंदिर बाज बसंत राजवंशों के काल में बनाए गए थे।  शुरूआत में कुल 108 मंदिर थे, लेकिन संरक्षण के आभाव में अब सिर्फ 72 मंदिर ही रह गए हैं। इन मंदिरों का निर्माण 1720 से लेकर 1840 के मध्य हुआ था। इन मंदिरों का निर्माण सुप्रसिद्व चाला रीति से की गयी है। ये छोटे-छोटे लाल सुर्ख ईटों से निर्मित हैं और इनकी ऊंचाई 15 फीट से लेकर 60 फीट तक हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर रामायण-महाभारत के दृ़श्यों का चित्रण भी बेहद खूबसूरती से किया गया है।

मलूटी पशुओं की बली के लिए भी जाना जाता है। यहां काली पूजा के दिन एक भैंस और एक भेड़ सहित करीब 100 बकरियों की बली दी जाती है। हालांकि पशु कार्यकर्ता समूह अक्सर यहां पशु बली का विरोध करते रहते हैं।

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जहां तक बात है मंदिरों के संरक्षण की तो बिहार के पुरातत्व विभाग ने 1984 में गांव को पुरातात्विक प्रांगण के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी। इसके तहत मंदिरों का संरक्षण कार्य शुरू किया गया था और आज पूरा गांव पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण पर्यटक यहां रात में रुकने से घबराते हैं।

मलूटी गांव में इतने सारे मंदिर होने के पीछे एक रोचक कहानी है। यहां के राजा महल बनाने की बजाए मंदिर बनाना पसंद करते थे और राजाओं में अच्‍छे से अच्‍छा मंदिर बनाने की होड़ सी लग गई। परिणाम स्‍वरूप यहां हर जगह खूबसूरत मंदिर ही मंदिर बन गए और यह गांव मंदिर के गांव के रूप में जाना जाने लगा।

मलूटी के मंदिरों की यह खासियत है कि ये अलग-अलग समूहों में निर्मित हैं। भगवान भोले शंकर के मंदिरों के अतिरिक्त यहां दुर्गा, काली, धर्मराज, मनसा, विष्णु आदि देवी-देवताओं के भी मंदिर हैं। इसके अतिरिक्त यहां मौलिक्षा माता का भी मंदिर है, जिनकी मान्यता जाग्रत शाक्त देवी के रूप में है।

यह गांव सबसे पहले ननकार राजवंश के समय में प्रकाश में आया था। उसके बाद गौर के सुल्तान अलाउद्दीन हसन शाह (1495–1525) ने इस गांव को बाज बसंत रॉय को इनाम में दे दिया था। राजा बाज बसंत शुरुआत में एक अनाथ किसान थे। उनके नाम के आगे बाज शब्‍द कैसे लगा इसके पीछे एक अनोखी कहानी है। एक बार की बात है ज‍ब सुल्तान अलाउद्दीन की बेगम का पालतू पक्षी बाज उड़ गया और बाज को उड़ता देख गरीब किसान बसंत ने उसे पकड़कर रानी को वापस लौटा दिया। बसंत के इस काम से खुश होकर सुल्तान ने उन्‍हें मलूटी गांव इनाम में दे दिया और बसंत राजा बाज बसंत के नाम से पहचाने जाने लगे।

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2012-02-17T23:08:01+05:30
Indian Spiritual Team
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