ऐसा ही एक प्रमाण मिला है देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्रमंथन के बारे में, जिसमें देवताओं और दानवों ने वासुकि नाग को मन्दराचल पर्वत के चारों और लपेटकर समुद्र मंथन किया था. हमेशा ये कयास लगाए जाते रहते हैं कि पौराणिक कथाएं सही हैं या नहीं, या फिर किस हद तक सही हैं, लेकिन…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : History and Mandar Parvat and Mythological Mandarachal parvat found in sea near Gujarat and Samudra manthan and गुजरात and बिहार and बौंसी and मंदराचल पर्वत and मंदार पर्वत कहा है and मंदार पहाड़ and मंदार हिल and मंदार हिल पर्वत and मंदार हिल बिहार and मन्दराचल पर्वत and मन्दार पर्वत and समुद्र मंथन कहाँ हुआ था and समुद्र मन्थन
ऐसा ही एक प्रमाण मिला है देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्रमंथन के बारे में, जिसमें देवताओं और दानवों ने वासुकि नाग को मन्दराचल पर्वत के चारों और लपेटकर समुद्र मंथन किया था. हमेशा ये कयास लगाए जाते रहते हैं कि पौराणिक कथाएं सही हैं या नहीं, या फिर किस हद तक सही हैं, लेकिन समय-समय पर हमें कुछ ऐसे प्रमाण मिलते रहते हैं जो की इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमारे पौराणिक पात्र, पौराणिक कहानियां सिर्फ़ कल्पना नहीं, बल्कि एक हकीकत है.
हमेशा ये कयास लगाए जाते रहते हैं कि पौराणिक कथाएं सही हैं या नहीं, या फिर किस हद तक सही हैं, लेकिन समय-समय पर हमें कुछ ऐसे प्रमाण मिलते रहते हैं जो की इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमारे पौराणिक पात्र, पौराणिक कहानियां सिर्फ़ कल्पना नहीं, बल्कि एक हकीकत है।
ऐसा ही एक प्रमाण मिला है देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्रमंथन के बारे में, जिसमें देवताओं और दानवों ने वासुकि नाग को मन्दराचल पर्वत के चारों और लपेटकर समुद्र मंथन किया था। देवताओं और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन की कथा हम सभी जानते हैं। इस कथा के अनुसार देवताओं व असुरों ने नागराज वासुकी की नेती बनाकर मंदराचल पर्वत की सहायता से समुद्र को मथा था।
समुद्र मंथन से ही लक्ष्मी, चंद्रमा, अप्सराएं व भगवान धन्वन्तरि अमृत लेकर निकले थे। लेकिन अगर आप यह विचार रखते हैं कि पौराणिक कथाए सिर्फ़ काल्पनिक हैं, तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। गुजरात के दक्षिण मैं समुद्र में समुद्रमंथन वाला वही पर्वत मिला है. वैज्ञानिक ने परीक्षण के आधार पर इस बात की पुष्टि भी की जा चुकी है.
पिंजरत नाम के गांव के समुद्र में मिला पर्वत बिहार के भागलपुर में विराजित मूल मांधार शिखर जैसा ही है. गुजरात-बिहार दोनों का पर्वत एक जैसा ही है. दोनों ही पर्वत में ग्रेनाइट– की मात्रा बहुत है. इस पर्वत के बीचों-बीच नाग देवता आकृति भी मिली है. ओशनोलॉजी डिपार्टमेंट ने वेबसाइट पर 50 मिनट का एक वीडियो जारी किया है.
इसमें पिंजरत गांव के समुद्र से दक्षिण में 125 किलोमीटर दूर 800 की गहराई में समुद्रमंथन के पर्वत मिलने की बात भी कही है. इस वीडियो में द्वारकानगरी के अवशेष की भी जानकारी है. इसके अलावा वेबसाइट पर एशियन्ट द्वारका के आलेख में ओशनोलॉजी डिपार्टमेंट द्वारा भी इस तथ्य की पुष्टि की गई है. आर्कियोलॉजिस्ट मितुल त्रिवेदी के बताए अनुसार यू-ट्यूब पर ओशनोलॉजिस्ट विभाग ने 50 मिनट का एक वीडियो अपलोड किया है।
इसमें विभाग ने पिंजरत के पास 125 किमी दूर समुद्र में 800 फुट नीचे द्वारका नगरी के अवशेषों के साथ मन्दराचल पर्वत की भी खोज की है। ओशनोलॉजिस्ट वेबसाइट पर आर्टिकल में विभाग द्वारा इस बात की पुष्टि कर दी गई है।
सामान्यतः देखा जाए तो समुद्र के अंदर मिलने वाले पर्वत ऐसे नहीं होते. सूरत के आॉर्कियोलॉजिस्ट मितुल त्रिवेदी ने कॉर्बन टेस्ट के परीक्षण के बाद यह निष्कर्ष निकाला है. उन्होंने दावा किया है कि यह समुद्रमंथन वाला ही पर्वत है.
इसके समर्थन में अब प्रमाण भी मिलने लगे हैं. ओशनोलॉजी ने अपनी वेबसाइट पर इस तथ्य की आधिकारिक रूप से पुष्टि भी की है. द्वारका नगरी के पास ही देवताओं और राक्षसों ने अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया था।
इस मंथन के लिए मन्दराचल पर्वत का उपयोग किया था। समुद्र मंथन के दौरान विष भी निकला था, जिसे महादेव शिव ने ग्रहण कर लिया था।