नवरात्रि नौ रातों की धूमधाम होती है जो दुर्गा माता के नौ रूपों को समर्पित होती है। इन नौ रातों में, शक्ति के नौ रूपों की पूजा होती है। संस्कृत में नवरात्री का शाब्दिक अर्थ होता है नौ रातें।Navratri Nine Days Nine Food Offerings On Each Day The Goddess in Hindi :- नवरात्रि का हर…
नवरात्रि नौ रातों की धूमधाम होती है जो दुर्गा माता के नौ रूपों को समर्पित होती है। इन नौ रातों में, शक्ति के नौ रूपों की पूजा होती है। संस्कृत में नवरात्री का शाब्दिक अर्थ होता है नौ रातें।
नवरात्रि का हर एक दिन माँ दुर्गा के एक रूप को समर्पित होता है और इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा इनकी पूजा होती है।गुजरात में नवरात्रि में नौ रातों का जश्न, मस्ती और नाच गान होता है। गुजरात में श्रद्धालु रात भर नाच गान करते हैं और पूरी रात डांडिया या गरबा खेला जाता है।
देश के दूसरे कोनों में श्रद्धालु इन नौ दिन उपवास रखते हैं और माँ दुर्गा के अनेक रूपों को अलग अलग खाने की सामग्री चढ़ाई जाती है। इन नौ दिनों का एक श्रद्धालु के लिए विशेष महत्व होता है जिसका वर्णन नीचे किया गया है।
पहला दिन: प्रथम या नवरात्रि का पहला दिन माँ दुर्गा के पहले अवतार को समर्पित होता है। इस दिन शैलपुत्री माता को श्रद्धालु पूजते हैं। इस अवतार में वह एक बच्ची और पहाड़ की बेटी की तरह पूजी जाती हैं। इस दिन श्रद्धालु पीला वस्त्र पहनते हैं और माता को घी चढ़ाते हैं।
दूसरा दिन: दूसरे दिन माँ दुर्गा की पूजा ब्रह्मचारिणी देवी के रूप में होती है। द्वितीया या दूसरे दिन श्रद्धालु हरा वस्त्र पहनते हैं और माँ को चीनी का भोग लगाते हैं।
तीसरा दिन: तृतीया या तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से आपके सारे कष्ट मिट जाते हैं और आपकी मनोकामना पूरी होती है। इस दिन श्रद्धालु भूरे रंग का वस्त्र पहनते हैं और देवी को दूध या खीर का भोग चढ़ता है।
चौथा दिन: चौथा दिन या चतुर्थी देवी कुष्मांडा को समर्पित होता है। ऐसा मानते हैं कि देवी के इस रूप की पूजा करने से और व्रत रखने से श्रद्धालु के सभी कष्ट और रोग दूर होते हैं। इस दिन श्रद्धालु नारंगी वस्त्र पहनते हैं और माँ कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाते हैं।
पांचवा दिन: पंचमी या पांचवा दिन स्कन्दमाता देवी को समर्पित होता है। ऐसा मानते हैं कि देवी के इस रूप की पूजा करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है। पंचमी के दिन उजला वस्त्र पहनते हैं और देवी को केले का भोग चढ़ता है।
छठा दिन: षष्ठी या छठे दिन देवी कात्यायिनी की पूजा होती है। इस दिन श्रद्धालु लाल कपडे पहनते हैं और देवी को खुश करने के लिए शहद का भोग चढ़ाते हैं।
सातवां दिन: सप्तमी या सांतवा दिन देवी कालरात्रि को समर्पित होता है। इस अवतार में देवी अपने श्रद्धालुओं को किसी भी बुराई से बचाती हैं और खुशियां देती हैं। इस दिन श्रद्धालु नीला वस्त्र पहनते हैं और देवी को गुड़ का भोग चढ़ाते हैं। कुछ लोग इस दिन ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देते हैं।
आंठवा दिन: आंठवा दिन या अष्टमी देवी महागौरी को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से श्रद्धालुओं के सारे पाप धुल जाते हैं। देवी को हरी साड़ी पहने दिखाते हैं। इस दिन श्रद्धालु गुलाबी रंग पहनते हैं और देवी को नारियल चढ़ाते हैं।
नवां दिन: नवां दिन या नवमी देवी सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। देवी के इस रूप की पूजा करने से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन श्रद्धालु बैंगनी रंग पहनते हैं और देवी को तिल का भोग चढ़ाते हैं।
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