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जानिए घर पर पूजा करने की सही विधि और उससे संबंधित 30 आवश्यक नियम !

जानिए घर पर पूजा करने की सही विधि और उससे संबंधित 30 आवश्यक नियम !
In ज्योतिष
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अपने परिवार में सुख और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी-देवताओ की पूजा  करने की परम्परा अनेको वर्षो से निरंतर चली आ रही है तथा आज भी हम इस परम्परा को निभाते आ रहे है. भगवान की पूजा द्वारा हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. परन्तु हम सभी को पूजा करने से पूर्व कुछ ख़ास…

यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : आवश्यक नियम and  गणेश and  दुर्गा and  भगवान गणेश and  लक्ष्मीजी and  विष्णु and  शिव and  सरस्वतीजी and  सूर्यदेव  

अपने परिवार में सुख और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी-देवताओ की पूजा  करने की परम्परा अनेको वर्षो से निरंतर चली आ रही है तथा आज भी हम इस परम्परा को निभाते आ रहे है. भगवान की पूजा द्वारा हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. परन्तु हम सभी को पूजा करने से पूर्व कुछ ख़ास नियमों का पालन करना चाहिए तभी हमे पूजा  का शुभ फल पूर्ण रूप से प्राप्त हो पायेगा.

Pooja Karne Ki Vidhi 30 Niyam in Hindi :-

हम आज आपको यहाँ ऐसे 30 नियम बताने जा रहे जो समान्य पूजन में भी आवश्यक है, तथा इन्हे अपनाकर आप पूजा से होने वाले शुभ फल पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकते हो.

  • शिव, दुर्गा, विष्णु, गणेश और सूर्यदेव ये पंचदेव कहलाते है इनकी पूजा हर कार्यो में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए. प्रतिदिन पूजा करते समय इन पांच देवो का ध्यान करना चाहिए. ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता यही तथा समृद्धि आती है.
  • प्लास्टिक की बोतल में या किसी अन्य धातु के अपवित्र बर्तन में गंगा जल नहीं रखना चाहिए, लोहे अथवा एल्युमिनियम के बर्तन अपवित्र धातु की श्रेणियों में आती है. गंगाजल को रखने के लिए ताम्बे का बर्तन उत्तम तथा पवित्र माना जाता है.
  • यदि घर में भगवान शिव, गणेश और भैरव जी की मूर्ति हो या आप मंदिर में इन तीनो देवताओ की पूजा करते हो तो ध्यान रहे की इन तीनो देवो पर तुलसी ना चढ़ाए अन्यथा पूजा का उल्टा प्रभाव पड़ता है.
  • माँ दुर्गा की पूजा  के समय उन्हें दुर्वा एक प्रकार की घास ना चढ़ाए क्योकि यह भगवान गणेश को विशेष प्रकार से चढ़ाई जाती है.
  • सूर्य देव को शंख से अर्घ्य नहीं देना चाहिए .
  • तुलसी का पत्ता बिना स्नान किये नहीं तोड़ना चाहिए क्योकि शास्त्रों में बताया गया है की यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तो को तोड़ता है तो पूजा के समय तुलसी के ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किये जाते.
  • शास्त्रों के अनुसार दिन में 5 बार देवी-देवताओ के पूजन का विधान है. सुबह पांच बजे से छः बजे तक के बर्ह्म मुहूर्त में पूजन और आरती होनी चाहिए. इसके बाद प्रातः 9 बजे से 10 बजे तक दूसरे समय का पूजन  तथा दिन में तीसरे समय का पूजन होना चाहिए. इस पूजन के बाद भगवान को विश्राम करवाना चाहिए इसके बाद शाम 4 – 5 बजे पुनः पूजन और आरती होनी चाहिए. रात को 8 – 9 बजे शयन आरती करनी चाहिए. जिन घरों में नियमित रूप से पांच बार पूजन होता है वहां देवी-देवताओ का निवास माना जाता है तथा ऐसे घरों में धन-धान्य की कोई भी कमी नहीं होती.
  • स्त्रियों व पुरुषों द्वारा अपवित्र अवस्था में शंख नहीं बजाना चाहिए. यदि इस नियम का पालन नहीं किया जाए तो घर में बसी लक्ष्मी रूठ जाती है तथा उस घर से चली जाती है.
  • देवी देवताओ की मूर्ति के सामने कभी भी पीठ करके नहीं बैठना चाहिए.
  • केतकी का पुष्प शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए.
  • भगवान से कोई भी मनोकामना मांगने के बाद उसकी सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए. तथा दक्षिणा चढ़ाते समय अपने दोषो को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए. जितने शीघ्र आप अपने उन दोषो को छोड़ोगे आपकी मनोकामनाएं उतनी शीघ्र ही पूरी होगी .
  • विशेष शुभ कार्यो में भगवान गणेश को चढ़ने वाला दूर्वा  एक प्रकार की घास  को कभी भी रविवार को नहीं तोड़ना चाहिए .
  • यदि आप माँ लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न करना चाहते हो तो उन्हें रोज कमल का पुष्प अर्पित करें. कमल के फूल को पांच दिनों तक लगातार जल चढ़कर पुनः अर्पित कर सकते है.
  • शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के शिवलिंग पर चढ़ने वाला बिल्व-पात्र को 6 महीने तक बासी नहीं माना जाता अतः हम इन बिल्लव पत्रों पर जल छिड़कर उन्हें पुनः शिवलिंग में चढ़ा सकते है.
  • तुलसी के वृक्ष से टूटे हुए तुलसी के पत्तो को 11 दिन तक बासी नहीं माना जाता अतः 11 दिन तक हम इनमे जल छिड़कर पुनः प्रयोग में ला सकते है.
  • आमतौर पर फूलों को हाथों में रखकर हाथों से भगवान को अर्पित किया जाता है. ऐसा नहीं करना चाहिए। फूल चढ़ाने के लिए फूलों को किसी पवित्र पात्र में रखना चाहिए और इसी पात्र में से लेकर देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए.
  • ताम्बे के बर्तन में चंदन, घिसा हुआ चंदन या चंदन का पानी नहीं रखना चाहिए, ऐसा करना शास्त्रों के अनुसार अपवित्र माना गया है.
  • कभी भी दीपक से दीपक को ना जलाए क्योकि शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने वाला व्यक्ति रोग से ग्रसित हो जाता है.
  • रविवार और बुधवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए.
  • पूजा  हमेशा पूर्व की ओर या उत्तर की ओर मुख करके की जानी चाहिए. तथा पूजा  करने का उत्तम समय प्रातः काल छः बजे से आठ बजे तक का होता है.
  • पूजा  करते समय आसन के लिए ध्यान रखें कि बैठने का आसन ऊनी होगा तो श्रेष्ठ रहेगा.
  • घर में मंदिर में सुबह और शाम दीपक अवश्य जलाए. एक दीपक भी का और एक दीपक तेल का जलाना चाहिए .
  • भगवान की पूजन का कार्य और आरती पूर्ण होने के पश्चात उसी स्थान पर 3 परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए.
  • रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए.
  • भगवान की आरती करते समय निम्न बाते ध्यान रखनी चाहिए. भगवान के चरणों की आरती चार बार करनी चाहिए इसके बाद क्रमश उनके नाभि की आरती दो बार तथा उनके मुख की आरती एक या तीन बार करनी चाहिए. इस प्रकार भगवान के समस्त अंगो की सात बार आरती होनी चाहिए.
  • पूजाघरमें मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिए, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी,सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिए .
  • घर में कभी भी गणेश या देवी की प्रतिमा तीन तीन, शिवलिंग दो,शालिग्राम दो,सूर्य प्रतिमा दो,गोमती चक्र दो की संख्या में कदापि न रखें.

{ पढ़ें :- पन्चायतन पूजा विधान }


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2012-03-12T23:14:21+05:30
Indian Spiritual Team
Indian Spiritual
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