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रहस्यमयी और चमत्कारिक काल भैरव मंदिर – जहां भगवान काल भैरव करते है मदिरा पान

रहस्यमयी और चमत्कारिक काल भैरव मंदिर – जहां भगवान काल भैरव करते है मदिरा पान
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Rahasyamayi & Chamatkari Kaal Bhairav History in Hindi : हमारे भारत में अनेक ऐसे मंदिर है जिनके रहस्य आज तक अनसुलझे है। हम अपने ब्लॉग में अब तक आपको भारत के ऐसे ही कई रहस्यमयी और चमत्कारिक मंदिरों जैसे की करणी माता मंदिर, निधि वन मंदिर, तनोट माता मंदिर, ममलेश्वर महादेव मंदिर, भूतेश्वर नाथ शिवलिंग,…

Rahasyamayi & Chamatkari Kaal Bhairav History in Hindi : हमारे भारत में अनेक ऐसे मंदिर है जिनके रहस्य आज तक अनसुलझे है। हम अपने ब्लॉग में अब तक आपको भारत के ऐसे ही कई रहस्यमयी और चमत्कारिक मंदिरों जैसे की करणी माता मंदिर, निधि वन मंदिर, तनोट माता मंदिर, ममलेश्वर महादेव मंदिर, भूतेश्वर नाथ शिवलिंग, अचलेश्वर महादेव मंदिर, ज्वालामुखी देवी मंदिर आदि के बारे में विस्तार पूर्वक बता चुके है। इसी कड़ी में आज हम आपको बता रहे है महाकाल की नगरी उज्जैन में स्तिथ काल भैरव मंदिर के बारे में।

Rahasyamayi Chamtkarik Kal Bhairav in Hindi :-

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर भगवान काल भैरव साक्षात रूप में मदिरा पान करते है। जैसा की हम जानते है काल भैरव के प्रत्येक  मंदिर में भगवान भैरव को मदिरा प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है। लेकिन उज्जैन स्तिथ काल भैरव मंदिर में जैसे ही शराब से भरे प्याले काल भैरव की मूर्ति के मुंह से लगाते है तो देखते ही देखते वो शराब के प्याले खाली हो जाते है।

हज़ार साल पुराना है मंदिर :-

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मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से करीब 8 कि.मी. दूर, क्षिप्रा नदी के तट पर कालभैरव मंदिर स्थित है। कालभैरव का यह मंदिर लगभग छह हजार साल पुराना माना जाता है। यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है। वाम मार्ग के मंदिरों में माँस, मदिरा, बलि, मुद्रा जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। प्राचीन समय में यहाँ सिर्फ तांत्रिको को ही आने की अनुमति थी। वे ही यहाँ तांत्रिक क्रियाएँ करते थे। कालान्तर में ये मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया गया। कुछ सालो पहले तक यहाँ पर जानवरों की बलि भी चढ़ाई जाती थी। लेकिन अब यह प्रथा बंद कर दी गई है। अब भगवान भैरव को केवल मदिरा का भोग लगाया जाता है। काल भैरव को मदिरा पिलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। यह कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ, यह कोई नहीं जानता।

मंदिर में काल भैरव की मूर्ति के सामने झूलें में बटुक भैरव की मूर्ति भी विराजमान है। बाहरी दिवरों पर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित है। सभागृह के उत्तर की ओर एक पाताल भैरवी नाम की एक छोटी सी गुफा भी है।

कहते है की बहुत सालो पहले एक अंग्रेज अधिकारी ने इस बात की गहन तहकीकात करवाई थी की आखिर शराब जाती कहां है। इसके लिए उसने प्रतिमा के आसपास काफी गहराई तक खुदाई भी करवाई थी। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। उसके बाद वो अंग्रेज भी काल भैरव का भक्त बन गया।

स्कंद पुराण में है मंदिर से जुडी कहानी :-

{ पढ़ें :- इस मंदिर में जाने वाला कभी नहीं लौटता खाली हाथ }

मंदिर में शराब चढ़ाने की गाथा भी बेहद दिलचस्प है। यहां के पुजारी बताते हैं कि स्कंद पुराण में इस जगह के धार्मिक महत्व का जिक्र है। इसके अनुसार, चारों वेदों के रचियता भगवान ब्रह्मा ने जब पांचवें वेद की रचना का फैसला किया, तो उन्हें इस काम से रोकने के लिए देवता भगवान शिव की शरण में गए। ब्रह्मा जी ने उनकी बात नहीं मानी। इस पर शिवजी ने क्रोधित होकर अपने तीसरे नेत्र से बालक बटुक भैरव को प्रकट किया। इस उग्र स्वभाव के बालक ने गुस्से में आकर ब्रह्मा जी का पांचवां मस्तक काट दिया। इससे लगे ब्रह्म हत्या के पाप को दूर करने के लिए वह अनेक स्थानों पर गए, लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली। तब भैरव ने भगवान शिव की आराधना की। शिव ने भैरव को बताया कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने से उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी। तभी से यहां काल भैरव की पूजा हो रही है। कालांतर में यहां एक बड़ा मंदिर बन गया। मंदिर का जीर्णोद्धार परमार वंश के राजाओं ने करवाया था।

भगवान काल भैरव से जुड़े कुछ तथ्य :-

1. काल भैरव भगवान शिव का अत्यन्त ही उग्र तथा तेजस्वी स्वरूप है।
2. सभी प्रकार के पूजन , हवन , प्रयोग में रक्षार्थ इनका पुजन होता है।
3. ब्रह्मा का पांचवां शीश खंडन भैरव ने ही किया था।
4. इन्हे काशी का कोतवाल माना जाता है।

काल भैरव मंत्र और साधना :-

मन्त्र – ॥ ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट ॥

{ पढ़ें :- क्या आपको मालूम है कि स्वर्ण मंदिर में चार दरवाजे क्यों हैं ! }

साधना विधि –  काले रंग का वस्त्र पहनकर तथा काले रंग का ही आसन बिछाकर, दक्षिण दिशा की और मुंह करके बैठे तथा उपरोक्त मन्त्र की 108 माला रात्रि को करें।

लाभ –  इस साधना से भय का विनाश होता है।


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2012-02-13T23:16:16+05:30
Indian Spiritual Team
Indian Spiritual
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