कहने को तो भगवान हमारे दिलों में वास करते हैं पर अगर बात हनुमान जी की हो तो, वह आज भी धरती पर मौजूद हैं। जी हां, आप सोच रहे होंगे हनुमान तो त्रेतायुग में हुए फिर कलियुग में वे कैसे हो सकते हैं?Reasons Which Tells That Lord Hanumana Is Still Alive in Hindi :-…
कहने को तो भगवान हमारे दिलों में वास करते हैं पर अगर बात हनुमान जी की हो तो, वह आज भी धरती पर मौजूद हैं। जी हां, आप सोच रहे होंगे हनुमान तो त्रेतायुग में हुए फिर कलियुग में वे कैसे हो सकते हैं?
आपने बचपन से ही भगवान राम और भगवान श्री कृष्ण के धरती से जाने की कहानियां होंगी, लेकिन हनुमान जी के यहां से जाने की काई कहानी किसी ने नहीं सुनी।
या फिर ना ही इससे जुड़ी किसी जानकारी का जिक्र ही हिंदू ग्रंथ में दिया गया है। इसके अलावा और भी कुछ सुबूत हैं जो बताएंगे कि हनुमान जी आज ही जिंदा हैं और वह हमारे आस पास ही मौजूद हैं।
शिमला के जाकू मंदिर में हैं हनुमान के पैरों के निशान : जाकू एक ऋषि थे। संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोण पर्वत जाते हुए हनुमान ने यहाँ रुककर जाकू ऋषि से कुछ सूचना एकत्र की थी। लौटते हुए इनसे मिलने का वचन दिया था पर विलम्ब न हो जाए, इस डर से वह किसी अन्य छोटे मार्ग से चले गए। बाद में हनुमान जाकर जाकू से मिले। तब जिस स्थान पर हनुमान खड़े हुए थे, इनके जाने के बाद वहाँ इनकी प्रतिमा अवतरित हो गई। साथ ही यहां पर उनके पैरों के निशान भी मौजूद हैं।
जब कलियुग में दिखे हनुमान : कुछ बुद्धिमान और पुराने जमाने के लोगों ने इन्हें खुद देखने की सूचना दी है। संत माधवाचार्य ने हनुमान जी को 13 वीं सदी में अपने आश्रम में देखने की बात बताई। 1600 वीं में हनुमान जी ने खुद तुलसीदास को दर्शन दे कर उन्हें रामायण लिखने की प्रेरणा दी। इसके अलावा रामदास स्वामी, राघवेंद्र स्वामी, स्वामी रामदास और श्री सत्य साई बाबा लोगों को हनुमान जी के दर्शन प्राप्त हुए थे।
कहां रहते हैं हनुमान जी : यह स्थान तमिलनाडू राज्य के रामेश्वरम के नजदीक गन्धमाधना पर्वत पर स्थ्ति है, जहां हनुमान जी रहते हैं।
गुप्त मंत्र का जाप करने से हनुमान जी प्रकट हो जाते हैं : हमें पता है कि हनुमान जी अमर हैं और माना जाता है कि वह हिमालय के जंगलों में वास करते हैं।
जय बजरंग बली : वह कथित तौर पर भक्तों की मदद करने के लिये आते हैं मगर वह अदृश्य रहते हैं।
हिंदी में मंत्र : कहते हैं कि अगर हनुमान का कोई सच्चा भक्त उन्हें यह गुप्त मंत्र पढ़ कर बलाए तो वह प्रकट हो जाते हैं। यह है वह मंत्र- कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु , निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु
हनुमान ने किसको दिया मंत्र : कहते हैं इस गुप्त मंत्र को हनुमान जी ने खुद कुछ आदिवासियों को दिया था जो कि श्री लंका के पिदुरू पर्वत के जंगलों में रह रहे थे। यह पर्वत श्री लंका का सबसे ऊंचा पर्वत है। यह मंत्र हनुमान जी ने उन्हें तब दिया जब वह लंका छोड़ कर वापस जा रहे थे। आदिवासियों ने हनुमान जी की तब सेवा की थी, जब वह जंगलों में भटक रहे थे, उस दौरान रावण का भाई विभीषण वहां का राजा था। उस दौरान हनुमान जी ने लंका के जंगल में राम जी की याद में कई दिन बिताए थे।