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मूर्तियों का अभिषेक करने के प्रकार और उसके पीछे कारण

मूर्तियों का अभिषेक करने के प्रकार और उसके पीछे कारण
In ज्योतिष, धार्मिक तथ्य
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हम सभी मंदिर में ईश्‍वर के दर्शन के लिए समय-समय पर या विभिन्‍न पर्वों व अवसरों के दौरान जाते हैं, आपने अक्‍सर मंदिरों में अभिषेक होते देखा होगा। कई मंदिरों में अभिषेक बहुत भव्‍य और बड़े स्‍तर पर होता है।Reasons Why Abhishekam Is Performed And It S Types in Hindi :- क्‍या आपको मंदिरों में…

हम सभी मंदिर में ईश्‍वर के दर्शन के लिए समय-समय पर या विभिन्‍न पर्वों व अवसरों के दौरान जाते हैं, आपने अक्‍सर मंदिरों में अभिषेक होते देखा होगा। कई मंदिरों में अभिषेक बहुत भव्‍य और बड़े स्‍तर पर होता है।

Reasons Why Abhishekam Is Performed And It S Types in Hindi :-

क्‍या आपको मंदिरों में होने वाले अभिषेक के पीछे का कारण मालूम है। अगर नहीं, तो इस आर्टिकल को अवश्‍य पढ़ें, ताकि आप अगली बार जब भी अभिषेक में मंदिर में जाएं, तो आपको इस विधि का अर्थ मालूम हो।

अभिषेक, मंदिर में मूर्ति का होता है जो कि संगमरमर से निर्मित होती है। अभिषेक के दौरान मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्‍ठा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मूर्ति में ईश्‍वर के प्राणों को स्‍थापित किया जाता है।

{ पढ़ें :- गाय को हिंदुओं की माता क्यों कहा जाता है ! }

इन मूर्तियों की स्‍थापना करने से पहले उस स्‍थान पर नवग्रह बनाएं जाते हैं और वहीं पूजा व अर्चना के बाद मूर्तियों को रख दिया जाता है। विधिपूर्वक प्राण प्रतिष्‍ठा करने में 48 दिनों का समय लगता है।

इतने दिनों तक पूजा व हवन आदि होने के कारण, गर्भगृह गर्म हो जाता है। इसीलिए, ऐसा माना जाता है कि मंदिर के अंदर का तापमान ठंडा होता है, जहां अभिषेक होता है।

अभिषेक विधि को मंदिर के पुजारी द्वारा सम्‍पन्‍न करवाया जाता है। हर दिन की पूजा व हवन के बाद भक्‍तों को प्रसाद वितरित किया जाता है।

अभिषेक विधि में गाय से प्राप्‍त सामग्री का ही उपयोग किया जाता है जैसे- दूध, दही और घी। हिंदू धर्म में गाय को पूज्‍यनीय माना जाता है और पुराने ग्रंथों में वर्णन किया गया है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है।

{ पढ़ें :- जानिये हम क्‍यूं चढ़ाते हैं सूर्य देवता को जल ? }

कई बार, मंदिरों में अभिषेक विधि नहीं करवाई जाती थी, लेकिन अब घर या हो या मंदिर, मूर्ति की स्‍थापना से पूर्व अभिषेक अवश्‍य करवाया जाता है। इसकी विधि निम्‍न प्रकार होती है:

कुमकुम अभिषेकम:

सबसे पहले कुमकुम लगाया जाता है। सभी मूर्तियों को कुमकुम लगाना आवश्‍यक होता है।

दूध से अभिषेक:

दूध को सबसे पवित्र माना जाता है। दूध में कई सौंदर्य गुण होते हैं और इसी कारण, इससे अभिषेक करना अनिवार्य होता है। इससे मूर्ति को स्‍नान करवाया जाता है।

{ पढ़ें :- क्‍या आप जानते हैं हिन्दू धर्म में कुमकुम और हल्दी का महत्व क्‍या है? }

दही से अभिषेक :

दूध के बाद दही से मूर्ति को स्‍नान करवाया जाता है। पंचामृत में भी दही डाला जाता है। माना जाता है कि इससे बच्‍चों को आर्शीवाद मिलता है।

शहद से अभिषेक:

शहद बहुत महत्‍वपूर्ण तत्‍व होता है। पंचामृत में शहद भी डाला जाता है। चूंकि इसका स्‍वाद मीठा होता है इसलिए, भाषा और बोली में भी मधुरता आ जाती है और शायद इसी कारण, मूर्तियों को इससे अभिषेक करवाया जाता है ताकि आपमें इससे अभिषेक करते समय मधुरता समाहित हो सकें।

चीनी से अभिषेक:

गन्‍ने का रस या चीनी; दोनों में से किसी एक का इस्‍तेमाल पंचामृत में किया जाता है, इससे स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहता है और नकारात्‍मक विचार, मन में नहीं आते हैं, साथ ही शरीर भी दुरूस्‍त रहता है। शायद इन्‍ही गुणों को ध्‍यान में रखते इससे अभिषेक करवाया जाता है।

{ पढ़ें :- सुख-समृद्धि चाहिए तो जानिए, कहां रखें पानी वास्तु के अनुसार }

गरी का पानी:

नारियल को तोड़कर उसके जल को मूर्ति पर डाला जाता है और इससे स्‍नान करवाया जाता है। माना जाता है कि इससे जीवन में शांति आती है और लालच नहीं रहता है।

मेवा और केला:

किशमिश, छुआरा, काजू, खजूर, अंजीर आदि को मूर्ति पर भोग के रूप में चढ़ाया जाता है और केले को भी चढ़ाया जाता है। इनके छोटे-छोटे पीस करके मूर्ति पर रखे जाते हैं।

जल:

अंत में मूर्ति को जल से स्‍नान करवाया जाता है। जल को गंगा या किसी अन्‍य पवित्र नदी से पुजारी द्वारा लाया जाता है।

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2012-04-04T11:41:47+05:30
Indian Spiritual Team
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