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Sharad Purnima 2020 Date: जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सावधानियां

Sharad Purnima 2020 Date: जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सावधानियां
In व्रत त्योहार, शरद पूर्णिमा
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Sharad Purnima 2020 Date:  शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं; हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं। ज्‍योतिष के अनुसार, पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत…

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Sharad Purnima 2020 Date:  शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं; हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं। ज्‍योतिष के अनुसार, पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है।

Sharad Purnima Date Puja Vidhi Importance And Significance in Hindi :-

शरद पूर्णिमा 2020 (Sharad Purnima 2020 Dates and Puja Vidhi in Hindi) : साल 2020 में शरद पूर्णिमा 23 अक्टूबर 2020 को है. शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा निकलने का समय शाम 5.20 है.

शरद पूर्णिमा महत्व कथा पूजा विधि (Sharad Purnima 2020 Vrat Puja Vidhi, Katha in Hindi) :-

शरद की भीनी- भीनी ठण्ड में श्रद्धालु अपने परिवारजनों के साथ शरद की पूर्णिमा को उत्साह से मनाते हैं. मान्यता हैं इस दिन रात्रि बारह बजे चन्द्रमा से अमृत गिरता हैं और चंद्रमा के इस आशीर्वाद को पाने के लिए खीर अथवा मेवे वाला दूध बनाकर घर की छत पर रखा जाता है, जिसके चारो तरफ परिवारजन बैठकर भजन करते हैं. रात्रि बारह बजे के बाद चन्द्रमा की पूजा की जाती हैं और खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती हैं.

{ पढ़ें :- List of Famous Indian Festival (प्रसिद्ध भारतीय त्यौहारों की सूची) }

शरद पूर्णिमा का महत्व (Sharad Purnima significance) :-

यह व्रत सभी मनोकामना पूरी करता हैं. इसे कोजागरी व्रत पूर्णिमा एवम रास पूर्णिमा भी कहा जाता हैं. चन्द्रमा के प्रकाश को कुमुद कहा जाता हैं. इसलिए इसे कौमुदी व्रत की उपाधि भी दी गई हैं. इस दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों संग रास लीला रची थी, जिसे महा रास कहा जाता हैं.

शरद पूर्णिमा के अन्य नाम (Sharad Purnima Name) :-

क्रमांक प्रदेश (जहाँ शरद पूर्णिमा मनाते है) शरद पूर्णिमा को क्या कहा जाता है
1. गुजरात शरद पूर्णिमा – इस दिन वहां लोग गरबा एवं डांडिया रास करते है
2. बंगाल लोक्खी पूजो – देवी लक्ष्मी के लिए स्पेशल भोग बनाया जाता है.
3. मिथिला कोजगारह

चन्द्रमा की सुन्दरता इतनी मन मोहक होती हैं कि उसे देखते ही मनुष्य मोहित हो जाता हैं. इस दिन चन्द्रमा के दर्शन से ह्रदय में शीतलता आती हैं. शरद पूर्णिमा पर चाँद जितना सुंदर और आसमान जितना साफ़ दिखाई देता है, वो इस बात का संकेत देता हैं कि मानसून अब पूरी तरह जा चूका हैं.

यह त्यौहार पुरे देश में भिन्न- भिन्न मान्यताओं के साथ मनाया जाता हैं. इस दिन लक्ष्मी देवी की पूजा का महत्व होता हैं. लक्ष्मी जी सुख समृद्धि की देवी हैं, अपनी इच्छा के अनुसार मनुष्य इस दिन व्रत एवम पूजा पाठ करता हैं. इस दिन रतजगा किया जाता हैं. रात्रि के समय भजन एवम चाँद के गीत गायें जाते हैं एवम खीर का मजा लिया जाता हैं.

शरद पूर्णिमा व्रत कथा (Sharad Purnima Vrat Katha) :-

बहुत प्रचलित कथा हैं : एक साहूकार की दो सुंदर, सुशील कन्यायें थी. परन्तु एक धार्मिक रीती रिवाजों में बहुत आगे थी और एक का इन सब मे मन नहीं लगता था. बड़ी बहन सभी रीती रिवाज मन लगाकर करती थी, पर छोटी आनाकानी करके करती थी. दोनों का विवाह हो चूका था. दोनों ही बहने शरद पूर्णिमा का व्रत करती थी, लेकिन छोटी के सभी धार्मिक कार्य अधूरे ही होते थे.

{ पढ़ें :- शरद पूर्ण‍िमा (Sharad Purnima): कथा, महत्व, तिथि, पूजा की विध‍ि और सावधानियां }

इसी कारण उसकी संतान जन्म लेने के कुछ दिन बाद मर जाती थी. दुखी होकर उसने एक महात्मा से इसका कारण पूछा, महात्मा ने उसे बताया तुम्हारा मन पूजा पाठ में नहीं हैं इसलिए तुम शरद पूर्णिमा का व्रत करों, महात्मा की बात सुनकर उसने किया, परन्तु फिर उसका पुत्र जीवित नहीं बचा. उसने अपनी मरी हुई सन्तान को एक चौकी पर लिटा दिया और अपनी बहन को घर में बुलाया और अनदेखा कर बहन को उस चौकी पर ही बैठने कहा.

जैसे ही बहन उस पर बैठने गई उसके स्पर्श से बच्चा रोने लगा. बड़ी बहन एक दम से चौंक गई. उसने कहा अरे तू मुझे कहाँ बैठा रही थी. यहाँ तो तेरा लाल हैं. अभी मर ही जाता. तब छोटी बहन ने बताया कि मेरा पुत्र तो मर गया था, पर तुम्हारे पुण्यों के कारण तुम्हारे स्पर्श मात्र से उसके प्राण वापस आ गये. उसके बाद से प्रति वर्ष सभी गाँव वासियों ने शरद पूर्णिमा का व्रत करना प्रारंभ कर दिया.

शरद पूर्णिमा व्रत विधि (Sharad purnima vrat vidhi) :-

  • इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का महत्व होता हैं.
  • इस दिन सुबह जल्दी नहाकर नए वस्त्र धारण किये जाते हैं.
  • पुरे दिन का उपवास किया जाता हैं.
  • संध्या के समय लक्ष्मी जी की पूजा की जाती हैं.
  • इसके बाद चन्द्रमा के दर्शन कर उसकी पूजा करते हैं, फिर उपवास खोलते हैं.
  • रतजगा किया जाता हैं. भजन एवम गीत गायें जाते हैं. रात्रि बारह बजे बाद खीर का प्रसाद वितरित किया जाता हैं.


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2018-10-10T22:16:28+05:30
Indian Spiritual Team
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